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प्रदूषण पर अंकुश के लिए कारणों के निदान की जरूरत

गुरुग्राम में प्रदूषण की समस्या से इंडस्ट्री को बड़ी आर्थिक चोट पड़ती है। प्रदूषण नियंत्रण के लिए उसके ठोस कारणों के निदान की जरूरत है। इसमें डीजल जेनरेटर पर रोक, बिजली कटौती आदि शामिल है। प्रोग्रेसिव...

प्रदूषण पर अंकुश के लिए कारणों के निदान की जरूरत
Newswrapहिन्दुस्तान टीम,गुड़गांवMon, 20 Nov 2023 06:47 PM
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गुरुग्राम। मिलेनियम सिटी में हर साल प्रदूषण के नाम पर इंडस्ट्री को बड़ी आर्थिक चोट पड़ती है। जबकि सर्दी के मौसम में प्रदूषण की समस्या से इंडस्ट्री का कुछ भी सीधे लेना-देना नहीं है। प्रदूषण नियंत्रण के लिए उसके ठोस कारणों के निदान की जरूरत है। लेकिन उद्योगों पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए जाते हैं। इसमें डीजल जेनरेटर पर रोक, बिजली कटौती आदि शामिल है। प्रोग्रेसिव फेडरेशन ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री(पीएफटीआई) के चेयरमैन दीपक मैनी ने कि इस संबंध में लगातार सुझाव दिए जा रहे हैं। एनसीआर क्षेत्र में स्थित औद्योगिक इकाइयों की ओर से विदेशी बाजारों में गारमेंट्स, आटोमोबाइल एवं इससे संबंधित उपकरणों, इंजीनियरिंग, गुड्स, एग्रो प्रोडक्ट्स और आईटी से संबंधित निर्यात किए जाते हैं। प्रदूषण के दिनों में इंडस्ट्री पर कई प्रकार के प्रतिबंध लगाए जाते हैं, तो इनकी कार्य करने की क्षमता और उत्पादन प्रभावित होता है। यदि इस समस्या का समाधान किया जाए तो प्रदेश सहित गुरुग्राम क्षेत्र में आने वाले उद्योगों द्वारा देश के आर्थिक विकास में बड़ा योगदान दिया जा सकता है। यही नहीं इससे औद्योगिक विकास, विस्तार और निवेश की राह में भी बढ़त मिलेगी।

औद्योगिक क्षेत्र से अतिक्रमण हटाए जाए:

पीएफटीआई के चेयरमैन ने कहा कि हरियाणा में ही नहीं देश के सभी राज्यों में जहां भी औद्योगिक क्षेत्र हैं, उन सभी स्थानों पर 24 घंटे गुणवत्ता पूर्ण बिजली की आपूर्ति होनी चाहिए। औद्योगिक क्षेत्रों के दायरे में झुग्गियों-झोपड़ियों की समस्या को दूर करना चाहिए। वहीं सड़कों पर रेहड़ी और खोमचों के अतिक्रमण की समस्या औद्योगिक क्षेत्रों में अधिक दिखती है, इन्हें हटाने ही जरूर है।

सीवरेज, ड्रेनेज और सफाई की व्यवस्था नहीं:

दीपक मैनी ने कहा कि अक्सर यह देखने में आता है कि लोकल अथॉरिटी द्वारा औद्योगिक क्षेत्रों में उचित रखरखाव (सीवरेज, ड्रेनेज और सफाई) की व्यवस्था नहीं है। जब भी औद्योगिक क्षेत्रों में विदेशी ग्राहक (बायर्स) आते हैं तो औद्योकिग क्षेत्रों की खराब हालत के कारण एक्सपोर्टर उन्हें लुभा नहीं पाते हैं। इससे विदेशी बाजार में पकड़ बनाने में एक्सपोर्टरों को भारी परेशानी होती है। यदि इन समस्याओं का समाधान कर दिया जाए तो भारत समय से पहले विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।

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