मां से मोरल सपोर्ट मिलता तो बच सकती थी दीपिका की जान
निजी बैंक में सहायक निदेशक रही दीपिका पति के उत्पीड़न परेशान हो चुकी थी। उसने पति से तलाक के लिए कई बार अपनी मां से बात भी की, लेकिन उसकी मां को दीपिका के पतिव्रत धर्म पर भरोसा था। उसे उम्मीद थी करवा...
दीपिका हत्याकांड
- करवा चौथ की रात आठवीं मंजिल स्थित फ्लैट से धक्का देकर पति ने की हत्या
- मां को भरोसा था कि बेटी की कोशिशों से बदल जाएगा विक्रम का मन
देश में पति को परमेश्वर माने जाने की सोच गहरे तक पैठी हुई है। अंसल वैली सोसाइटी की दीपिका के परिजन इससे दूरी बना पाते तो शायद उसकी जान बच जाती। वह पति को तलाक देना चाहती थी।
गौरतलब है कि ग्वाल पहाड़ी स्थित अंसल वैली सोसाइटी में रहने वाले निजी बैंक में सहायक निदेशक रही दीपिका पति विक्रम चौहान के उत्पीड़न से परेशान हो चुकी थी।
उसने पति से तलाक के लिए कई बार अपनी मां से बात भी की, लेकिन उसकी मां ने उसे पति के परमेश्वर होने की सीख देकर चुप करा दिया। दीपिका की मां को विश्वास था कि एक दिन विक्रम का मन बदल जाएगा। इधर, दीपिका की ओर से तलाक न दिए जाने पर विक्रम ने उसकी हत्या की योजना बना ली। आखिरकार उसने भाई के साथ मिलकर करवा चौथ की ही रात आठवीं मंजिल पर स्थित फ्लैट से धक्का देकर मार दिया।
भूखे प्यासे सो गई मौत की नींद
पुलिस के मुताबिक दीपिका की मौत के बाद बिसरा जांच के लिए एफएसएल भेजा गया था। इसमें पाया गया है कि करवा चौथ के व्रत की वजह से दीपिका के पेट में न तो अन्न का एक दाना मिला और न ही मौत के 24 घंटे पहले से उसके मूंह में पानी की एक बूंद ही गई थी। 24 घंटे की इस भूख और प्यास की वजह से उसकी अंतड़ियां सूखी हुईं थीं। वहीं होठों पर मोटी पपड़ी पड़ गई थी।
पत्नी-प्रेमिका दोनों ने किया था व्रत
पुलिस के मुताबिक करवा चौथ पर विक्रम चौहान के लिए उसकी पत्नी दीपिका ने तो व्रत किया ही था, उसकी प्रेमिका शेफाली ने भी व्रत रखा था। चांद निकलने पर विक्रम शेफाली के पास ही जाना चाह रहा था, जबकि दीपिका उसे ऐसा करने से रोक रही थी। इसी बात को लेकर विवाद बढ़ा और विक्रम ने अपने भाई के साथ मिलकर दीपिका को बालकनी से नीचे फेंक दिया।
प्रेमिका के बावला कहने पर होश खो बैठा
डीएलएफ फेज एक के थाना प्रभारी इंस्पेक्टर संजीव कुमार के मुताबिक विक्रम और शेफाली ने जून महीने में दीपिका की हत्या की योजना तैयार कर ली थी। हालांकि विक्रम दीपिका की हत्या के पक्ष में नहीं था। इसलिए वह लगातार टाल रहा था, लेकिन वारदात के आठ मिनट पहले की चैटिंग में शेफाली ने जैसे ही लूजर कहा, विक्रम बावला हो गया। उस समय उसके पास दो ही विकल्प थे या तो खुद आत्महत्या कर ले या फिर दीपिका को खत्म कर दे। उसने यह दोनों प्रस्ताव अपने भाई के सामने रखा और आनन फानन में वारदात को अंजाम दे डाला।
दीपिका ने खूब किया बचाव
वारदात से पहले दीपिका ने अपने बचाव के लिए खूब प्रयास किया। यहां तक कि उसने अपने पैर बालकनी की रेलिंग में फंसा लिया, लेकिन विक्रम ने उसके पैरों को रेलिंग से खींच कर धक्का मार दिया। इस दौरान विक्रम का भाई उसके हाथों को पकड़े रहा, लेकिन झटका लगते ही उसने भी छोड़ दिया।