Hindi Newsएनसीआर न्यूज़new delhi railway station stampede case reaches supreme court

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन भगदड़ का मामला SC पहुंचा, याचिका में क्या मांग?

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ का मामला सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा है। बता दें कि 15 फरवरी को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ में 18 लोगों की मौत हो गई थी।

Krishna Bihari Singh वार्ता, नई दिल्लीMon, 17 Feb 2025 09:37 PM
share Share
Follow Us on
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन भगदड़ का मामला SC पहुंचा, याचिका में क्या मांग?

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट में इस बारे में एक PIL दाखिल की गई है। इस याचिका में ऐसी घटनाओं को रोकने के उपाय करने के लिए विशेषज्ञ समिति गठित कर सामूहिक रूप से काम करने का केंद्र समेत सभी राज्य सरकारों को निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में केंद्र सरकार और राज्यों को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से 2014 में भीड़ से निपटने को लेकर तैयार की गई रिपोर्ट का अनुपालन के लिए निर्देश देने की मांग की गई है।

याचिकाकर्ता विशाल तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई कि सर्वोच्च अदालत भारतीय रेलवे को रेलवे स्टेशनों और प्लेटफार्मों पर यात्रियों की सुरक्षा के लिए गलियारों को चौड़ा करने के निर्देश दे। साथ ही बड़े ओवरब्रिज और प्लेटफार्मों का निर्माण करने का उपाय करने को भी कहे। याचिका में भारतीय रेलवे को रैंप और एस्केलेटर से प्लेटफार्मों तक आसान पहुंच सुनिश्चित करने का निर्देश देने की गुहार लगाई गई है।

याचिका में अदालत से यह भी मांग की गई है कि वह रेलवे को व्यस्त समय के दौरान आगमन या प्रस्थान प्लेटफार्मों में किसी भी तरह के बदलाव से सख्ती से परहेज करने का निर्देश दे। याचिका में कहा गया है कि यात्रियों की आवाजाही को नियंत्रित करने के लिए बैरियर, रस्सियों और भीड़ नियंत्रण द्वारों का इस्तेमाल करना जरूरी है। यही नहीं रेलवे की ओर से यात्रियों को क्षमता से ज्यादा संख्या में टिकट वितरित नहीं करना चाहिए।

याचिका में यह भी कहा गया है कि भगदड़ की घटनाएं पहले भी होती रही हैं, लेकिन ऐसे वक्त में जब हम सीसीटीवी जैसी तकनीक से लैस हैं, हमारे पास पर्याप्त बल, मानव शक्ति, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस है, यही नहीं हम पहले की तुलना में आर्थिक रूप से भी काफी मजबूत हो गए हैं, तब ऐसी भगदड़ नहीं होनी चाहिए। यह महज एक घटना नहीं वरन एक विफलता और लापरवाही है, जिसकी कीमत आम लोगों को चुकानी पड़ रही है।

याचिका में आरोप लगाया कि सरकार ने हताहतों और लापता लोगों का वास्तविक आंकड़ा जारी नहीं किया है। ऐसा शायद लापरवाही और विफलता को छिपाने के लिए किया गया हो सकता है। ऐसे में सरकार पर वास्तविक आंकड़ों का खुलासा करने और मृतकों एवं लापता लोगों के लिए काउंटर और हेल्पलाइन नंबर स्थापित करने की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए, ताकि पीड़ितों के परिजन के सदस्य उनकी स्थिति के बारे में पूछताछ कर सकें।

याचिकाकर्ता ने आग्रह किया कि रेल मंत्रालय को कॉरिडोर को चौड़ा करने, बड़े ओवरब्रिज और प्लेटफॉर्म बनाने जैसे कदम उठाने चाहिए, जिससे भीड़भाड़ कम हो सके और भगदड़ का खतरा कम हो। याचिकाकर्ता विशाल तिवारी ने यह भी प्रार्थना की कि रैम्प और एस्केलेटर के माध्यम से प्लेटफार्मों तक आसान पहुंच सुनिश्चित करने से कुछ उच्च वर्ग के लोगों को भी सुविधा मिल सकती है। अतिविशिष्ट व्यक्तियों के लिए सरकार सर्वोत्तम सुविधा और सुरक्षा प्रदान कर सकती है।

अगला लेखऐप पर पढ़ें