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जहरीली हवा से राहत पाने को अरावली पर्वत के बीच पहुंच रहे दिल्ली-एनसीआर के लोग

आपदा:::::जहरीली हवा से राहत पाने को अरावली पर्वत श्रंखलाओं के बीच पहुंच रहे दिल्ली-एनसीआर...

जहरीली हवा से राहत पाने को अरावली पर्वत के बीच पहुंच रहे दिल्ली-एनसीआर के लोग
हिन्दुस्तान टीम,गुड़गांवSun, 05 Dec 2021 08:00 PM
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फरीदाबाद। बीते करीब दो महीने से जहरीली आबोहवा में जीने को मजबूर दिल्ली-एनसीआर के लोग अब स्वच्छ हवा के लिए अरावली पर्वत श्रृंखलाओं के बीच पहुंचने लगे हैं। बढ़ते प्रदूषण से परेशान दिल्ली, गाजियाबाद, नोएडा, गुरुग्राम और फरीदाबाद के लोग इन दिनों में अरावली विहार करने पहुंचने लगे हैं। कुछ लोग प्रतिदिन तो कुछ लोग सप्ताह में दो दिन या एक दिन अरावली पर्वत श्रंखलाओं के बीच वन विहार का आनंद लेने पहुंचते हैं। रविवार को भी अरावली पर्वत श्रृंखलाओं के बीच दिल्ली, गाजियाबाद, गुरुग्राम व नोएडा आदि इलाकों के लोग घूमने पहुंचे। ताकि जिंदा रहने के लिए कुछ ही समय तो स्वच्छ वायु सांसों में जा सके। दिल्ली से आई दिव्या, राजन, रजत आदि का कहना कि दिल्ली में जहरीली आबोहवा है। इसलिए यहां अरावली में कुछ समय बिताने आना पड़ता है।

अरावली में 20 से अधिक झील करती है आकर्षित

अरावली पर्वत श्रंखलाओं के बीच फरीदाबाद इलाके में करीब 20 झील है, जो लोगों को आकर्षित करती हैं। यहां स्वच्छ वातावरण में लोग पूरा दिन बीताने पहुंचते हैं। हालांकि इनमें से अधिकांश झील अब खतरनाक है और खूनी झील के नाम से मशहूर हो चुकी है। लेकिन झीलों के आसपास की खूबसूरत वादियां यहां आने वाले लोगों को आकर्षित करती है। इसलिए लोग यहां घूमने आते हैं।

कृत्रिम झीलों को विकसित करके पर्यटन केंद्र बनाया जा सकता है

पर्यावरणविद् कई बार सरकार के सामने प्रस्ताव रख चुके हैं कि अरावली में पत्थर खनन के बाद बनी इन कृत्रिम झीलों को विकसित करके इन्हें पर्यटन केंद्र बनाया जा सकता है। इससे सरकारों को भी राजस्व मिलेगा। कुछ लोगों को रोजगार मिलेगा और लोगों की जान भी बचेगी। फिल्हाल इन झीलों पर पहुंचने वाले लोग खतरनाक झीलों में अपनी जान गंवा बैठते हैं। क्योंकि इन झीलों की गहराई का अंदाजा किसी को नहीं है।

सेव अरावली मुहिम से जुड़े लोग

सेव अरावली मुहिम से जुड़े जितेंद्र भड़ाना व कैलाश आदि लोगों का कहना है कि इस मुहिम से अब लोग लगातार जुड़ रहे हैं। कोरोना काल में और अब बढ़ते प्रदूषण ने लोगों को अरावली की महत्ता का आभास करा दिया है। इसलिए लोग अब अरावली बचाने को जागरूक हो रहे हैं। अब सरकार में बैठे लोगों को यह समझना होगा कि अरावली दिल्ली-एनसीआर के लोगों के लिए कितनी महत्वपूर्ण है। अरावली बचाने के लिए संघर्षरत जितेंद्र भड़ाना का कहना है कि अरावली पर्वत श्रंखलाएं दिल्ली-एनसीआर के लोगों के लिए जीवन रेखा है। इसलिए इसका संरक्षण बेहद आवश्यक है। साल-दर साल वायु की गुणवत्ता बेहद खराब हो रही है। अरावली यहां फेफडो के रूप में काम करती है। पश्चिम से आने वाली गर्म हवा को अरावली ठंडा कर देती है।

अरावली में इन गांवों के आसपास का अरावली क्षेत्र संरक्षित करने का प्रस्ताव

हरियाणा पुरातत्व व संग्रहालय निदेशालय गांव मांगर, फतेहपुर, अनंगपुर, कोट, धौज, मोहबताबाद आदि गांवों के आसपास के क्षेत्र को संरक्षित करने का प्रस्ताव तैयार पर काम कर रहा है। हरियाणा पुरातत्व व संग्रहालय निदेशालय के उपनिदेशक बनानी भट्टाचार्य के नेतृत्व में गठित टीम का मानना है कि अरावली में 10 से 50 हजार साल पुरानी कुछ चीजें मिलने की संभावना है। इसके लिए अरावली को संरक्षित करके शोध कार्यों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।

जिले में अरावली में 500 हैक्टेयर से अधिक पर अवैध कब्जे

अरावली में पंजाब भूमि रोकथाम अधिनियम(पीएलपीए)-1900 के तहत जिले में करीब 5300 हेक्टेयर जमीन संरक्षित है, जिसमें से करीब 500 हेक्टेयर भूमि पर अवैध कब्जे करके फार्महाउस, उऊंची अट्टालिकांए, शैक्षणिक संस्थान आदि बना लिए गए हैं। यह मामला अभी सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है। सरकार ने अरावली को इन अवैध कब्जो मुक्त करने में असमर्थता व्यक्त की है और अवैध फार्महाउसों को बचाने में जुटी है।

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