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जिले के 82 स्थानों पर अस्त हो रहे सूर्य को अर्घ्य दिया

मिलेनियम सिटी में प्रकृति के प्रत्यक्ष देव भगवान सूर्य की पूजा के लिए मंगलवार शाम को छठ घाटों पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। जिले में छठ पूजा के लिए 82 स्थानों पर इंतजाम किए गए...

जिले के 82 स्थानों पर अस्त हो रहे सूर्य को अर्घ्य दिया
हिन्दुस्तान टीम,गुड़गांवTue, 13 Nov 2018 07:02 PM
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मिलेनियम सिटी में प्रकृति के प्रत्यक्ष देव भगवान सूर्य की पूजा के लिए मंगलवार शाम को छठ घाटों पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। जिले में छठ पूजा के लिए 82 स्थानों पर इंतजाम किए गए थे। इनमें से 25 स्थानों पर प्राकृतिक सरोवर में पूजा हुई तो बाकी स्थानों पर व्रतियों ने कृत्रिम सरोवर बनाकर भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया। इसको लेकर पूजा-अर्चना के लिए व्रती दोपहर ढाई बजे यहां पहुंच गए थे और धैर्य के साथ तीन घंटे तक सूर्य देव के अस्त होने के इंतजार और पूजा करने की तैयारी में जुटे रहे। बाद में जैसे ही पश्चिम दिशा में सूर्य के ढलने के दौरान की लालिमा दिखाई दी, व्रतियों ने सूर्य देव की प्रार्थना कर अर्घ्य दिया।

चार दिन के कठोर अनुशासन और निर्जला व्रत के बावजूद व्रतियों का उत्साह देखने लायक था। दोपहर बाद जब व्रती सिर पर दउरा और हाथ में कोसी लेकर घाटों की ओर निकले तो जगह-जगह मेले जैसे हालात बन गए। ढाई बजे से घाटों पर व्रतियों के आने का क्रम शुरू हुआ। इधर,शाम चार बजे तक सभी घाट खचाखच भर गए। विभिन्न घाटों पर आयोजन समितियों ने अर्घ्य के दौरान मंत्रोच्चार के लिए पंडितों की व्यवस्था की थी। लेकिन कई जगह व्रतियों ने अपने पति या पुत्रों से अर्घ्य दिलाकर पहली पूजा संपन्न कराई। इधर, 22 स्थानों पर हो रहे छठ पूजा के आयोजन के दौरान नगर निगम ने साफ सफाई और रोशनी के इंतजाम किए थे। बाकी स्थानों पर आयोजन समितियों ने खुद व्यवस्था किया था।

ये है भोर में अर्घ्य का मुहूर्त

13 नवंबर को प्रथम अर्घ्य शुभ समय 5 बजकर 25 मिनट से सूर्यास्त तक दिया गया। इसी अर्घ्य से सूर्य देव की पूजा शुरू होती है। इसके बाद अगली सुबह 14 नवंबर को दूसरा अर्घ्य भोर में दिया जाएगा। इसका शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 32 मिनट पर शुरू होगा।

दीपमाला से घाटों पर दिखी भव्यता

पूजा के दौरान छठ घाटों पर करीने से सजे दउरा, कोसी और दीयों की दीपमाला से घाटों पर भव्यता आ गई थी। वहीं छठी मइया की गीतों ने पूरे माहौल को भक्तिमय बना दिया था, श्रद्धालुओं ने मां की पूजा कर आशीर्वाद मांगा। घाटों पर ऐसी रौनक थी कि आसपास से गुजरने वाले स्थानीय लोग भी कुछ देर घाटों पर रूके बिना नहीं रह पा रहे थे। इसने एक बार फिर पूर्वांचल की संस्कृति की भव्यता से दूसरे लोगों को रूबरू कराया है।

सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य

अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के बाद सभी व्रती अपने अपने घरों को लौट गए। अपनी मनौतियां मांगी और पुत्र, पौत्र, सुख समृद्धि की याचना की। यह सभी व्रती अगले दिन सुबह चार बजे एक बार सिर पर दउरा और हाथ में कोसी लेकर घाटों की ओर चल पड़ेंगे। यहां करीब छह बजे उदित नारायण को अर्घ्य दिया जाएगा। इसके साथ 36 घंटे के कठोर व्रत एवं अनुशासन का पालन करेंगे।

