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इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश से ग्रेटर नोएडा के 9 हजार फ्लैट खरीदारों के लिए राहत, कई साल से फंसे थे

हलाहाबाद हाई कोर्ट ने जेपी एसोसिएट्स लिमिटेड (जेएएल) को आवंटित एक हजार हेक्टेयर जमीन रद्द करने के यमुना विकास प्राधिकरण के फैसले को सही ठहराया है।

Sudhir Jha लाइव हिन्दुस्तान, ग्रेटर नोएडाThu, 13 March 2025 08:18 AM
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इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश से ग्रेटर नोएडा के 9 हजार फ्लैट खरीदारों के लिए राहत, कई साल से फंसे थे

हलाहाबाद हाई कोर्ट ने जेपी एसोसिएट्स लिमिटेड (जेएएल) को आवंटित एक हजार हेक्टेयर जमीन रद्द करने के यमुना विकास प्राधिकरण के फैसले को सही ठहराया है। कोर्ट ने इस जमीन पर प्रस्तावित सभी 14 परियोजनाओं से जुड़े 9 हजार से ज्यादा खरीदारों के आवास प्राधिकरण को तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपने का आदेश दिया। ऐसे में फ्लैट खरीदारों के लिए नई उम्मीद जागी है।

खरीदारों के हितों की रक्षा के लिए प्रमुख सचिव औद्योगिक विकास की अध्यक्षता में समिति का गठन किया है। जानकारी के मुताबिक वर्ष 2020 से अब तक के समय को शून्य काल घोषित किया गया है।

दरअसल, वर्ष 2009-10 में यमुना प्राधिकरण ने जेएएल की सहायक कंपनी जेपी इंटरनेशनल स्पोर्ट्स को स्पोर्ट्स सिटी के विकास के लिए विशेष विकास क्षेत्र (एसडीजेड) योजना के तहत 1000 हेक्टेयर भूमि आवंटित की थी। इस परियोजना में बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट शामिल है, जिसमें पिछले साल मोटो जीपी भारत अंतरराष्ट्रीय बाइक रेसिंग इवेंट की मेजबानी की गई थी।

इसके साथ ही 9000 खरीदारों से जुड़ी 14 आवासीय परियोजनाएं भी शामिल हैं। बकाया न चुकाने समेत विभिन्न कारणों से प्राधिकरण ने जेपी को आवंटित भूखंड निरस्त कर दिया था। इस मामले में जेएलएल ने यमुना प्राधिकरण के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।

न्यायालय ने इस मामले में यमुना प्राधिकरण के बकाया भुगतान नहीं करने के कारण जमीन आवंटन रद्द करने के निर्णय को सही माना है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने परियोजना के पूरा होने, वित्तीय सुरक्षा और कानूनी सुरक्षा उपायों को सुनिश्चित कर घर खरीदारों के हितों को प्राथमिकता दी है। यमुना प्राधिकरण को अधूरी परियोजनाओं को अपने हाथ में लेने और उन्हें समयसीमा के भीतर पूरा करने का आदेश दिया गया है। अपना रिफंड लेने वाले खरीदारों के लिए एक औपचारिक निकास नीति भी बनाने का आदेश दिया है।

यहां बता दें कि बकाया भुगतान नहीं करने के कारण फरवरी 2020 में भूमि आवंटन को रद्द किया गया था। इस मामले में जेएलएल ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और सभी बकाया राशि का भुगतान करने की इच्छा व्यक्त की। डेवलपर ने आवासीय परियोजनाओं को पूरा करने के लिए एक समाधान योजना भी प्रस्तुत की थी।

इसमें यमुना विकास प्राधिकरण के जेएएल के बीच बकाया राशि की गणना में एक महत्वपूर्ण विसंगति का मुद्दा उठाया गया था। इसमें यीडा का दावा है कि जेएएल पर भूमि प्रीमियम, पट्टा किराया और अतिरिक्त किसान मुआवजे सहित 3,621 करोड़ रुपये बकाया हैं। जेएएल का कहना है कि बकाया राशि बहुत कम, यानी 1,483 करोड़ रुपये है।

बीआईसी में हुई थी फार्मूला-1 और मोटो जीपी

बता दें कि यमुना एक्सप्रेसवे पर स्थित बीआईसी वही स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स है जिसमें कि फार्मूला-1 और मोटो जीपी जैसे अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम आयोजित हो चुके हैं। अब इसकी देखरेख की जिम्मेदारी यमुना प्राधिकरण की होगी। इसके अलावा भी कुल 1000 हेक्टेयर जमीन का विकास कैसे किया जाना है, इसका फैसला भी अब प्राधिकरण लेगा। बिल्डर की ओर से बकाया चुकता न हो पाने की वजह से यह जमीन अब प्राधिकरण के पास वापस आ गई है।

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