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फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़, 10 गिरफ्तार

साइबर अपराध शाखा ने दिल्ली में चल रहे फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड किया है। कॉल सेंटर में काम करने वाले लोग नौकरी दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी कर रोजाना लाखों रुपये वसुलते थे। पुलिस ने शुक्रवार शाम को...

फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़, 10 गिरफ्तार
हिन्दुस्तान टीम,गुड़गांवSat, 09 Dec 2017 08:52 PM
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साइबर अपराध शाखा ने दिल्ली में चल रहे फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया है। कॉल सेंटर में काम करने वाले लोग नौकरी दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी कर रोजाना लाखों रुपये वसूलते थे। पुलिस ने शुक्रवार शाम को दिल्ली तुगलकाबाद स्थित मोहन एस्टेट में छापेमारी कर 10 लोगों को गिरफ़्तार किया है। कॉल सेंटर के मास्टर माइंड लक्ष्मण और उसकी पत्नी सिंपल अभी फरार हैं।

पकड़े गए आरोपियों से पुलिस को पता चला कि मास्टर माइंड सिंपल एक जॉब प्लेसमेंट साइट से दस हजार रुपये में हर माह डाटा ले लेता था। इसके बाद ये लोग नौकरी दिलाने के नाम पर लोगों से लाखों रुपये वसूलते थे। दिल्ली में कॉल सेंटर पिछले 18 महीनों से चल रहा है। पुलिस ने कॉल सेंटर से 47 मोबाइल फोन, 60 कंप्यूटर और सीपीयू बरामद किया है। पकड़े गए सभी आरोपियों को शनिवार कोर्ट में पेश कर दो दिन के रिमांड पर लिया गया है।

रोजाना एक हजार लोगों को करते थे कॉल

पुलिस ने बताया कि कॉल सेंटर में पचास से अधिक लोग काम करते थे। इनमें अधिकतर लड़कियां काम कर रही थीं। वे रोजाना एक हजार से अधिक लोगों को नौकरी दिलवाने के लिए कॉल करते थे, जिनमें से रोजाना 25 से 30 लोग इनके झांसे में आ जाते थे। उसके बाद वे हरेक से लगभद एक से तीन लाख रुपये ठग लेते थे और फर्जी कंपनी का नियुक्ति पत्र देते थे।

महीने में ठगते थे एक से दो करोड़

जांच में सामने आया है कि फर्जी कॉल सेंटर के सहारे आरोपी हर माह एक से दो करोड़ रुपये ठग लेते थे। अधिकतर लोगों से वे अपने खातों में पैसे ट्रांसफर करवा लेते थे। ये खाते बिहार, झारखंड और यूपी के होते थे।

साक्षात्कार व आवेदन के लिए अलग फीस

आरोपियों ने बताया कि वे साक्षात्कार व आवेदन के लिए वह अलग फीस वसूलते थे। साक्षात्कार के लिए दो हजार रुपये और आवेदन की फीस 1500 रुपये वसूलते थे। इसके बाद फर्जी नियुक्ति पत्र देने के लिए लाखों रुपये वसूलते थे।

रोजाना मिलता था 40 लोगों का डाटा

इंस्पेक्टर आनंद सिंह ने बताया कि कॉल सेंटर में काम करने वाली लड़कियों और लड़कों को रोजाना 40 लोगों को डाटा दिया जाता था। उसमें से हर कर्मचारी को तीन से चार लोगों को फांसने को कहा जाता था।

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