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अंत्योदय आहार की कैंटीन समय से पहले होती है बंद

श्रम विभाग की ओर से शुरू किए गए अंत्योदय आहार योजना की कैंटीन निर्धारित समय से पहले बंद हो जाती है। कैंटीन बंद होने से आम लोग बिना खाना खाए वापस लौटना पड़ता है। यह नाजारा भीमनगर में कैंटीन में देखने...

अंत्योदय आहार की कैंटीन समय से पहले होती है बंद
हिन्दुस्तान टीम,गुड़गांवMon, 12 Mar 2018 06:48 PM
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गुरुग्राम। कार्यालय संवाददाता

श्रम विभाग की ओर से शुरू किए गए अंत्योदय आहार योजना की कैंटीन निर्धारित समय से पहले बंद हो जाती है। कैंटीन बंद होने से आम लोगों को बिना खाना खाए लौटना पड़ता है। यह नाजारा भीमनगर में कैंटीन में देखने का मिला। हिन्दुस्तान टीम को रविवार दोपहर 2.20 बजे कैंटीन बंद मिली और बिना खाना खाए लोग लौटते मिले। लोगों का आरोप था कि प्रतिदिन कैंटीन का यही हाल रहता है। दो बजे के बाद यहां पर खाना मिलना मुश्किल हो जाता है, वहीं कैंटीन के ठेकेदार का कहना है कि अवकाश के दिन लोग कम खाना खाने आते हैं, इसलिए कम बनाया जाता है।

खाने की गुणवत्ता मानक के अनुसार नहीं :

भीमनगर के रैना बसेरा में शुरू हुआ अंत्योदय आहार योजना की कैंटीन में खाना गुणवत्ता अनुसार नहीं मिल रहा है। कैंटीन में रविवार को 10 रुपये की थाली लेकर टेस्ट किया गया तो खाने में नमक की कमी, रायता और दाल में कोई स्वाद नहीं, सब्जी में आलू बिना सफाई का मिला। इसके अलावा थाली में चार छोटी-छोटी रोटियां जैसे शाम की बनी हों और कपड़े में बांधने से कड़ी हो चुकी थी। कुछ लोग खाते हैं या फिर फेंक देते हैं।

बर्तनों की सफाई नहीं :

कैंटीन में बर्तनों की साफ सफाई ठीक नहीं, खाने की थालियों में कंपनी की स्लिप चिपका होना, चम्मचों पर मिट्टी जमी मिली। गंदी नाली के पास थाली की सफाई करते हुए मिला। पूछने पर कैंटीन कर्मियों का कहना था कि दस रुपये में रोज कितनी सफाई की जाएगी।

40 मिनट पहले बंद :

अंत्योदय आहार योजना की कैंटीन खुलने का समय सुबह 11 बजे से लेकर दोपहर 3 बजे तक होता है, लेकिन कैंटीन में खाना समाप्त होने का बहाना बनाकर 40 मिनट पहले बंद दिया जाता है। भीम नगर के ऑटो मार्केट में काम करने वाले राजेंद्र बिना खाना के वापस लौटना पड़ा। उन्होंने कहा कि समय से पहले कैंटीन प्रतिदिन बंद हो जाती है।

ठेकेदार के अनुसार खाना मिलता है :

कैंटीन के सुपरवाइजर जीतेश ने कहा कि सरकार की ओर से खाने का कोई मैनू निर्धारित नहीं किया है। वह हर दिन खाने में कुछ ना कुछ अगल बनाए जाते हैं। हर दिन एक जैसा खाना नहीं होता है। थाली से दस रुपये और दस रुपये सब्सिडी के रूप में सरकार से मिलता हैं। कैंटीन में प्रतिदिन खाने वालों की संख्या करीब 300 के आसपास होती है।

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