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गाजियाबाद : रोडवेज की चलती बस में आधी रात को ड्राइवर को पड़ा हार्ट अटैक, खुद ही ऐसे बचाई 47 सवारियों की जान

गाजियाबाद में आधी रात को एक रोडवेज की चलती में बस में ड्राइवर को हार्ट अटैक आने के बावजूद उसकी सूझबूझ से बस में सवार 47 सवारियों की जान बच गई। ड्राइवर का अभी दिल्ली के जी.बी. पंत अस्पताल में इलाज चल रहा है।

Praveen Sharma हिन्दुस्तान, गाजियाबादWed, 18 Sep 2024 02:50 AM
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गाजियाबाद में एक रोडवेज की चलती में बस में ड्राइवर को हार्ट अटैक आने के बावजूद उसकी सूझबूझ से बस में सवार 47 सवारियों की जान बच गई। बस ड्राइवर को सोमवार देर रात अचानक सीने में दर्द शुरू हुआ तो उसने बस सड़क किनारे साइड में खड़ी कर तुरंत एंबुलेंस को फोन किया। उसे भोजपुर पीएचसी पर ले जाया गया, जहां जांच में पता चला कि उसे सीरियस हार्ट अटैक आया था। सीएचसी से ड्राइवर को संयुक्त अस्पताल रेफर कर दिया गया, वहां से भी उसे दिल्ली के लिए रेफर कर दिया गया, जहां उसका इलाज चल रहा है।

रोडवेज की ऋषिकेश डिपो की बस सोमवार देर रात लगभग साढ़े 10 बजे दिल्ली से ऋषिकेश के लिए रवाना हुई थी। बस में 34 वर्षीय ड्राइवर चमन कुमार और कंडक्टर कमल कुमार तैनात थे। रात में लगभग 12 बजे बस भोजपुर क्षेत्र में पहुंची, तभी ड्राइवर चमन कुमार को सीने में तेज दर्द होना शुरू हो गया और उन्हें बेहोशी जैसी छाने लगी। चमन ने अपनी सूझबूझ का परिचय देते हुए पहले बस को साइड में सुरक्षित खड़ा किया और एंबुलेंस को फोन किया। कुछ ही देर में एंबुलेंस मौके पर पहुंच गई और उन्हें भोजपुर पीएचसी पहुंचाया। पीएचसी पर प्राथमिक जांच में डॉक्टरों ने हार्ट अटैक बताते हुए उन्हें जीभ के नीचे रखने वाली दवा दी। पीएचसी से ड्राइवर को संजय नगर स्थित संयुक्त अस्पताल रेफर कर दिया। एंबुलेंस लगभग ढाई बजे ड्राइवर को लेकर संयुक्त अस्पताल पहुंची। अस्पताल में तैनात डॉक्टर ने जांच के बाद गंभीर हार्ट अटैक बताते हुए प्राथमिक उपचार दिया और तुरंत दिल्ली के लिए रेफर कर दिया। इसके बाद एंबुलेंस, चमन को दिल्ली के जी.बी. पंत अस्पताल लेकर पहुंची, जहां उन्हें भर्ती कर इलाज शुरू कर दिया गया। फिलहाल ड्राइवर चमन की हालत खतरे से बाहर है। कंडक्टर कमल कुमार ने बताया कि बस में 47 यात्री सवार थे और अगर ड्राइवर चमन साहस नहीं दिखाते तो बड़ा हादसा भी हो सकता था।

कंडक्टर ने फॉर्म पर साइन नहीं किया

जी.बी. पंत अस्पताल में डॉक्टरों को ड्राइवर के इलाज के लिए दिल के फंक्शन का इंजेक्शन लगाना था। डॉक्टरों ने कंडक्टर कमल को फॉर्म पर साइन करने के लिए कहा, लेकिन कमल ने साइन करने से मना कर दिया। बाद में डॉक्टरों ने खुद जोखिम लेते हुए उन्हें इंजेक्शन लगाया, जिससे ड्राइवर की जान बच सकी। कंडक्टर का कहना है कि उसे कंसर्न फॉर्म पर साइन करने से ऋषिकेश डिपो से ही मना किया गया था।

संयुक्त अस्पताल के सीएमएस डॉ. संजय गुप्ता ने कहा, ''रोडवेज चालक को गंभीर हार्ट अटैक आया था। अस्पताल में आईसीयू की व्यवस्था न होने की वजह से मरीज की जान बचाने के लिए दिल्ली रेफर किया गया।''

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