टीईटी अनिवार्य करने के विरोध में सैकड़ों शिक्षकों का धरना-प्रदर्शन
गाजियाबाद में शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ धरना-प्रदर्शन किया, जिसमें टीईटी परीक्षा की अनिवार्यता की मांग की गई। शिक्षकों का कहना है कि पहले से नियुक्त शिक्षकों को इस परीक्षा से मुक्त...

गाजियाबाद। सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षकों के लिए टीईटी अनिवार्य करने के विरोध में बुधवार को शिक्षकों ने कलेक्ट्रेट पर धरना-प्रदर्शन किया। इस दौरान प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री के नाम ज्ञापन देकर सेवारत शिक्षकों के लिए परीक्षा की अनिवार्यता खत्म करने की मांग की। शिक्षकों की मांग है कि आरटीई लागू होने से पूर्व नियुक्त शिक्षकों को टीईटी की अनिवार्यता से मुक्त रखा जाए। एक सितंबर को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक नौकरी में बने रहने के लिए कक्षा एक से 8वीं तक के सभी शिक्षकों को दो साल में टीईटी परीक्षा पास करनी होगी। वहीं, जिन शिक्षकों के रिटायरमेंट में केवल पांच साल शेष हैं उन्हें इससे रियायत दी गई है, लेकिन पदोन्नति के लिए उन्हें भी यह परीक्षा देनी होगी।
इससे शिक्षकों पर नौकरी जाने का संकट गहरा गया है। इससे नाराज शिक्षकों ने फैसले के विरोध में उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के बैनर तले कलेक्ट्रेट पर धरना-प्रदर्शन किया और जिलाधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, केंद्रीय शिक्षा मंत्री एवं बेसिक शिक्षा मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष डॉ. अनुज त्यागी ने फैसले को अमानवीय बताते हुए कहा कि जो शिक्षक परीक्षा नहीं देंगे या परीक्षा पास नहीं कर पाए उन्हें सेवानिवृत्त कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि शिक्षक पात्रता परीक्षा (पीईटी) शिक्षकों की नियुक्ति के लिए बनाया गया मानक है, न कि सेवारत शिक्षकों की पात्रता जांचने के लिए। उन्होंने बताया कि टीईटी का नियम साल 2010 में आया। उससे पहले जो मानक थे उसके हिसाब से ही शिक्षकों की नियुक्ति हुई। जब सभी मानक पूरे करके शिक्षक बने हैं तो फिर से शिक्षक टीईटी परीक्षा क्यों देंगे। वहीं, शिक्षकों का कहना है कि अब शिक्षक बच्चों को पढ़ाएं या फिर खुद पढ़ें। इस अवसर पर संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष आदेश मित्तल, मनोज डागर, मनोज त्यागी, पुष्पेंद्र सिंह, अमित यादव, कनक सिंह, लक्ष्मण राठी, दिनेश कुमार, मो. गालिब सहित सैंकड़ों शिक्षक मौजूद रहे। सेवारत शिक्षकों के लिए टीईटी अनिवार्यता खत्म करने की मांग संघ के जिलाध्यक्ष रविंद्र राणा ने सेवारत शिक्षकों के लिए टीईटी की अनिवार्यता समाप्त करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि सरकार इस प्रकरण का संज्ञान लेकर लाखों शिक्षकों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए अधिनियम में आवश्यक संशोधन करे। टीईटी लागू होने से पहले नियुक्त शिक्षकों को टीईटी की अनिवार्यता से मुक्त रखा जाए और योग्यता अनुसार पदोन्नति दी जाए। फैसले से जिले के 1600 शिक्षक प्रभावित शिक्षक संगठन के दूसरे गुट के अध्यक्ष दीपक शर्मा के मुताबिक जिले में कुल 2133 शिक्षक हैं। इनमें लगभग 400 शिक्षक 2010 के बाद के हैं जिनकी नियुक्ति टीईटी के जरिए हुई है। तकरीबन 130 शिक्षकों के कार्यकाल में पांच साल शेष हैं। ऐसे में 1600 शिक्षक सीधे इस फैसले से प्रभावित हो रहे हैं। शिक्षकों की मांग केंद्र और राज्य सरकार प्रकरण का संज्ञान लेकर आवश्यक संशोधन करे। सेवा नियमावली के अनुसार नियुक्त शिक्षकों के लिए टीईटी की अनिवार्यता खत्म की जाए। नियुक्ति के यथासमय योग्तयतानुसार शिक्षकों को पदोन्नति दी जाए।
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