जल्द अमीर बनने की चाह में आईआईटी पास व एमसीए डिग्री वाले कर रहे लोगों के खाते खाली
रातों-रात अमीर बनने की चाह में पढ़े-लिखे युवा भी अपराध की दुनिया का रुख कर रहे हैं। साइबर ठगी की वारदातों में ऐसे युवा पकड़े जा रहे हैं, जो आईआईटी समेत कई अन्य प्रतिष्ठित कॉलेजों से एमसीए, बीसीए और बीबीए जैसी डिग्रियां ले चुके हैं।

रातों-रात अमीर बनने की चाह में पढ़े-लिखे युवा भी अपराध की दुनिया का रुख कर रहे हैं। साइबर ठगी की वारदातों में ऐसे युवा पकड़े जा रहे हैं, जो आईआईटी समेत कई अन्य प्रतिष्ठित कॉलेजों से एमसीए, बीसीए और बीबीए जैसी डिग्रियां ले चुके हैं।
पुलिस के अनुसार, तकनीकी रूप से दक्ष ये युवा कभी केवाईसी के नाम पर तो कभी सिम ब्लॉक, डिजिटल अरेस्ट और तोहफे का लालच देकर खाते खाली कर रहे हैं। इनका कोई स्थायी ठिकाना भी नहीं है। बड़े होटलों से लेकर विदेश तक में बैठकर ये लोगों को निशाना बना रहे हैं।
विशेषज्ञों से ही लें वित्तीय सलाह
ये ठग निवेश, क्रिप्टो ट्रेडिंग या वित्तीय सलाह देने के नाम पर फंसाते हैं। साइबर विशेषज्ञ और साइबरपीस के ग्लोबल प्रेसिडेंट विनीत कुमार ने बताया कि अगर किसी भी माध्यम से कोई मुफ्त सलाह दे रहा है तो सावधान हो जाएं। हमेशा व्यावसायिक संस्था या विशेषज्ञ से ही वित्तीय निवेश की सलाह लें।
कंपनी बनाकर 400 करोड़ की जालसाजी
राजस्थान पुलिस ने 35 लाख की ठगी में चार लोगों को गिरफ्तार किया था। आरोपियों ने बताया कि वे शशिकांत के लिए काम करते हैं। शशिकांत आईआईटी से स्नातक की डिग्री ले चुका है। वह गेमिंग और शेयर बाजार में निवेश के नाम पर ठगता था। आरोपियों के खातों से 400 करोड़ का लेन-देन मिला है।
एमसीए और बीबीए पास करके बने ठग
गोरखपुर के रहने वाले दो युवाओं ने साथियों के साथ मिलकर एक माह में 10 करोड़ ठगे। आरोपी निहाल (एमसीए) और शशि सिंह (बीबीए) के पास प्रोफेशनल डिग्री थी। ये सोशल मीडिया या टेलीग्राम के माध्यम से वित्तीय सलाह देने के नाम पर ठगते थे। शाहदरा की साइबर टीम ने दोनों को गिरफ्तार किया है।
खुद का ऐप बनाकर लोगों को चपत लगाई
दक्षिणी दिल्ली जिला पुलिस ने कोटला मुबारकपुर से हिमांशु को गिरफ्तार किया। हिमांशु बीसीए की डिग्री ले चुका है। उसने दोस्तों के साथ मिलकर अपने गिरोह में स्नातक युवा शामिल कर रखे थे। आरोपियों ने एक ऐप भी बनाया था। ये शेयर बाजार में निवेश करने के नाम पर ठगी को अंजाम देते थे।
प्रशांत गौतम, पुलिस उपायुक्त, शाहदरा जिला, ''तकनीकी ज्ञान होने के चलते यह युवा मासूम लोगों को जल्द अपने झांसे में ले लेते हैं और फिर वारदात के बाद अपने डिजिटल फुटप्रिंट मिटा देते हैं। इस कारण इन तक पहुंच पाना पुलिस के लिए भी मुश्किल हो रहा है।''