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स्टांप घोटाला : अफसरों पर दर्ज केस रद्द करने का आदेश

स्टांप ड्यूटी घोटाले में फंसे अधिकारियों और बिल्डरों को जिला अदालत ने शुक्रवार को बड़ी राहत दी है। आरोपियों की अपील याचिका पर सुनवाई करते हुए अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुरुचि अतरेजा सिंह की...

स्टांप घोटाला : अफसरों पर दर्ज केस रद्द करने का आदेश
हिन्दुस्तान टीम,गुड़गांवFri, 14 Dec 2018 08:30 PM
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स्टांप ड्यूटी घोटाले में फंसे अधिकारियों और बिल्डरों को जिला अदालत ने शुक्रवार को बड़ी राहत दी है। आरोपियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुरुचि अतरेजा सिंह की अदालत ने निचली अदालत के फैसले को रद्द कर दिया। निचली अदालत ने एक दिसंबर को सभी 31 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए थे।

शिकायतकर्ता और अपना केस खुद लड़ने वाले रमेश यादव ने बताया कि जिला अदालत ने शुक्रवार की सुनवाई में निचली अदालत के फैसले को रद्द कर दिया। फैसले की कॉपी शनिवार को मिलने की उम्मीद है। उसी के बाद यह स्पष्ट हो पाएगा कि इसके पीछे क्या आधार बनाया गया।

रमेश यादव के मुताबिक मानेसर में वर्ष 2009 से 2013 के बीच हुई रजिस्ट्री में घोटाले का मामला न्यायिक मजिस्ट्रेट नवीन कुमार की अदालत में था। जहां अदालत ने एक दिसंबर को अपना फैसला सुनाते हुए छह तहसीलदारों, 14 बिल्डर, कंप्यूटर ऑपरेटर और रजिस्ट्री क्लर्क समेत कुल 31 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करने के आदेश दिए थे। अदालत ने पुलिस को मामले की विधिवत जांच करने को कहा था। उन्होंने बताया कि मामले की जांच में पाया गया था कि 14 बिल्डरों की रजिस्ट्री में 2 फीसदी स्टांप ड्यूटी कम वसूली गई है। इससे हरियाणा सरकार को करीब 5 करोड़ 9 लाख रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है।

यह रिपोर्ट सहायक पुलिस आयुक्त ने 28 अप्रैल 2016 को पुलिस उपायुक्त को भेजी थी। उन्होंने भी जांच में रिपोर्ट को सही पाया और 18 जून 2016 को तत्कालीन पुलिस आयुक्त नवदीप सिंह विर्क को सौंप दी। उन्होंने इसे विजिलेंस को सौंप दिया। विजिलेंस ने जांच के लिए हरियाणा सरकार से अनुमति मांगी, लेकिन सरकार से अनुमति नहीं मिली। इसके बाद 20 जुलाई 2017 को शिकायतर्का ने अदालत में याचिका दायर की थी।

आरटीआई से मिली जानकारी

रमेश यादव ने अपनी याचिका में बताया कि बिल्डरों को बेची गई जमीन पर 2 फीसदी स्टांप ड्यूटी कम ली गई थी। यह जानकारी उन्हें आरटीआई के जरिए मिली थी। इस जानकारी के बाद उन्होंने मुकदमे में तत्कालीन तहसीलदार हरिओम अत्री (डीआरओ गुरुग्राम), पंकज सेतिया, केएस ढाका, बलराज सिंह, ललित गुप्ता, रणविजय व एक अन्य, बिल्डर मैसर्स वाटिका, एस्पो डेवलेपर्स, मराठन प्रमोटर्स, मेंडेल डेवलेपर्स, बेंडेक डेवलेपर्स, फेमिना डेवलेपर्स, केस्पर डेवलेपर्स, नॉर्थ स्टार अपार्टमेंट, ब्ल्यू चिप प्रॉपर्टीज, निनेक्स डेवलेपर्स, ब्ल्यूजेज रियलटेक, लीला लेस इस्टेट, ग्रोमोर बिल्डटेक, सिरियटिम लैंड एंड हाउसिंग सहित रजिस्ट्री क्लर्क मानेसर तहसील अशोक कुमार-1, जगमाल, विकास, देवेंद्र, अशोक कुमार-2, कंप्यूटर ऑपरेटर सुनीता, रॉबिन, सरबजीत को इस मामले में पार्टी बनाया था।

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