पिता ने किडनी देकर बेटी की जान बचाई
गुरुग्राम। सोमदत्त शर्मा
गुरुग्राम। वरिष्ठ संवाददाता
खराब लिंगानुपात के लिए बदनाम हरियाणा ने एक ऐसी मिसाल पेश की है, जिस पर देशवासियों को गर्व होगा। यहां के बीएसएफ से सेवानिवृत्त एक पिता ने बेटी की किडनी (गुर्दा) खराब होने पर उसे अपना एक गुर्दा दे दिया। इससे बेटी की जान बच गई। किडनी ट्रांसप्लांट (गुर्दा प्रत्यारोपण) होने के अब वह पूरी तरह स्वस्थ है। बारहवीं में उसका दाखिला भी हो गया है।
गौरतलब है कि बिलासपुर निवासी उम्मेद सिंह की बेटी नीतू की दिसंबर 2016 में किडनी खराब हो गई थी। इस पर डॉक्टरों ने किडनी ट्रांसप्लांट कराने का सुझाव दिया। 16 वर्षीय बेटी की जान बचाने के लिए पिता आगे आए। उम्मेद सिंह ने डॉक्टरों से खुद की किडनी की जांच कराई।
बीएसएफ से सेवानिवृत्त जवान की किडनी प्रत्यारोपण के लिए सही पाई गई तो नीतू के लिए 16 दिसंबर 2017 को किडनी प्रत्यारोपण किया गया। प्रत्यारोपण के सफल रहने के बाद अब बेटी पूरी तरह से स्वस्थ और सुरक्षित है।
लंबे होने की दवा ने नुकसान किया
नीतू के गुर्दे एक दवा की वजह से खराब हुए थे। परिजनों के मुताबिक नीतू ने लंबाई बढ़ाने के लिए एक नामी कंपनी की दवा खाई थी। लेकिन दवा के दुष्प्रभाव से नीतू बीमार पड़ गईं। डॉक्टरों की जांच के बाद अस्पताल में कुछ ही समय के भीतर किडनी खराब हो गईं।
समाज के लोगों ने किया था मना
उम्मेद सिंह ने जब बेटी की जान बचाने के लिए किडनी देने का फैसला किया तो तमाम रिश्तेदारों ने रोका, मगर उन्होंने दकियानुसी बातों को नहीं माना। उम्मेद सिंह ने बताया कि उस वक्त लोग कहते थे कि गुर्दा देने से बीमार हो सकते हो। उस समय फैसला किया कि चाहे कुछ हो जाए बेटी को किडनी देकर नया जीवन दूंगा।
बारहवीं में प्रवेश दिलाया
उम्मेद सिंह, बेटी की आगे की पढ़ाई निजी स्कूल से करा रहे हैं। पिता ने बारहवीं कक्षा में कला संकाय से पढ़ाई के लिए प्रवेश करा दिया है। बिलासपुर के पास ही स्थित निजी स्कूल से छात्रा पढ़ाई करेगी। नीतू ने कहा कि उनका सपना पापा का नाम पूरे समाज में रोशन करने का है। इसके लिए मन लगाकर बारहवीं में पढ़ाई करूंगी।