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माता मंदिर में दिखी अव्यवस्था

श्रीमाता शीतला देवी मंदिर के ब्रह्मसरोवर में पाटलिपुत्र सांस्कृतिक चेतना समिति के बैनर तले आयोजित छठ पूजा में कई अव्यवस्था भी दिखी। इस स्थान पर मंगलवार को करीब साढ़े चार हजार व्रती भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के लिए पहुंचे थे, लेकिन अव्यवस्था के चलते व्रतियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। आलम यह था कि व्रतियों के घाट पर पहुंचने तक सरोवर और बैठने के स्थान की सफाई का काम ही चल रहा था।

व्रतियों के लिए बेहतर इंतजाम

कन्हई और देवीलाल कालोनी स्थित कृत्रिम सरोवर और सेक्टर चार स्थित फाउंटेन पार्क में व्रतियों के लिए संबंधित आयोजन समितियों ने व्रतियों के लिए विशेष इंतजाम थे। खासतौर पर पानी में खड़े होने के बाद कपड़े बदलने या शौच के लिए मोबाइल टायलेट की व्यवस्था की गई थी।

घाटों पर बढ़ाई गई सुरक्षा

छठ घाटों पर इतनी भीड़ के बावजूद आयोजन समितियों ने अनुशासन बनाए रखने के लिए अच्छी व्यवस्था रखी। सेक्टर चार स्थित फाउंटेन पार्क में तो पर्व आयोजन समिति ने जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगाए थे। वहीं व्रतियों की सुविधा के लिए महिला सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की थी। इसी तरह शीतला माता मंदिर में भी प्रबंधन की ओर से सुरक्षा गार्ड लगाए गए थे।

नहीं मिला गाय का दूध

अर्घ्य का सामान जुटाने में व्रतियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। खासतौर पर गाय का दूध ज्यादातर छठ घाटों पर उपलब्ध नहीं हो सका। मजबूरी में व्रतियों ने पैकेट के दूध में गंगा जल मिलाकर भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया। हालांकि सेक्टर चार स्थित फाउंटेन पार्क में व्रतियों की सुविधा के लिए आयोजन समिति ने पास के गांवों से गाय के दूध का इंतजाम किया था।

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अर्घ्य के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम

ज्यादातर छठ घाटों पर घाट अगोराई के तहत सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इन कार्यक्रम में पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार से आए कलाकारों ने भोजपुरी और मैथिली गीतों की प्रस्तुति दी। कलाकारों ने छठी मइया की महिमा का गुणगान किया।

हेल्पलाइन पर नहीं आई कॉल

छठ समितियों की ओर से पूजा के दौरान किसी तरह की आपातस्थिति की आशंका के तहत हेल्पलाइन नंबर जारी किया था। इस हेल्पलाइन के माध्यम से एम्बुलेंस समेत अन्य सेवाएं तैयार की गईं थीं। लेकिन कहीं से भी मदद के लिए पूरे दिन में कोई कॉल नहीं आई। हेल्पलाइन के संयोजक विपिन जायसवाल के मुताबिक यह हेल्पलाइन बुधवार की दोपहर तक सक्रिय रहेगी। कहीं से भी कॉल आने पर नि:शुल्क सेवा दी जाएगी।

विश्व कल्याण के लिए प्रार्थना

व्रतियों का कहना है कि छठ पूजा दुनिया का पहला और आखिरी ऐसा व्रत है। इसमें उपासना साक्षात प्रकृति देवता सूर्य की होती है। इस व्रत में मांगना कम देना ज्यादा होता है। पहले दिन के अर्घ्य में व्रती भगवान सूर्य देव का आभार प्रकट करते हैं कि उन्होंने पूरे दिन जन जीवन को जिंदा रहने के लिए रोशनी दी। वहीं उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रती इसी प्रकार भगवान से विश्व कल्याण की प्रार्थना करते हैं।

पूजा के सामान की विशेषता

छठ में पूजा में उन्हीं खाद्य वस्तुओं का प्रयोग होता है जो सूर्य किरणें अवशोषित कर प्रकृति हमें प्रदान करती है। यह सभी औषधीय गुणों से भरपूर है।

