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साइबर सिटी में 50 हजार लोग मानसिक रोग से पीड़ित

गुरुग्राम। मुख्या संवाददाता रोजमर्रा की जिंदगी में बढ़ती भागदौड़ के चलते मानसिक रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इतना ही नहीं इससे जीवनशैली भी प्रभावित हो रही है। इसस डिप्रेशन की बीमारी बढ़...

साइबर सिटी में 50 हजार लोग मानसिक रोग से पीड़ित
हिन्दुस्तान टीम,गुड़गांवThu, 10 Aug 2017 08:29 PM
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गुरुग्राम। मुख्या संवाददाता रोजमर्रा की जिंदगी में बढ़ती भागदौड़ के चलते मानसिक रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इतना ही नहीं इससे जीवनशैली भी प्रभावित हो रही है। इसस डिप्रेशन की बीमारी बढ़ रही है। अकेले साइबर सिटी में 50 हजार से ज्यादा लोग मानसिक रोग से पीड़ित है। यह खुलासा खुलासा राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य संस्थान ‘निमहांस द्वारा करवाए गए सर्वेक्षण 2017 में हुआ है। जो कि बहुत चिंताजनक है। संबंध हेल्थ फाउंडेशन( एसएचएफ) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. राजीव अग्रवाल ने गुरुवार को सिविल अस्पताल में गंभीर मानसिक रोग पर बात करते हुए यह बातें कहीं। उन्होंने आशा और एएनएम कार्यकर्ताओं मानसिक रोगों के बारे में बताया। 40 पार वालों डिप्रेशन हावी: अग्रवाल बताया कि वर्तमान में डिप्रेशन के प्रभाव में 40 पार आयु वर्ग आ रहा है। खासतौर पर महिलाओं में यह समस्या अधिक सामने आई है जो कि चिंता का विषय है। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वे 2015- 16 के एक अनुमान के मुताबिक गुरुग्राम में 50,000 लोग मानसिक रोग से पीडि़त हैं। इसी तरह एक दशक पुराने एक अध्ययन में पाया गया था कि भारत में 10 करोड़ लोगों के व्यवस्थित देखभाल की जरूरत है। इस अध्ययन में बताई गई संख्या को आशा और एएनएम कार्यकर्ताओं की मदद और उनके सामयिक हस्तक्षेप से कम किया जा सकता है। इनकी पहुंच गांव -ढ़ाणी तक होती है इसलिए इनका आमजनता के घरों तक सीधी पहुचं हेाती है इसलिए गंभीर मानसिक रोग को कम करने में आशा और एएनएम की भूमिका अह्म हो सकती है। उन्होंने कहा कि मानसिक रोग और विसंगतियां किसी भी उम्र में हो सकती है और इसका असर अलग-अलग होता है। रोग लगने की बदनामी और समझदारी की कमी के कारण लोग स्वास्थ्य पेशेवरों की मदद नहीं ले पाते। इस तरह, रोग के उपचार के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण समय बर्बाद हो जाता है। आशा और एएनएम कार्यकर्ता इस दिशा में समय पर महत्वपूर्ण योगदान दे सकती दे सकती हैं। जंक फूड नुकसानदायक: सिविल अस्पताल के सीएमओ बी.के.राजौरा ने बताया कि बर्गर, पिज्जा, चॉकलेट, ठंडा, नुडूल्स आदि के खाने- पीने की समाज में स्वीकार्यता भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो रही है। इसके साथ ही हमारी जीवन शैली के कारण हम व्यायाम पर ध्यान नहीं देते जिससे शहरी आबादी का एक बड़ा हिस्सा मोटापे का शिकार हो रही है। जोकि चिंताजनक है। डा.राजौरा ने कहा कि हरियाणा सरकार ने जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम सिविल अस्पताल और एसएचएफ मिलकर समुदाय आधारित केंद्र चला रहे है। जिसमें विभिन्न तरह के मानसिक रोगो से स्वास्थ्य लाभ और जागरूकता के कार्यक्रम चलाए जा रहे है। सरकार की इस पहल के कारण रोगियों को उपचार समय रहते मदद और आसानी से उपचार उपलब्ध हो रहा है। जिससे जरूरतमंद लोगों के जीवन में काफी परिवर्तन आया है। इस केन्द्र में रह रहे कई मानसिक रोगियों ने स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर अपना आत्मविश्वास दुबारा से प्राप्त किया है।

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