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रेल लाइन की राह में बाधा बने पेड़ काटे जाएंगे

पलवल से फरीदाबाद के बीच अब रेल लाइन किनारे वर्षों पुराने उन पेड़ों को काटा जाएगा, जिनसे ओएचई व रेल लाइन के लिए किसी तरह का कोई खतरा बना रहता था। कुछ ऐसे भी पेड़ हैं, जो चौथी रेल लाइन की अड़चन बने हुए...

रेल लाइन की राह में बाधा बने पेड़ काटे जाएंगे
हिन्दुस्तान टीम,फरीदाबादSat, 26 May 2018 07:41 PM
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पलवल से फरीदाबाद के बीच अब रेल लाइन किनारे वर्षों पुराने उन पेड़ों को काटा जाएगा, जिनसे ओएचई व रेल लाइन के लिए किसी तरह का कोई खतरा बना रहता था। कुछ ऐसे भी पेड़ हैं, जो चौथी रेल लाइन की अड़चन बने हुए थे। रेलवे अधिकारियों का कहना है विभाग ने सर्वे के आधार पर 153 पेड़ों को कटवाने का निर्णय लिया है। रेलवे से मिली हरी झंडी के बाद हरियाणा वन विकास निगम ने पहले उन पेड़ों को कटवाना शुरू कर दिया है, जो चौथी लाइन की हद में आ रहे थे।

चौथी रेल लाइन की बड़ी अड़चन हो जाएगी दूर :

फरीदाबाद स्टेशन पर कई पेड़ वर्षों पुराने हैं, जिनकी छाया के चलते रेल यात्रियों को काफी राहत मिलती है। भीषण गर्मी में भी ट्रेन के इंतजार में यात्री इन पेड़ों के नीचे घंटों आराम से बिता देते हैं। पेड़ कटने से रेल अधिकारी और कर्मचारी भी काफी मायूस है, वहीं यात्री भी कटते हरे और भारी भरकम पेड़ों को देख दंग हैं, लेकिन रेलवे की नई व्यवस्था के मुताबिक इन पेड़ों को काटना भी जरूरी है। दरअसल, प्लेटफार्म नंबर एक समेत कई स्थानों पर वर्षों पुराने 21 पेड़ चौथी रेल लाइन की हद में आ रहे हैं, जिन्हें हटाए बिना चौथी रेल लाइन का काम पूरा होना संभव नहीं।

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ओएचई के लिए खतरा बने पेड़ भी कटेंगे :

आंधी के दौरान रेल लाइन किनारे पेड़ टूटकर ओएचई पर गिरने का खतरा बना रहता है। गत दिनों आंधी-तूफान के दौरान पलवल क्षेत्र में रुंधी के समीप भी पेड़ टूटने से ओएचई प्रभावित हुई। रेलवे के अधिकारी एके गुप्ता ने बताया कि ओएचई विभाग की ओर से ऐसे पेड़ों को काटने के बारे में कहा गया था। सर्वे के आधार पर ऐसे 31 पेड़ काटे जाएंगे, जो ओएचई के लिए खतरा बने हुए हैं।

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फरीदाबाद-पलवल सेक्शन में काटे जाएंगे 153 पेड़

रेलवे ने 153 पेड़ के काटने का जिम्मा हरियाणा वन विकास निगम को सौंपा। बोली के आधार पर वन विकास निगम ने यह काम गुरुग्राम की पंचगांव के गांव पुखरपुार के मैसर्ज राजबीर सॉ मिल को सौंप दिया है।

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पुराने पेड़ की अलग थी कहानी

स्टेशन पर वर्षों पुराने पेड़ों का अपना एक इतिहास था। रेल कम्यूटर एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं रेलवे से सेवानिवृत 85 वर्षीय बाबू राम शर्मा कहते हैं वर्ष 1966 में ये पौधे लगाए गए। उन्होंने वर्ष 1975 से सेवानिवृत्ति होने तक यहां नौकरी की। इन पौधों की छांव ही यात्रियों का सहारा होता था। आज उन्हें पेड़ कटते देख बहुत दुख हो रहा है।

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काटे जाने वाले पौधों का विवरण

सफेदा : 5

शीशम : 8

अन्य : 140

कुल पौधे : 153

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