सुथनी: यह भूख नियंत्रित करता है। अल्सर, जलन व सूजन में कारगर। पर्याप्त मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट।

गागल: शरीर में पानी की कमी दूर करता है। मोटापा व खराब कोलेस्ट्रॉल घटाता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाता है।

सिंघाड़ा: दमा व बवासीर में फायदेमंद, कैल्शियम व आयोडीन युक्त। थायरॉयड में भी कारगर।

हल्दी: रोग प्रतिरोधक क्षमता। लीवर के लिए फायदेमंद तथा दाग व झुर्रियां मिटाने में सक्षम होती है।

मूली: भूख,पेट के कीड़े, पाइल्स और सूजन ठीक करने के औषधीय गुण।

शरीफा: विटामिन-सी व ए पोटैशियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम, तांबा व फाइबर युक्त होता है।

स्थान: पंजीरी प्लांट लक्ष्मण विहार

समय: 3 बजे

पूजा स्थल पर व्रती और उनके परिजन दोपहर करीब ढाई बजे से ही आने शुरू हो गए थे। तीन बजे तक यह पूजा स्थल व्रतियों और परिजनों से खचाखच भर गया। सभी व्रती अपनी अपनी वेदियों के पास बैठकर छठी मइया के गीत गाते हुए अस्ताचलगामी सूर्य नारायण की प्रतीक्षा करते रहे।

स्थान: सेक्टर चार फाउंटेन पार्क

समय: शाम 4 बजे

फाउंटेन पार्क के चारो ओर दो हजार से अधिक व्रती परिजनों के साथ अपनी अपनी वेदियों के पास बैठकर पूजा कर रहे थे। बड़ी संख्या में व्रती विशेष मनोकामना के तहत फाउंटेन के पानी में दीप यो कोसी लेकर खड़े थे। वहीं इनके परिजन किनारे पर बैठकर छठी मइया के गीत गुनगुना रहे थे।

स्थान: श्रीमता शीतला देवी ब्रह्मसरोवर

समय: शाम 5 बजे

भगवान सूर्य नारायण अस्ताचलगामी हैं। आसमान में उनकी लाली को देखकर व्रती अर्घ्य के लिए सरोवर की सीढ़ियों पर मंत्रोच्चार के साथ अर्घ्य देने लगे। अर्घ्य करीब आधे घंटे तक चला। इस दौरान व्रतियों को वहां मौजूद पंडितों ने अर्घ्य दिलवाया। वहीं बड़ी संख्या में व्रतियों ने अपने पति या पुत्र के हाथों अर्घ्य दिया।

16 शृंगार कर घाट पर पहुंचीं व्रती

छठ पूजा के लिए व्रती घाटों पर 16 शृंगार कर पहुंची थी। खास तौर पर मांग के बीच से शुरू होकर नाक तक सिंदूर, हाथों में मेहंदी, पैरो में आलता, गले में हार और मंगलसूत्र, हाथों में चूड़ियां व्रतियों की शोभा में चार चांद लगा रहे थे।

छठी मइया के गीत गुनगुनाए

व्रतियों और उनके परिजनों द्वारा छठी मइया के गीत गुनगुनाने से छठ घाटों पर ऐसा दृश्य बन गया था मानो यह गुरुग्राम नहीं, बल्कि बलिया, छपरा या पटना का कोई घाट हो। रही सही कसर अर्घ्य के बाद घाटों पर आयोजित भोजपुरी सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने पूरा कर दिया।

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सोहना में व्रतियों ने दिया अर्घ्य

सोहना के देवीलाल खेल स्टेडियम में छठ पूजा के एक दिन पहले ढलते सूरज का अर्घ्य दिया गया। इसमें सैकड़ों की संख्या में व्रती महिलाओं ने भाग लिया। मंगलवार को नगर के देवीलाल खेल स्टेडियम में छठ पूजन का कार्य शुरू किया गया। सायं 5 बजकर 45 मिनट पर ढलते सूर्य का अर्घ्य दिया गया। इसके लिए स्टेडियम परिसर में तालाब बनाया गया था, जहां पानी में खड़े होकर महिलाओं ने सूर्य को अर्घ्य दिया। ढलते सूरज का अर्घ्य देने के लिए वर्ती महिलाओं ने सायं पांच बजे से यहां पर आना आरंभ कर दिया था।

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