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साल दर साल कम हो रहे हैं मलेरिया के मरीज

जिले में मलेरिया के मरीजों की संख्या का आंकडा लगातार कम हो रहा है। पिछले चार सालों में मलेरिया के मरीज की जांच तो बढ़ी है लेकिन पॉजिटिव केस की संख्या कम हुई है। स्वास्थ्य विभाग का तर्क है कि लगातार...

साल दर साल कम हो रहे हैं मलेरिया के मरीज
हिन्दुस्तान टीम,गाज़ियाबादTue, 24 Apr 2018 07:26 PM
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जिले में मलेरिया के मरीजों की संख्या का आंकड़ा लगातार कम हो रहा है। पिछले चार वर्षों में मलेरिया के मरीज की जांच तो बढ़ी है लेकिन पॉजिटिव केस की संख्या कम हुई है। स्वास्थ्य विभाग का तर्क है कि लगातार फॉगिंग और एंटी लार्वा दवा के छिड़काव व लोगों की जागरूकता के कारण इस बीमारी के मरीजों की संख्या कम हुई है।

मलेरिया से लोगों को बचाने के लिए नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग दोनों मिलकर काम करते हैं। नगर निगम हर साल दो माह का फॉगिंग की योजना बनाता है। इसके साथ ही मलेरिया विभाग एंटी लार्वा दवा का छिड़काव करता है, ताकि मच्छरों का लार्वा न पनप सके। स्वास्थ्य विभाग की टीम लगातार मरीजों का नमूने लेकर स्लाइड की जांच करती है। शहर में स्वाइन फ्लू और डेंगू जैसी बीमारियों के मरीजों की संख्या भले ही बढ़ी हो, लेकिन मलेरिया के मरीजों की संख्या कम हुई है।

किट से जांच संदेहपूर्ण

पिछले कई वर्षों से स्वास्थ्य विभाग मलेरिया के मरीजों की जांच रैपिड किट से करता आ रहा है। इस किट के वास्तविक परिणाम पर संदेह रहता है। कई बार मरीज में लक्षण दिखाई देने के बाद भी किट से रिपोर्ट नाकारात्मक ही आती है। वास्तव में किट से जांच के आकंड़े काफी कम हुए हैं।

स्लाइड से जांच होगी

पिछले दिनों शासन की ओर से मलेरिया की जांच के लिए नए आदेश आए। अब मलेरिया की जांच रैपिड किट से नहीं बल्कि स्लाइड के जरिए माइक्रोस्कोप के जरिए होगी। इससे रिपोर्ट आने से थोड़ा समय लगेगा, लेकिन रिपोर्ट 100 फीसदी सही मिलेगी।

35 डिग्री तापमान मच्छरों के लिए अनुकूल

वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. एनके सोनी का कहना है कि मच्छर ‘एनाफ्लीज और ‘एडिज होते हैं। मादा एनाफ्लीज ही मलेरिया रोग की वाहक है। तापमान 35 डिग्री सेल्सियस के असपास होने पर डेंगू और मलेरिया फैलाने वाले एडिज और एनाफ्लीज को पैदा करने के लिए अनुकूल है। ऐसे में मच्छरों की पैदावार पर रोक लगाने के लिए एंटी लार्वा दवा का छिड़काव जरूरी है। फॉगिंग होने से मच्छर मर जाते हैं और पैदावार रुक जाती है। बदलते मौसम के साथ इनकी पैदावार ज्यादा होती है।

सरकारी आकंड़ों में मलेरिया की स्थिति

वर्ष जांच मरीज मौत

2014 3819 247 00

2015 4109 207 00

2016 4279 128 00

2017 4415 126 00

2018 मार्च तक 1007 22 00

लक्षण

- कपकपी के साथ तेज बुखार

- एक दो दिन के अंतराल में बुखार आना

- बुखार उतरने पर कमजोरी

- बुखार का बार-बार उतरना चढ़ना

- उल्टी और सिरदर्द की शिकायत

बचाव

- मलेरिया की पुष्टि पर नियमित दवा लें

- पानी के बर्तन ढक कर रखें

- पानी जमा न होने दें

- जमा पानी में मिट्टी का तेल डाले

- मच्छरदानी का इस्तेमाल करें

इन्होंने कहा

मच्छर जनित रोगों पर नियंत्रण के लिए लगतारा काम किया जा रहा है। इसका नतीजा है कि मलेरिया के मरीज की संख्या कम हुई है। फॉगिंग व एंटी लार्वा दवा के छिड़काव के साथ लोगों में जागरूकता भी आई है।

- डॉ. एनके गुप्ता, सीएमओ

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