20 फीट की ऊंचाई पर श्रीराम ने सीता को जयमाला पहनाई
जैकमपुरा स्थित श्री दुर्गा रामलीला कमेटी की ओर से रामलीला के तीसरे दिन सीता स्वयंवर की लीला दिखाई गई। के बाद वरमाला के आयोजन को यादगार बना दिया। गुंबद के बीच से रंगीन रोशनियों के बीच लिफ्ट के माध्यम...
जैकबपुरा स्थित श्री दुर्गा रामलीला कमेटी की ओर से आयोजित की जा रही रामलीला में तीसरे दिन कलाकारों ने सीता स्वयंवर का मंचन किया। इस दौरान आकर्षक रूप से रंगीन रोशनी से नहाए स्टेज पर करीब 20 फीट की ऊंचाई पर श्रीराम की ओर से सीता को जयमाला पहनाने के दृश्य की प्रस्तुति दी गई। इस दृश्य को कलाकारों ने अपने अभिनय से जीवंत कर दिया, जिसकी दर्शक भी प्रशंसा किए बिना नहीं रह सके।
बुधवार रात को रामलीला के तीसरे दिन रामलीला में राम का अभिनय केशव जलिंद्रा, लक्ष्मण की भूमिका मुकुल चाहर, सीता की भूमिका कनिष्क सैनी, जनक की भूमिका तिलकराज, गुरु वशिष्ठ की अशोक सिरोडिया, गुरु का दयाल सौदा, बाणासुर की तेजिंद्र सैनी, रावण राजकुमार बिजली, परशुराम की भूमिका सुरेश सहरावत ने निभाई। रामलीला की शुरुआत ताड़का वध के बाद गुरु वशिष्ठ के साथ राम-लक्ष्मण के वन में बिताने से हुई। गुरु वरिष्ठ ने राम-लक्ष्मण को गंगा के दर्शन कराकर उनकी महिमा बताई। बाद में घूमते हुए जनकपुरी पहुंचे। इसी समय राजा जनक ने सीता का स्वयंवर भी रखा हुआ था। इसकी जानकारी गुरु वशिष्ठ को भी दी गई। इस पर रामलक्ष्मण भी स्वयंवर में शामिल हुए। राम के शिव धनुष तोड़ने के बाद मंच पर फूल-पत्तियों की बारिश भी कराई गई।
लक्ष्मण-परशुराम संवाद रहा लाजवाब
जैकबपुरा रामलीला में लक्ष्मण-परशुराम संवाद बेहतरीन रहा। दोनों ने एक-दूसरे पर तंज कसते हुए बखूबी अपना किरदार निभाया। जब राम-सीता ने एक-दूसरे का माला पहना दी तो राजा जनक के दरबार में भगवान परशुराम पहुंचते हैं। टूटा हुआ धनुष देखकर वे क्रोधित हुए और बोले-ओ जनक जरा जल्दी बता ये धनुष किसने तोड़ा है, इस भरे स्वयंवर में किसने सीता से नाता जोड़ा है। जवाब में राम ने कहा-जो कृपा पात्र हैं गुरुओं का वह कब किससे डर सकता है, जिस पर कृपा हो ब्राह्मणों की यह काम वही कर सकता है। इसके बाद भी परशुराम शांत नहीं हुए। इस पर लक्ष्मण ने उनके साथ संवाद करते हुए उन्हें काफी समझाया, लेकिन वे नहीं माने। अंत में भगवान परशुराम अपना फरसा लेकर लक्ष्मण पर ही वार करने को दौड़ पड़े। इस बीच उन्हें समझाया गया।