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नृत्यधारा-2 का भव्य आयोजन, भरतनाट्यम कलाकारों ने दी मनमोहक प्रस्तुति

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आयाम इंस्टीट्यूट ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स की ओर से आयोजित नृत्यधारा द्वितीय ने भरतनाट्यम के गहरे अध्यात्म और उसकी सुंदरता को प्रस्तुत किया। यह कार्यक्रम लिटिल थिएटर ग्रुप ऑडिटोरियम में संपन्न हुआ।

Krishna Bihari Singh लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSun, 12 Jan 2025 12:43 AM
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आयाम इंस्टीट्यूट ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स की ओर से आयोजित नृत्यधारा द्वितीय ने भरतनाट्यम के गहरे अध्यात्म, उसकी सुंदरता और पारंपरिक समर्पण को प्रस्तुत किया। यह कार्यक्रम लिटिल थिएटर ग्रुप ऑडिटोरियम में संपन्न हुआ। इसे प्रसिद्ध गुरु श्रीमती सिंधु मिश्रा ने कोरियोग्राफ किया। यह आयोजन भरतनाट्यम के पारंपरिक बानी पर आधारित था, जिसे विख्यात गुरु केएन दंडयुधापाणि पिल्लई ने विकसित किया था।

नृत्यधारा ने नृत्य (शुद्ध नृत्य), भाव (अभिव्यक्ति) और ताल (लय) के जटिल समन्वय को जीवंत कर दिया। कार्यक्रम का शुभारंभ पुष्पांजलि से हुआ, जिसमें रागम बौली और तालम आदि पर आधारित एक दिव्य प्रस्तुति दी गई। यह प्रस्तुति गुरु, देवता और दर्शकों को समर्पित थी। इसके बाद ध्यान श्लोकम प्रस्तुत किया गया, जो भगवान शिव के अद्वितीय स्वरूप को समर्पित था। इसे प्रसिद्ध संगीतकार श्रीमती सुधा रघुरामन ने रचा।

प्रत्येक प्रस्तुति में भरतनाट्यम की शास्त्रीयता और रचनात्मकता का अद्भुत मेल देखने को मिला। शिवाष्टकम में भगवान शिव की महानता को राग भूपाली और ताल खंड चापू पर प्रस्तुत किया गया। इसमें भगवान शिव को असुरों के विनाशक, गणेश के स्नेही पिता और ब्रह्मांडीय ऊर्जा के प्रतीक के रूप में दिखाया गया। इसके बाद तुलसीदास जी के भजन श्री राम चंद्र पर आधारित भरतनाट्यम प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

राग सिंधु भैरवी और आदि ताल पर आधारित प्रस्तुति में भगवान राम के गुणों को भावुकता से प्रस्तुत किया गया। इसके अलावा भो शंभो और तिल्लाना जैसे नृत्यांशों ने भी दर्शकों को अद्भुत आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अनुभव प्रदान किया। इस मौके पर गुरु श्रीमती सिंधु मिश्रा ने कहा कि हमारा उद्देश्य इस अद्भुत परंपरा को संरक्षित रखना और नई पीढ़ी को इसकी ओर प्रेरित करना है।

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