ममता को मालीवाल का पत्र, 7 पॉइंट में उठाए रेप केस की गड़बड़ियों पर सवाल; कहा- देश की निगाहें आप पर
- मालीवाल ने लिखा, 'मैं आपसे आग्रह करती हूं कि पश्चिम बंगाल और इस देश की महिलाओं की सुरक्षा को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता बनाएं। देश की निगाहें आप पर हैं और इतिहास याद रखेगा कि संकट की इस घड़ी में आपने कैसी प्रतिक्रिया दी थी।'
कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में महिला डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी ने सबको झकझोर कर रख दिया है और इस घटना के खिलाफ देशभर में भारी गुस्सा देखा जा रहा है। सभी लोग अपनी-अपनी तरह से इस गुस्से को जाहिर भी कर रहे हैं। इसी कड़ी में आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाती मालीवाल ने पश्चिम बंगाल में हुई इस वारदात को लेकर राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने इस घटना के बाद बिंदुवार 7 सवाल खड़े करते हुए प्रशासन के रवैये पर गंभीर प्रश्न उठाए और पीड़िता को न्याय दिलाने और तंत्र की जवाबदेही तय करने की मांग की है।
अपने इस पत्र को मालीवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शेयर करते हुए लिखा, 'आज जहां हमारा देश 78वा स्वतंत्रता दिवस मना रहा है वहीं कलकत्ता के RG Kar अस्पताल में महिला डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी ने सब को झकझोर कर रख दिया है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता दीदी को बेटी को न्याय दिलाने की माँग और तंत्र की जवाबदेही तय करने हेतु पत्र लिखा है।'
स्वाती ने अपने पत्र में लिखा, 'आदरणीय ममता दीदी, मैं आज आपको बहुत भारी मन से लिख रही हूं। कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में युवा ट्रेनी डॉक्टर के साथ क्रूर और बर्बर बलात्कार और फिर उसकी हत्या ने न केवल पूरे देश की अंतरात्मा को झकझोर दिया है, बल्कि हमारे समाज में महिलाओं के खिलाफ गहरी जड़ें जमाए बैठी हिंसा को भी उजागर कर दिया है। इस युवती पर किए गए अमानवीय अत्याचारों ने मानवता को शर्मसार कर दिया है और पूरे देश में व्यापक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा के लिए लंबे समय से वकालत करने वाले शख्स के रूप में, मैं इस मामले पर बारीकी से नजर रख रही हूं, और जितना अधिक मुझे पता चल रहा है, मेरी नफरत उतनी ही बढ़ती जा रही है।'
आगे उन्होंने लिखा, 'दीदी, युवा डॉक्टर पर उस समय क्रूरतापूर्वक हमला किया गया, जब वह एक डॉक्टर के रूप में अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करते हुए ड्यूटी पर थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसके साथ की गई बर्बर हिंसा का विस्तृत विवरण है। उसके साथ क्रूरतापूर्वक बलात्कार किया गया और उसकी हत्या कर दी गई। मीडिया रिपोर्टों और गवाहों के माध्यम से, कई गंभीर रूप से चिंताजनक मुद्दे सामने आए हैं।'
'परिवार को देर से सूचना दी गई और गुमराह किया गया'
इसके बाद स्वाती मालीवाल ने अपने पत्र में बिंदुवार उन 7 गड़बड़ियों को बताया जो कि इस केस में पुलिस-प्रशासन द्वारा की गईं। सबसे पहले उन्होंने परिवार को सूचना देने में देरी करने और परिवार को गुमराह करने का आरोप लगाया। उन्होंने लिखा, पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चलता है कि यह जघन्य हमला 9 अगस्त की सुबह 3 से 5 बजे के बीच हुआ था। जबकि अस्पताल के सहायक अधीक्षक ने अगले दिन सुबह 10:53 बजे पीड़िता के माता-पिता को पहला फोन किया और बताया कि उनकी बेटी अस्वस्थ है। इसके ठीक 22 मिनट बाद उन्होंने फिर से फोन करके परिवार को बताया कि उनकी बेटी ने आत्महत्या कर ली है। जब युवा डॉक्टर के शरीर पर इतने भयानक घाव थे, तो इसे आत्महत्या कैसे कहा जा सकता है? परिवार को गुमराह करने की कोशिश क्यों की गई और किसके निर्देश पर यह मनगढ़ंत कहानी रची गई?
'शव तक पहुंचने देने से रोका गया, FIR भी नहीं करवाई'
आगे मालीवाल ने पीड़िता के शव को भी माता-पिता को नहीं देखने देने का मुद्दा उठाते हुए लिखा यहां तक कि जब माता-पिता अस्पताल पहुंचे, तो कथित तौर पर उन्हें कई घंटों तक अपनी बेटी के शव तक पहुंच से वंचित रखा गया। यह अधिकारियों की मंशा पर गंभीर सवाल उठाता है और मामले को छुपाने के संदेह को और गहरा करता है। इसके बाद मालीवाल ने इस मामले में तुरंत FIR दर्ज न करने का मुद्दा उठाते हुए लिखा, रिपोर्टों के अनुसार अस्पताल के अधिकारियों ने तुरंत मामले की सूचना पुलिस को नहीं दी, न ही उन्होंने FIR दर्ज करवाना सुनिश्चित किया। आश्चर्य की बात यह है कि अगर अस्पताल के कर्मचारी दोषी नहीं थे, तो वे अपने ही एक व्यक्ति पर हुए हिंसक हमले पर नाराजगी क्यों नहीं जताते। क्या यह नतीजों का डर था, या उन्हें सच्चाई को दबाने के निर्देश थे?
