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अरावली में धड़ल्ले से अतिक्रमण कर रहे भू-माफिया

हरियाणा में वन क्षेत्र परिभाषित नहीं होने के कारण भू-माफिया इसका फायदा उठाते हैं।...

अरावली में धड़ल्ले से अतिक्रमण कर रहे भू-माफिया
हिन्दुस्तान टीम,गुड़गांवMon, 21 Jun 2021 03:00 AM
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हरियाणा में वन क्षेत्र परिभाषित नहीं होने के कारण भू-माफिया इसका फायदा उठाते हैं। यहीं कारण है कि दिल्ली-एनसीआर की लाइफ लाइन कहीं जाने वाली अरावली में पिछले कई दशकों से अवैध निर्माण जमकर हे रहा है। हरियाणा को बने 55 साल हो चुके है,लेकिन अभी तक वन विभाग अपने परिभाषित क्षेत्र को तय नहीं कर पाया। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी साल 1996 और साल 2006 में आदेश जारी करते हुए कहा था कि सभी राज्य वन क्षेत्र को परिभाषित करें। ताकि वनों को बचाया जा सके। कोर्ट के आदेश के बाद भी वन विभाग अपना परिभाषित क्षेत्र तय नहीं कर पाया। इसी लापरवाही का फायदा उठाकर भू-माफिया वन में दखल करते रहते है।

अरावली पर है भू-माफिया की नजर

विशेषज्ञों के अनुसार आजादी से पहले गैर-मुमकिन पहाड़ राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज है। यह पहाड़ पंचायत शामलात जमीन में आते थे। इन जमीनों को सामूहिक उपयोग में इस्तेमाल किया जाता था। 1966 में हरियाणा राज्य बनने के बाद बड़े पैमाने पर भू-वयवसाय में शामिल बड़े खिलाड़ियों की नजर वन क्षेत्र पर पड़ी। वन विभाग का क्षेत्र परिभाषित नहीं होने का फायदा उठा कर भू-माफिया और भू-वयवसाय के बड़े खिलाड़ियों ने जमीनों के मालिकाना हक में बदलाव किया। उसके बाद से अरावली में फार्म हाउस,मकान सहित अन्य अवैध कब्जे और अवैध निर्माण का सिलसिला जारी हो गया।

अरावली की सुरक्षा के लिए वन क्षेत्र परिभाषित होना जरूरी

पर्यावरणविद् सुनील हरसाना ने बताया कि वन क्षेत्र परिभाषित नहीं होने का फायदा भू-वयवसाय में शामिल लोग इसका फायदा उठा रहे है। अरावली को सुरक्षित करने के लिए वन क्षेत्र परिभाषित करना जरूरी है। उसके बाद से अवैध निर्माण और अवैध कब्जों में कमी आएगी। उन्होंने बताया कि वन क्षेत्र परिभाषित होने के बाद अगर वन क्षेत्र में अवैध निर्माण या फिर अवैध कब्जा करता है। तो ऐसे में उस पर विभाग की तरफ से मामला दर्ज करवाने,जुर्माना , अवैध निर्माण या कब्जा हटाने के खर्च और दोबारा से जमीन को वन क्षेत्र में तब्दील का खर्च भू-वयवसाय को उठाना होगा। जबकि अभी वन क्षेत्र की जमीन में अवैध निर्माण करने वालों पर जुर्माना लगा कर छोड़ दिया जाता है।

इन गांव में ज्यादा दखल

वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार सोहना के इलाके में अरावली के पास बसे आधा दर्जन से ज्यादा गांव में फार्म हाउस बने हुए है। यहां पर लगभग 434 फार्म हाउस है। इनमे से लगभग 50 फार्म हाउस को तोड़ा जा चुका है और 80 फार्म को तोड़ने की तैयारी है। सबसे ज्यादा फार्म हाउस रोजका गुर्जर,रायसीना सहित कई अन्य गांव में बने हुए है। इसके अलावा गांव में अभी भी कई्र जगह निर्माण कार्य चल रहे है। वहीं वन विभाग ने कार्रवाई के लिए दोबारा से नोटिस देने भी शुरू कर दिए है।

अरावली में काफी जमीन का मालिकाना हक पंचायत और अन्य लोगों के पास है। यह एक कारण भी है। हालांकि अरावली में अवैध निर्माण को रोकने के लिए विभाग की टीमें लगातार गश्त करती है। अभी अरावली में अवैध निर्माण को तोड़ने के लिए 30 से ज्यादा अवैध फार्म हाउस मालिकों को नोटिस भी दिए गए हैं।

-राजीव तेजयान,वन अधिकारी गुरुग्राम

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