निर्माण कार्यों पर रोक लगाई
मिलेनियम सिटी में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण को देखते हुए 48 घंटो के लिए निर्माण स्थल पर हो रहे काम-काज पर रोक लगा दी गई है। इसके साथ प्रदूषण विभाग ने नगर निगम और जीएमडीए को शहर में पानी का छिड़काव करने...
गुरुग्राम। कार्यालय संवाददाता
मिलेनियम सिटी में खौफनाक होते प्रदूषण को कम करने के प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जिले में 48 घंटों के लिए निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी है। उधर, शहर में लगातार दूसरे दिन पीएम 2.5 का स्तर सामान्य से आठ गुना ज्यादा रहा। इस वजह से जिला नागरिक अस्पताल में सांस के रोगियों की संख्या बढ़ गई है।
क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नगर निगम, जीएमडीए को शहर में पानी का छिड़काव करने के निर्देश जारी किए हैं। ताकि पीएम 2.5 और पीएम 10 के स्तर में कमी लाई जा सके। क्षेत्रीय प्रदूषण विभाग की तरफ से शहरवासियों को प्रदूषण से बचाव करने संबंधी अलर्ट जारी किया गया है। लोगों से प्रदूषण से बचने के लिए मास्क सहित अन्य उपाय अपनाने की हिदायत दी है।
प्रदूषण विभाग के मुताबिक गुरुग्राम में पीएम 2.5 का शात तक औसत स्तर 486 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया है। विभाग का कहना है कि घूल उड़ने की वजह से आबोहवा सबसे खराब श्रेणी में पहुंच गई है।
20 साइटों को भेजे निर्देश
क्षेत्रीय प्रदूषण नियत्रंण बोर्ड की तरफ से गुरुवार की शाम को 20 कंस्ट्रक्शन साइटों को भेजे गए निर्देश में कार्य बंद करने के लिए कहा गया है। क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी शक्ति सिंह ने बताया कि शहर में 20 साइटों पर निर्माण कार्य चल रहा है। ऐसे में अगले 48 घंटों के लिए कामकाज पर रोक लगा दी गई है। इस संबंध में निर्देश दे दिए गए हैं। इसके बावजूद अगर काम होता हुआ पाया गया तो कारवाई होगी।
विभाग की टीमें तैनात
कंस्ट्रक्शन कार्यों पर रोक को पूरी तरह लागू करने के लिए विभाग ने कमर कस ली है। इसके लिए विभाग की तरफ से टीमें तैनात कर दी गई हैं। टीमें 15 और 16 जून को कंस्ट्रक्शन साइटों का औचक निरीक्षण करेंगी।
तीन गुना बढ़े मरीज
धूल भरे वातावरण ने शहर में सांस-दमा रोगियों की दिक्कतें बढ़ा दी हैं। धूल के कारण लोगों को सांस लेने में जिला अस्पताल की ओपीडी में गुरुवार को सामान्य से तीन गुना अधिक मरीज पहुंचे। आंकड़ों के मुताबिक सामान्य दिनों में श्वांस संबंधी बीमारियों के 8 से 10 मरीज पहुंचते हैं। लेकिन गुरुवार को यह आंकड़ा 40 पर पहुंच गया है।
सांस के मरीजों के लिए खतरे की घंटी
डॉक्टरों के अनुसार वातावरण अस्थमा के रोगियों के लिए खतरे की घंटी है। सांस के मरीजों को इस वातावरण में घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। यदि किसी काम से जाना भी पड़े तो अच्छी क्वालिटी का मास्क या कॉटन के कपड़े से मुंह और नाक को ढंककर ही बाहर निकले। धूल में निकलते समय आंख की हिफाजत के लिए धूप के काले चश्मों का उपयोग करें।
एनजीटी की गाइडलाइंस
-सड़कों पर पानी का छिड़काव किया जाय।
-कंस्ट्रक्शन साइटों पर बिल्डिंग मटीरियल को ढंककर रखा जाय।
-निर्माणधीन मकानों व अन्य साइटों पर ग्रीन कवर होना चाहिए।
-ट्रैफिक जाम होते ही रूट में बदलाव होना चाहिए।
प्रदूषित वातावरण के कारण सबसे अधिक परेशानी बच्चों और बुजुर्गों को हुई है। सांस की अधिक समस्या होने से अस्थमा का अटैक भी पड़ सकता है। ओपीडी के अलावा आपातकालीन विभाग में भी सांस के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
डॉ. काजल कुमुद, फिजिशियन (जिला नागरिक अस्पताल)
प्रदूषण का स्तर :
तारीख प्रदूषण का स्तर
14 जून 486
13 जून 486
12 जून 308
11 जून 145
10 जून 140
09 जून 147
08 जून 179
07 जून 111
06 जून 151
तापमान अधिकतम न्यूनतम 14 जून 41 32
13 जून 43 31
12 जून 42 31
11 जून 41 29
10 जून 38 24
09 जून 41 24
08 जून 42 31
07 जून 42 29
06 जून 39 28