'प्रिंसिपल का तुरंत तबादला कर समकक्ष पद दिया गया'
इसके बाद सांसद ने संदिग्ध रूप से प्रिंसिपल के तुरंत तबादले का जिक्र करते हुए लिखा, 'जब अस्पताल के प्रिंसिपल ने भारी जन दबाव के चलते इस्तीफा दे दिया, तो उन्हें महज चार घंटे के भीतर समकक्ष पद पर नियुक्त कर दिया गया। यह सरकार की प्राथमिकताओं के बारे में गंभीर चिंताएं पैदा करता है। मामले में न्याय और जवाबदेही सुनिश्चित करने के बजाय, ऐसा लगता है कि इसमें शामिल लोगों को बचाने का जानबूझकर प्रयास किया जा रहा है। यहां तक कि कलकत्ता के माननीय उच्च न्यायालय ने भी प्रिंसिपल को बहाल करने में की गई अनावश्यक जल्दबाजी पर अपनी नाराजगी व्यक्त की और उन्हें छुट्टी पर भेजने का निर्देश दिया।'
'कलकत्ता उच्च न्यायालय की तीखी टिप्पणी'
फिर मालीवाल ने कलकत्ता हाई कोर्ट की तीखी टिप्पणी का जिक्र करते हुए लिखा, 'माननीय हाई कोर्ट ने पुलिस और प्रशासन द्वारा की गई कई बड़ी विफलताओं का हवाला देते हुए जांच सीबीआई को सौंप दिया। इससे पहले कोर्ट ने जांच में कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं होने की ओर इशारा किया साथ ही सबूतों के भी नष्ट होने की आशंका जताते हुए चिंता व्यक्त की।'
‘अपराध स्थल पर बर्बरता को रोकने में विफलता’
इसके बाद आखिरी बिंदु में मालीवाल ने वारदात स्थल पर तोड़फोड़ को रोकने में विफलता की बात कहते हुए लिखा, 'अराजकता का चौंकाने वाला प्रदर्शन करते हुए गुंडों की भीड़ ने कल रात अस्पताल में प्रवेश किया और आपातकालीन विंग को पूरी तरह से तहस-नहस कर दिया। इस खुलेआम गुंडागर्दी की घटना से ना केवल सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा, बल्कि मामले के महत्वपूर्ण गवाहों को भी डराया-धमकाया जा सकता है। ऐसे महत्वपूर्ण स्थल की सुरक्षा करने में पुलिस की विफलता, विशेष रूप से ऐसे जघन्य अपराध के बाद, राजधानी में कानून और व्यवस्था की स्थिति का एक स्पष्ट दोष है। यह घटना न्याय की रक्षा करने और कमजोर नागरिकों की रक्षा करने की सरकार की क्षमता के बारे में और अधिक चिंताएं पैदा करती है।'
'लोगों को आपसे बहुत उम्मीदें थीं'
अपने पत्र के अंत में मालीवाल ने लिखा, 'दीदी, देश की एकमात्र महिला मुख्यमंत्री होने के नाते हममें से कई लोगों को आपसे बहुत उम्मीदें थीं। फिर भी, इस मामले में आपकी सरकार की कार्रवाइयां, जिनमें इस जघन्य अपराध को छिपाने के परेशान करने वाले प्रयासों से लेकर लापरवाही में शामिल लोगों को पुरस्कृत करने और आपकी पार्टी की चुप्पी तक, बलात्कार के घिनौने राजनीतिकरण को उजागर करती है। यह भारतीय लोकतंत्र के लिए एक खतरनाक प्रवृत्ति है। यौन हिंसा के मामलों को संभालने में इसी तरह की विफलताएं पहले भी पश्चिम बंगाल में देखी गई हैं, और आपकी सरकार की बार-बार की चुप्पी और ध्यान भटकाने से गंभीर चिंताएं पैदा होती हैं।'
'देश की निगाहें आप पर हैं'
आगे उन्होंने लिखा, 'इस समय, पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, जिसमें डॉक्टर, नर्स और अन्य नागरिक अपनी पीड़ा और आक्रोश व्यक्त कर रहे हैं। यदि सत्ता में बैठे लोग इस देश की महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा करने में विफल रहते हैं और इसके बजाय आरोपियों का पक्ष लेते हुए देखे जाते हैं, तो भविष्य के लिए हमारे पास क्या उम्मीदें रह जाती हैं? मैं आपसे विनती करती हूं, दीदी, राजनीतिक स्वार्थ की बाधाओं से ऊपर उठें और उदाहरण पेश करें। सुनिश्चित करें कि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध करने वालों को कड़ी से कड़ी सज़ा मिले।'
अपनी बात को खत्म करते हुए उन्होंने अंत में लिखा, 'मैं आपसे अनुरोध करती हूं कि सीबीआई को पूरा सहयोग दें, ताकि मामले की उचित जांच हो और परिवार को न्याय मिले। सरकार को सत्ता में बैठे उन लोगों की जवाबदेही भी तय करनी चाहिए, जिन्होंने मामले को दबाने और आरोपियों को बचाने की कोशिश की। सबसे महत्वपूर्ण बात, मैं आपसे आग्रह करती हूं कि पश्चिम बंगाल और इस देश की महिलाओं की सुरक्षा को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता बनाएं। देश की निगाहें आप पर हैं और इतिहास याद रखेगा कि संकट की इस घड़ी में आपने कैसी प्रतिक्रिया दी थी।'
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