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स्कूल खुलने पर शिक्षक करेंगे छात्रों के अनाथ होने की पहचान

फरीदाबाद। एक से 15 जून तक स्कूल केवल शिक्षकों के लिए खुले हैं। इस दौरान

स्कूल खुलने पर शिक्षक करेंगे छात्रों के अनाथ होने की पहचान
हिन्दुस्तान टीम,फरीदाबादWed, 02 Jun 2021 03:00 AM
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फरीदाबाद। एक से 15 जून तक स्कूल केवल शिक्षकों के लिए खुले हैं। इस दौरान शिक्षकों नई जिम्मेवारी वहन करनी होगी, जिन छात्रों के अभिभावकों की मृत्यु कोरोना से हुई है। या जो छात्र इस महामारी से अनाथ हो गए हैं, ऐसे छात्रों का ब्यौरा तैयार करना और उनका स्कूल नहीं छूटे यह भी प्रयास शिक्षकों को करना होगा। ऐसे छात्रों को स्कूल में बनाए रखने के लिए अभिभावकों से ऑनलाइन या ऑफलाइन संपर्क करना होगा। शिक्षको को इसके लिए अभिभावकों की काउंसिलिंग भी करनी होगी।

हरियाणा सरकार ने कोविड-19 महामारी के कारण अपने माता-पिता को खोने वाले बच्चों को सुरक्षित भविष्य देने के लिए मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना शुरू की है। इस योजना के तहत ऐसे बच्चों के पालन-पोषण और पढ़ाई के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। 18 वर्ष से कम उम्र के ऐसे बच्चों, जिन्होंने कोविड के कारण अपने माता या पिता अथवा माता-पिता, दोनों का या कानूनन अभिभावकों को खो दिया है, उनका पुनर्वास और सहायता का कार्य तेजी से किया जाना है, इसलिए ऐसे बच्चों की पहचान का काम शिक्षकों को सौंपा गया है। ऐसे छात्रों की शिक्षा निशुल्क होगी और जिन किशोरियों की देखभाल के लिए कोई नहीं है। उन्हें कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में आवासीय व शिक्षा मुफ्त दी जाएगी।

गैरसंस्थागत देखभाल में बच्चों के लिए वित्तीय सहायता

मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के तहत माता-पिता की मृत्यु के बाद जिन बच्चों की देखभाल परिवार के अन्य सदस्य कर रहे हैं, ऐसे बच्चों के पालन पोषण के लिए 18 वर्ष तक 2500 रुपये प्रति बच्चा प्रति मास राज्य सरकार पेंशन देगी। इसके अतिरिक्त, 18 वर्ष तक की आयु होने तक जब तक बच्चा पढ़ाई करेगा तब तक 12,000 रुपये प्रति वर्ष अन्य खर्चों के लिए भी दिए जाएंगे।

संस्थागत देखभाल में बच्चों के लिए वित्तीय सहायता

जो बच्चे अनाथ हो गए हैं और परिवार का कोई सदस्य भी देखभाल के लिए नहीं है उनकी देखभाल बाल देखभाल संस्थान करेंगे। ऐसे बच्चों के लिए बाल देखभाल संस्थान को आर्थिक सहायता के रूप में 1500 रुपये प्रति बच्चा प्रति महीना बच्चे के 18 वर्ष की आयु होने तक राज्य सरकार देगी।

पचास फीसदी शिक्षक और कर्मचारी स्कूल आ सकेंगे

एक से 15 जून तक स्कूलों में पढ़ाई नहीं होगी। इस दौरान स्कूल के पचास फीसदी शिक्षक व कर्मचारी ही स्कूल आ सकेंगे। इस दौरान शिक्षकों को प्रशासनिक कार्य भी करने होंगे। सभी कक्षा प्रभारी या विद्यालय मुखिया सबसे पहला कार्य रिपोर्ट कार्ड तैयार करेंगे। छात्रों के वार्षिक परीक्षा परिणाम तैयार करेंगे।

अवसर एप्प पर लगेगी अध्यापकों की हाजिरी

सभी अध्यापकों की हाजिरी अब अवसर एप पर लगेगी। इसके लिए विद्यालयके मुखिया रोस्टर बनाएंगे, यह हाजिरी ऑनलाइन लगेगी। कक्षावार छात्रों के नामांकन पर जोर दिया जाएगा, जो बच्चे किन्हीं कारणों से अब तक नामांकित नहीं हो पाए हैं, उनके नामांकन के प्रयास किए जाएंगे। ड्रॉप आउट की संभावना को कम किया जाएगा। ऐसे छात्र जिनके विद्यालय बदल गए हैं उन पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जाएगा। अगले 15 दिनों तक कक्षा के प्रभारी एवं विद्यालय के मुखिया पारस्परिक आदान प्रदान से पुस्तकों की उपलब्धता सुनिश्चित करेंगे।

इन कार्यों को प्राथमिकता के साथ पूरा करेंगे शिक्षक

-जिन छात्रों के अभिभावकों की कोविड से मौत हुई उनका ब्योरा तैयार करना

-छात्रों के रिपोर्ट कार्ड:-वार्षिक परीक्षा परिणाम के साथ अवसर एप पर जारी किए गए रिपोर्ट कार्ड को छात्र या उनके अभिभावको तक पहुंचाना।

-अगली कक्षा में पहुंचे छात्रों का दाखिला सुनिश्चित करके उसे एमआईएस पर अपलोड करना

-विद्यालयों के परीक्षा परिणाम रजिस्टर का अद्यतन करना

-कोई छात्र स्कूल नहीं छोड़े इसके लिए अभिभावकों से संपर्क करके दाखिले में सहयोग करना

-छात्र के स्कूल छोड़ने की परिस्थितियों को कम करवाना

-छात्रों को पुस्तकों को उपलब्ध कराने में सहयोग करना

-छात्रों की न्यूनतम सीखने के स्तर का आकलन करना

-सभी शिक्षकों की उपस्थिति अवसर एप पर सुनिश्चित करना

-सभी छात्रों को हाउस आवंटित करके अवसर एप अपलोड करना

-एनसीईआरटी द्वारा तैयार किए गए कैलेंडर का अध्ययन करना

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