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नगर निगम गुरुग्राम व मानेसर का 300 करोड़ की स्टांप ड्यूटी फीस बकाया

गुरुग्राम। कार्यालय संवाददाता। नगर निगम गुरुग्राम व मानेसर का राजस्व विभाग पर करीब 300 करोड़ रुपये की स्टांप ड्यूटी फीस लंबित पड़ी हुई है। बीते तीन...

नगर निगम गुरुग्राम व मानेसर का 300 करोड़ की स्टांप ड्यूटी फीस बकाया
हिन्दुस्तान टीम,गुड़गांवSat, 10 Jun 2023 11:30 PM
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गुरुग्राम। कार्यालय संवाददाता। नगर निगम गुरुग्राम व मानेसर का राजस्व विभाग पर करीब 300 करोड़ रुपये की स्टांप ड्यूटी फीस लंबित पड़ी हुई है। बीते तीन साल में राजस्व विभाग ने नगर निगम की यह राशि जमा नहीं करवाई है। बकाया राशि को जमा करवाने के लिए शहरी स्थानीय निकाय विभाग के आयुक्त विकास गुप्ता ने प्रदेश के सभी जिला उपायुक्तों को बकाया स्टांप ड्यूटी जमा करवाने के लिए पत्र लिखा है। प्रदेश के सभी नगर निगमों में सबसे अधिक 245.20 करोड़ रुपये की स्टांप ड्यूटी नगर निगम गुरुग्राम का बकाया है। मानेसर नगर निगम का 43.8 करोड़ रुपये की स्टांप ड्यूटी फीस बकाया है। यह बकाया राशि वित्त वर्ष 2021-22 और 2022-23 दो साल का बकाया है। स्टांप ड्यूटी की फीस जमा नहीं होने के कारण नगर निगम गुरुग्राम का लगातार खजाना खाली हो रहा है। स्टांप ड्यूटी नगर निगम की आय का मुख्य संसाधान है।

- नए सिरे से आंकलन करने के निर्देश

शहरी स्थानीय निकाय विभाग ने अब नगर पालिकाओं को राजस्व विभाग से बकाए की वसूली करने और स्टांप शुल्क का नए सिरे से आंकलन करने के लिए एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा है। चूंकि स्टांप शुल्क नगर पालिकाओं के लिए आय का एक प्रमुख स्रोत है, इसलिए भुगतान में देरी से नगर निकायों के कामकाज में बाधा आती है। प्रदेश की सभी नगर पालिकाओं को कुल मिलाकर 644.1 करोड़ रुपए की स्टांप ड्यूटी बकाया है। इसमें से नगर निगम गुरुग्राम, नगर निगम मानेसर और नगर निगम फरीदाबाद के पास सामूहिक रूप से 320.7 करोड़ रुपये की स्टांप ड्यूटी बकाया है। जबकि राज्य के शेष 19 जिलों की नगर पालिकाओं को अभी भी 323.9 करोड़ रुपये की स्टांप ड्यूटी मिलनी बाकी है।

- निगम का लगातार हो रहा है खजाना खाली

प्रदेश का सबसे धनी गुरुग्राम नगर निगम कंगाली की राह पर है। प्रदेश की अन्य निकायों और विभागों का बोझ उठाने के फेर में नगर निगम का खजाना साफ हो गया है। पिछले चार वर्ष में 989.8 करोड़ (लगभग एक हजार करोड़ रुपये) का भुगतान निगम के खजाने से हुआ है। नगर निगम के खातों में सिर्फ 650 करोड़ रुपये ही शेष बचे हैं और इतने बजट में निगम की सरकार छह महीने ही चल सकती है। नगर निगम का सालाना खर्च 1200 करोड़ रुपये से ज्यादा है।

- कर्मचारी-अधिकारियों को वेतन देने का भी हो सकता है संकट

निगम की आय लगातार घटती जा रही है। बता दें कि वर्ष 2019 में नगर निगम की 1077 करोड़ रुपये की एफडी (फिक्सड डिपाजिट) थी, जिसमें से अब 650 करोड़ रुपये ही बचे हैं। विज्ञापनों, प्रापर्टी टैक्स आदि से विज्ञापनों की आय घटने के कारण एफडी तोड़कर शहर में विकास कार्यों, सफाई एजेंसियों और मलबा उठाने वाली एजेंसी को करोड़ों रुपये का भुगतान किया गया। अगर यही हालात रहे तो कर्मचारी-अधिकारियों को वेतन देने का भी संकट हो सकता है।

- ऐसे लग रही खजाने में सेंध

फरीदाबाद को दिए 150 करोड़, 50 करोड़ ब्याज हो गया-2010 में गुरुग्राम नगर निगम से फरीदाबाद नगर निगम ने 150 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था, 12 साल में इसका ब्याज 50 करोड़ रुपये हो गया है। कुल 200 करोड़ रुपये का कर्ज फरीदाबाद निगम पर है। कर्ज लौटाने को लेकर कई बार पत्राचार किया गया लेकिन फरीदाबाद निगम ने असमर्थता जता दी। 500 करोड़ रुपये जीएमडीए को दिए गए हैं। 100 करोड़ रुपये एनजीटी ने बीते साल निगम पर जुर्माना लगाया था।

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