Hindi Newsएनसीआर न्यूज़ghaziabad police exposed insurance policy renewal fraud gang 10th pass mastermind duped 9 states people

Ghaziabad: बीमा पॉलिसी के नाम पर ठगने वाले गैंग का खुलासा, 10वीं पास मास्टरमाइंड ने 9 राज्यों के लोगों को ऐसे लगाया चूना

पॉलिसी के नाम पर नौ राज्यों में ठगी करने वाले गैंग का खुलासा, मास्टरमाइंड समेत दो आरोपी गिरफ्तार, इंश्योरेंस कंपनी का कर्मी बताकर ठगते थे

Praveen Sharma हिन्दुस्तान, गाजियाबादSat, 14 Sep 2024 05:13 AM
share Share

बीमा पॉलिसी के नवीनीकरण के नाम पर देशभर के लोगों को ठगने वाले गिरोह का खुलासा करते हुए गाजियाबाद की साइबर थाना पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पकड़े गए आरोपियों में मास्टरमाइंड भी शामिल है। पुलिस के मुताबिक, नौ राज्यों में ठगी 39 घटनाओं का खुलासा हुआ है। पुलिस का कहना है कि गिरोह को फर्जी आईडी के सिम कार्ड और बैंक खाते उपलब्ध कराने वाला आरोपी की पहचान हो गई है और उसकी तलाश जारी है।

एडीसीपी क्राइम सच्चिदानंद ने बताया कि हाल ही में कविनगर निवासी साक्षी मडके ने एक लाख रुपये और कौशांबी निवासी रजनी गोयल ने चार लाख रुपये की साइबर ठगी के संबंध में मुकदमा दर्ज कराया था। पीड़िताओं के मुताबिक, जालसाजों ने उनकी बीमा पॉलिसी का नवीनीकरण करने के नाम पर रकम ठगी थी। एडीसीपी क्राइम ने बताया कि मामलों में इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस और अन्य तकनीक से जांच करने के बाद दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है।

आरोपियों में ग्रेटर नोएडा निवासी ऋषभ राजपूत और विजयनगर सेक्टर-8 निवासी सुमित कुमार रावत शामिल हैं। ऋषभ मूलरूप से थाना पांडेपुरी जिला वाराणसी के अर्दली बाजार का रहने वाला है। आरोपियों से चार मोबाइल फोन, आधार कार्ड, दो पैन कार्ड, चार सिम कार्ड और अन्य सामान बरामद हुआ है।

नोएडा के कॉल सेंटर से चुराया था बीमाधारकों का डेटा : एडीसीपी ने बताया कि ऋषभ दसवीं पास है और गिरोह का मास्टरमाइंड है। उसने दोस्त और बीसीए पास सुमित कुमार रावत को अपने पास 15 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन पर रखा हुआ था। ऋषभ ने साइबर अपराध के लिए कॉल कराने और पॉलिसी नवीनीकरण की फर्जी रसीद बनवाने का काम सुमित से ही कराया था।

आरोपी पूर्व में नोएडा सेक्टर-63 स्थित एक कॉल सेंटर में नौकरी करते थे। वहीं से उन्होंने एचडीएफसी के बीमाधारकों का डेटा चोरी कर लिया था। आरोपी वर्किंग-डे में ही लोगों को ठगते थे। साप्ताहिक अवकाश पर मौज-मस्ती करने पहाड़ी इलाकों में चले जाते थे।

ऐसे ठगते थे

एडीसीपी के मुताबिक, आरोपी ठगी के लिए कीपैड वाले मोबाइल फोन का प्रयोग करते हैं और एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस के कर्मचारी बनकर बीमाधारकों को फोन करते थे। पीड़ित से पॉलिसी रद्द होने की बात कहते हुए प्रीमियम जमा करने के लिए कहते थे। पीड़ित की पॉलिसी के प्रीमियम हकीकत में लंबित होते थे, लिहाजा वह झांसे में आकर आरोपियों द्वारा बताए खाते में रकम ट्रांसफर कर देते थे। इसके बाद वह पीड़ितों को फर्जी रसीद भेजते थे।

फहाद सिम-खाते देता था

वैशाली निवासी फहाउद्दीन उर्फ फहाद ही ऋषभ को फर्जी आईडी के सिम कार्ड और बैंक खाते देता था। इन खातों का इस्तेमाल भी फहाद ही करता था। पीड़ितों से ठगी गई रकम में से 25 फीसदी कमीशन काटकर फहाद बाकी रकम ऋषभ को नकद देता था। ऋषभ इसमें से सुमित को सैलरी और कभी-कभार खर्चे के लिए कुछ रकम देता था। कई पीड़ितों को ठगने के बाद आरोपी सिम कार्ड तोड़कर फेंक देते थे।

इन राज्यों की इतनी घटनाओं का पता चला

एडीसीपी ने बताया कि आरोपियों ने यूपी के जौनपुर निवासी रणविजय पटेल, पीलीभीत निवासी मोहम्मद सिराज शमसी, सुगंधा, सहारनपुर निवासी वाहिद अहमद, अदनान, अनीता, लखनऊ के सौरभ वर्मा, महोबा के बल्दू, कौशांबी के रोहन गोयल, आगरा के नागेंद्र प्रताप सिंह, कार्तिक, अयोध्या के रामजी मौर्या, बरेली के आकिब हुसैन, मेरठ के स्पर्श और गोंडा के चन्द्रभाई को ठगा। राजस्थान के आठ, मध्यप्रदेश और उत्तराखंड के तीन-तीन और बिहार, दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र, झारखंड और तेलंगाना के एक-एक पीड़ित को ठगा था।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें