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लॉकडाउन से टूरिस्ट बस संचालक आर्थिक संकट में

फरीदाबाद। मुश्किल के दौर से उबरकर जैसे-तैसे पटरी पर लौटे टूरिस्ट बस ट्रांसपोर्टर फिर...

लॉकडाउन से टूरिस्ट बस संचालक आर्थिक संकट में
हिन्दुस्तान टीम,फरीदाबादTue, 18 May 2021 10:30 PM
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फरीदाबाद। मुश्किल के दौर से उबरकर जैसे-तैसे पटरी पर लौटे टूरिस्ट बस ट्रांसपोर्टर फिर से आर्थिक संकट में फंस गए हैं। लॉकडाउन लगने के बाद नेशनल परमिट रूट की बसों के अलावा गुरुग्राम-फरीदाबाद के उद्योगों तक दौड़ने वाली बसें एक बार फिर से खड़ी हो गई हैं। इससे बस ट्रांसपोर्टर गहरे संकट में है। बसें खड़ी होने से जहां टैक्स की अदायगी भारी पड़ रही है, वहीं बीमा की किस्त चुकाने के लाले पड़े हुए हैं। ट्रांसपोर्टरों ने सरकार से जहां हरियाणा टैक्स अदायगी माफ किए जाने की मांग की है, वहीं बैंक ऋण अदायगी में छूट दिए जाने व बीमा की किस्त की अदायगी में भी छूट किए जाने को कहा है।

चार साल से किसी न किसी संकट से जूझ रहे हैं टूरिस्ट बस ट्रांसपोर्टर

टूरिस्ट बस ट्रांसपोर्टरों की मानें तो वे पिछले चार साल से देश में आए किसी न किसी संकट के शिकार होते रहे हैं। शुरुआती दौर में राजस्थान में आई बाढ़ के चलते बसों के पहिये पर असर पड़ा। दिल्ली के शाहीन बाग के चलते भी टूरिस्ट बसों की रफ्तार कम रही। चार धाम की यात्रा से टूरिस्ट बस संचालकों को कुछ उम्मीद बनी तो किसान आंदोलन के चलते टूरिस्ट की संख्या कम रही। इन सब समस्याओं से टूरिस्ट बस संचालक जूझ ही रहे थे कि इसके बाद शुरू हुई कोरोना की महामारी ने सभी को हिलाकर रख दिया। गत वर्ष लगे लॉकडाउन से टूरिस्ट बसों का पहिया थम गया। बीते नवंबर के बाद हालत में कुछ सुधार हुआ तो बस संचालकों को पटरी पर लौटने की कुछ उम्मीद बनी। कुछ हद तक व्यवस्था में सुधार भी हुआ, लेकिन इसके बाद फिर से कोरोना महामारी संकट ने देश को घेर लिया। लॉकडाउन लगने से सभी काम धंधे चौपट हो गए।

400 से अधिक बसें जहां तहां खड़ीं

ट्रांसपोर्टरों की मानें तो फरीदाबाद में ऐसी छोटी-बड़ी टूरिस्ट बसों की संख्या 400 से अधिक होगी। इनमें काफी संख्या में बसें ऐसी हैं, जो नेशनल परमिट भारत वर्ष के चारों कोनों में दौड़ती रहती हैं। लेकिन अब इन बसों का पहिया थम गया है। सेक्टर-31 में टाउन पार्क के समीप इस तरह की टूरिस्ट बसें सड़कों पर न दौड़कर एक स्थान पर खड़ी हुई हैं। इससे बस संचालकों पर खड़ी बसों का चालक व परिचालक के वेतन के अलावा टैक्स व बीमा की अदायगी का बोझ बढ़ता ही जा रहा है। इससे कई बस संचालक आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं।

उद्योगों में भी बसों की नहीं मांग

शहर में काफी संख्या में ऐसी बसें हैं, जो गुरुग्राम व फरीदाबाद के उद्योगों में विभिन्न कम्पनियों के स्टाफ को लाने-ले जाने का काम करती हैं, लेकिन इन दिनों कम्पनियों ने लॉकडाउन के चलते कम स्टाफ को ही दफ्तरों में बुलाया हुआ है। ऐसे में काफी बसों का पहिया थमा हुआ है। यश ट्रांसपोर्टर के मालिक यशपाल का कहना है कि वैसे तो लॉकडाउन में सरकार करोड़ों की जनता को वैक्सीन व कोरोना को हराने में काफी बजट खर्च कर रही है। लेकिन जहां तक ट्रासंपोर्टरों को राहत देने की बात है तो डीजल में कमी करके काफी हद तक समस्या को दूर किया जा सकता है। प्रति महीने दिए जाने वाले टैक्स को खत्म करके या फिर कम करके भी राहत दी जा सकती है।

बस संचालकों ने टैक्स को माफ किए जाने की मांग की

मेरे पास 12 बसें हैं। टूरिस्ट बसों का काम बिल्कुल नहीं रहा। लॉकडाउन के चलते उद्योगों में भी बस की मांग कम है। पिछले चार साल से बसों का पहिया थमा हुआ है। फाइनेंसर किस्त की अदायगी न होने पर बसों को छीनने की धमकी देते हैं। ऐसे में करीब डेढ़ महीने पहले 3 बसों को बेचकर बैंक का कुछ कर्जा चुकाया है। हरियाणा सरकार ने स्कूल बसों का टैक्स माफ किया हुआ है। ऐसे में उनकी इन बसों का भी काम पटरी पर लौटने तक टैक्स माफ करना चाहिए।

- संजय गुप्ता, मालिक, नीलकंठ ट्रैवल्स

कर्ज के बोझ तले दब चुके हैं। आमदनी का कोई जरिया नहीं। टैक्स व अन्य खर्चों की अदायगी हर महीने बढ़ जाती है। बीमा की किस्त भी आती दिखाई देती है। ऐसे में उनकी समझ में नहीं आ रहा है कि वह इस संकट से कैसे उबरें। सरकार की ओर से उन्हें कोई भी राहत नहीं मिल पा रही है। कम से कम सरकार को टैक्स माफ जरूर करना चाहिए। जब तक बस ट्रांसपोर्टरों को टैक्स व अन्य अदायगी में राहत नहीं मिलेगी, तब तक ये ट्रांसपोर्ट संकट से नहीं उबर सकते।

- सुनील कुमार, मालिक, एके ट्रांसपोर्ट

मेरे पास 6 बस हैं। मरने के कगार पर पहुंच चुके हैं। जीना बहुत मुश्किल हो पा रहा है। किस्त पर किस्त चढ़ती जा रही है। कभी बीमा की किस्त तो कभी टैक्स की किस्त। टैक्स पर पैनेल्टी अलग से लगाई जा रही है। बसें घर पर खड़ी हैं। आखिर किस तरह से इस संकट से उबरें, यह समझ से परे की बात है। अब सरकार से राहत ही उन्हें कोई आशा की किरण दिखा सकती है। अन्यथा वे बर्बादी के कगार पर पहुंच चुके हैं।

संजय खत्री, मालिक, एके टूर एंड ट्रैवल

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