जलभराव से स्थायी निजात की तैयारी, डेनमार्क की जल निकासी प्रणाली पर होगा काम
गुरुग्राम नगर निगम ने हर साल मानसून में होने वाले जलभराव से स्थायी छुटकारा पाने के लिए डेनमार्क की जल निकासी प्रबंधन प्रणाली को अपनाने का निर्णय लिया है। इसके तहत, विशेषज्ञों के साथ बैठक कर जल निकासी...

गुरुग्राम, वरिष्ठ संवाददाता। गुरुग्राम को हर साल मानसून में होने वाले गंभीर जलभराव की समस्या से स्थायी छुटकारा दिलाने की दिशा में नगर निगम गुरुग्राम (एमसीजी) ने एक बड़ा कदम उठाया है। नगर निगम द्वारा अब डेनमार्क की जल निकासी प्रबंधन प्रणाली को अपनाएगा। इसको लेकर निगम ने अध्ययन करना शुरू कर दिया है। पिछले दिनों डेनमार्क दूतावास के एक विशेषज्ञ प्रतिनिधिमंडल ने, जिसमें डेनिश हाइड्रोलिक इंस्टीट्यूट (डीएचआई) के विशेषज्ञ शामिल थे, एमसीजी के अधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य गुरुग्राम की जल निकासी प्रणाली (ड्रेनेज सिस्टम) की चुनौतियों को समझना और उसे डेनमार्क की हाइड्रोलॉजिकल मॉडलिंग प्रणाली के आधार पर उन्नत बनाना था।
निगम के अतिरिक्त आयुक्त यश जलूका ने बताया कि डेनिश प्रतिनिधिमंडल गुरुग्राम की मौजूदा जल निकासी प्रणाली और उसकी समस्याओं को जानना चाहता था। डीएचआई के प्रतिनिधियों ने एमसीजी अधिकारियों को विस्तार से समझाया कि दुनिया भर के शहर एकीकृत मॉडलिंग, उन्नत पूर्वानुमान प्रणाली और लचीले, टिकाऊ शहरी डिज़ाइन का उपयोग करके भारी बारिश का प्रबंधन कैसे करते हैं। इस चर्चा का मुख्य लक्ष्य गुरुग्राम को केवल बाढ़ पर प्रतिक्रिया देने से हटाकर सक्रिय शहरी जल लचीलापन (यानी, बाढ़ से निपटने के लिए पहले से पूरी तरह तैयार रहना) की ओर ले जाना है। शहर की स्थिति से डेनमार्क के प्रतिनिधियों को करवाया अवगत अतिरिक्त आयुक्त जलूका ने प्रतिनिधिमंडल को शहर की भौगोलिक बनावट और तूफानी जल प्रबंधन की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि शहर का जल निकासी ढांचा अरावली की पहाड़ियों से शुरू होकर नजफगढ़ नाले की ओर बहता है, और पानी के बहाव को नियंत्रित करने के लिए अरावली में चेक डैम और छोटे नाले बनाए गए हैं। जलूका ने आगे बताया कि डीएचआई ने विस्तृत हाइड्रोलॉजिकल मॉडलिंग के माध्यम से एमसीजी को सहयोग देने में गहरी रुचि व्यक्त की है। क्या है हाइड्रोलॉजिकल मॉडलिंग योजना हाइड्रोलॉजिकल मॉडलिंग एक ऐसी उन्नत वैज्ञानिक तकनीक है, जिसमें पृथ्वी के जल चक्र के सरलीकृत मॉडल का उपयोग किया जाता है। यह विशेषज्ञों को अपवाह (बारिश के पानी का बहाव), अंतर्स्पंदन (पानी का ज़मीन में सोखना) और वाष्पीकरण जैसी जल प्रक्रियाओं को समझने और उनकी भविष्यवाणी करने में मदद करती है। इस तकनीक की मदद से बाढ़ आने से पहले ही संभावित जोखिमों का सटीक आकलन किया जा सकेगा और निकासी नेटवर्क को उसके हिसाब से तैयार किया जा सकेगा। आगामी मानसून से पहले होंगी ये तैयारियां: निगम ने डेनिश प्रतिनिधिमंडल को अपनी भविष्य की योजनाओं से भी अवगत कराया। इन योजनाओं में जलभराव वाले क्षेत्रों में बाढ़ संसूचन सेंसर और स्वचालित पंप लगाना शामिल है। अधिकारियों ने बताया कि शहर में तीन मास्टर ड्रेन बनाए गए हैं, जबकि चौथा ड्रेन तीन से चार महीने में पूरा होने की उम्मीद है। इसके अलावा, सभी बरसाती नालों का नवीनीकरण (रीमॉडेलिंग) किया जाएगा और उन सभी में सेंसर का प्रयोग किया जाएगा ताकि पानी के स्तर को लगातार मापा जा सके। निगम की योजनाओं में सड़कों के स्तर से नीचे ग्रीन बेल्ट बनाना और तालाबों को पुनर्जीवित करना भी शामिल है। इसका उद्देश्य यह है कि बारिश का पानी इन तालाबों में जमा हो सके और जलभराव की समस्या कम हो। अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि इन सभी प्रयासों को आगामी मानसून से पहले पूरा कर लिया जाएगा, ताकि इस साल की तरह गंभीर बाढ़ और ट्रैफिक जाम का सामना न करना पड़े। बैठक में बड़ी इमारतों और सोसाइटियों में वर्षा जल संचयन प्रणाली (बारिश के पानी को जमा करने की व्यवस्था) को लागू करने पर भी विशेष बल दिया गया। डेनमार्क का सफल मॉडल बैठक में डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन का उदाहरण दिया गया, जो दुनिया में जल प्रबंधन के लिए जाना जाता है। कोपेनहेगन भी अतीत में शहरी बाढ़ का शिकार रहा था, खासकर 2011 के 'क्लाउडबर्स्ट' (अत्यधिक भारी बारिश) के बाद। इस घटना ने डेनिश सरकार को बाढ़ सुरक्षा में क्रांतिकारी बदलाव लाने पर मजबूर किया। आज, डेनमार्क की जल निकासी प्रणाली अपनी दक्षता के लिए जानी जाती है, जहां पानी का रिसाव केवल 5 प्रतिशत है। इतना ही नहीं, वे सीवरेज के गंदे पानी को साफ करके उससे ऊर्जा और खाद भी बनाते हैं, जो एक बेहतरीन टिकाऊ मॉडल है। डेनमार्क अब बाढ़ पर प्रतिक्रिया देने के बजाय सक्रिय रूप से तैयारी करने की रणनीति अपनाता है। नगर निगम अब इसी सफल मॉडल से सीखने और उसे गुरुग्राम में लागू करने की दिशा में बढ़ रहा है। शहर में जलभराव से निजात के लिए जो भी प्रणाली सुगम होगी उसे लागू किया जाएगा। डेनमार्क की तर्ज पर हाइड्रोलॉजिकल मॉडलिंग प्रणाली पर काम किया जाएगा। इसको लेकर अध्ययन किया जा रहा है। - प्रदीप दहिया, निगम आयुक्त, गुरुग्राम।
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