निर्माण स्थलों पर उड़ रही धूल से प्रदूषण में इजाफा
गुरुग्राम, कार्यालय संवाददाता मिलेनियम सिटी में चल रहे निर्माण कार्य शहर की हवा को...
गुरुग्राम। मिलेनियम सिटी में चल रहे निर्माण कार्य शहर की हवा को लगातार जहरीला बना रहे हैं। साल के 12 महीने शहर के लोगों को प्रदूषित हवा में सांस लेना पड़ रहा है। जिसका असर सीधा लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। यही कारण है कि पहले जहां नवंबर और दिसंबर महीने में प्रदूषण के कारण अस्पतालों की ओपीडी में सांस के मरीज आते थे, वहीं अब पूरे साल ओपीडी में सांस के मरीजों का आना जाना लगा रहता है। निर्माण स्थलों पर उड़ने वाली धूल के कारण प्रदूषण के स्तर में लगातार इजाफा हो रहा है। सोमवार को हुई बारिश के प्रदूषण का स्तर काफी नीचे आ गया था, लेकिन इसमें एक बार फिर बढ़ोतरी हुई है। शुक्रवार को गुरुग्राम का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 226 रहा। निर्माण कार्य कर रही एजेंसियों की लापरवाही की वजह से शहर की हवा लोगों के लिए दमघोंटू बनी हुई है।
खुले में रखी है निर्माण सामग्री
ओल्ड दिल्ली रोड स्थित अतुल कटारिया चौक पर फ्लाईओवर और अंडरपास का काम चल रहा है। एनजीटी के आदेशानुसार निर्माण स्थलों पर प्रदूषण नियंत्रण के माकूल इंतजाम होने चाहिए। निर्माण सामग्री पूरी तरह ढकी होनी चाहिए, लेकिन चौक पर निर्माण करने वाली कंपनी इन सब नियमों का पालन नहीं कर रही है। निर्माण स्थल पर निर्माण सामग्री खुले में ही पड़ी हुई है। इसकी वजह से सीमेंट और मिट्टी हवा के साथ दिनभर उड़ती रहती है, जो आबोहवा को जहरीला बना रही है। नियमों का पालन हो रहा है या नहीं इसकी जांच को लेकर भी प्रदूषण विभाग के अधिकारी गंभीर नहीं हैं। निर्माण स्थलों का निरीक्षण कर नियमों की अनदेखी करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती है।
टूटी सड़कों की वजह से उड़ती है धूल
शहर में विभिन्न स्थानों पर अंडरपास और फ्लाईओवर का निर्माण हो रहा है। वहीं सोहना रोड पर एलिवेटेड मार्ग और अंडरपास का व खेड़कीदौला से दिल्ली के बीच द्वारका एक्सप्रेसवे का निर्माण हो रहा है। इन सभी जगहों पर निर्माण होने की वजह से सड़कें टूटी पड़ी हैं। वहीं शहर के अंदरूनी हिस्सों में भी कई जगह पर सड़कें क्षतिग्रस्त हैं। सड़कों पर जगह जगह गड्ढे बने हुए हैं। ऐसे में इन सड़कों से जब वाहन गुजरते हैं, तो सड़कों पर पसरी धूल का गुब्बार उड़कर आसमान में छा जाता है। जो प्रदूषण के स्तर को लगातार बढ़ा रहा है। वहीं निगम के कर्मचारी भी सड़कों पर झाडू लगाकर किनारों में इकट्ठा कर उनके ढेर लगा देते हैं। जो हवा में दिनभर उड़ती रहती है।
पानी का नहीं होता नियमित छिड़काव
निर्माण स्थलों पर खानापूर्ति के लिए दिन में एक या दो बार पानी का छिड़काव कर दिया जाता है। नियमित तौर पर पानी का छिड़काव नहीं होने से धूल उड़ती रहती है। वहीं अधिकांश स्थानों पर नियमों का पालन किए बिना निर्माण कार्य चल रहे हैं। हरी चादर या शेड लगाए बिना धड़ल्ले से निर्माण कार्य चलते रहते हैं। जिसकी वजह से तोड़फोड और निर्माण के दौरान धूल उड़ती रहती है। शहर में जगह जगह खुले में मलबे के भी ढेर लगे हुए हैं। जो प्रदूषण का एक कारण है।
तीन दिन में साढ़े तीन गुणा बढ़ा प्रदूषण:
सोमवार को हुई बारिश ने एक ओर जहां शहरवासियों को गर्मी से राहत दिलाई थी, वहीं इससे प्रदूषण के स्तर में भी कमी आई थी। रविवार को शहर का एक्यूआई 164 था। सोमवार को बारिश के बाद से घटकर 134 और मंगलवार को 66 पर आ गया था, लेकिन बारिश के बावजूद शहर में प्रदूषण की समस्या ज्यादा समय तक दूर नहीं रह पाई। 25 मई को एक्यूआई बढ़कर 158 पर, 26 मई को 180 पर और 27 मई को बढ़कर 226 पर पहुंच गया।
गुरुग्राम में एक्यूआई का एक सप्ताह का आंकड़ा
दिन प्रदूषण
27 मई 226
26 मई 180
25 मई 158
24 मई 66
23 मई 134
22 मई 163
21 मई 280