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विलेज टूरिज्म मेले में झलके संस्कृति और परंपरा के रंग

विलेज टूरिज्म मेले में झलके संस्कृति और परंपरा के रंग - डीएवी शताब्दी कॉलेज में हुआ मेले का आयोजन - हरियाणावी लोककला और संस्कृति से सराबोर रहा मेला - पारंपरिक खेलों का युवाओं ने खूब उठाया...

विलेज टूरिज्म मेले में झलके संस्कृति और परंपरा के रंग
-	डीएवी शताब्दी कॉलेज में हुआ मेले का आयोजन
-	हरियाणावी लोककला और संस्कृति से सराबोर रहा मेला
-	पारंपरिक खेलों का युवाओं ने खूब उठाया...
1/ 3विलेज टूरिज्म मेले में झलके संस्कृति और परंपरा के रंग - डीएवी शताब्दी कॉलेज में हुआ मेले का आयोजन - हरियाणावी लोककला और संस्कृति से सराबोर रहा मेला - पारंपरिक खेलों का युवाओं ने खूब उठाया...
विलेज टूरिज्म मेले में झलके संस्कृति और परंपरा के रंग
-	डीएवी शताब्दी कॉलेज में हुआ मेले का आयोजन
-	हरियाणावी लोककला और संस्कृति से सराबोर रहा मेला
-	पारंपरिक खेलों का युवाओं ने खूब उठाया...
2/ 3विलेज टूरिज्म मेले में झलके संस्कृति और परंपरा के रंग - डीएवी शताब्दी कॉलेज में हुआ मेले का आयोजन - हरियाणावी लोककला और संस्कृति से सराबोर रहा मेला - पारंपरिक खेलों का युवाओं ने खूब उठाया...
विलेज टूरिज्म मेले में झलके संस्कृति और परंपरा के रंग
-	डीएवी शताब्दी कॉलेज में हुआ मेले का आयोजन
-	हरियाणावी लोककला और संस्कृति से सराबोर रहा मेला
-	पारंपरिक खेलों का युवाओं ने खूब उठाया...
3/ 3विलेज टूरिज्म मेले में झलके संस्कृति और परंपरा के रंग - डीएवी शताब्दी कॉलेज में हुआ मेले का आयोजन - हरियाणावी लोककला और संस्कृति से सराबोर रहा मेला - पारंपरिक खेलों का युवाओं ने खूब उठाया...
हिन्दुस्तान टीम,फरीदाबादThu, 27 Sep 2018 06:08 PM
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टूरिज्म मेले में कोई ऊंट और घोड़े की सवारी का रोमांच लेता दिखा, तो किसी ने सेल्फी प्वाइंट पर पकड़ी बांधने और हुक्का गुड़गुड़ाने का आनंद उठाया। किसी ने कुम्हार से मिट्टी की बर्तन बनाने की कला सीखी। तो वहीं कोई पिट्ठु व गिली डंडे पर हाथ आजमाता दिखा। मौका था एनएच-3 स्थित डीएवी शताब्दी कॉलेज में गुरुवार को आयोजित हुए द ग्रेट इंडिया विलेज टूरिज्म मेले का। विश्व पर्यटन दिवस के मौके पर लगाए गए इस मेले में हरियाणवी ग्रामीण परिवेश की झलक देखने को मिली। मेरा मेरा गांव मेरा रोजगार थीम पर लगाए गए इस मेले में प्रदेश की संस्कृति, परंपरा, खेलों, त्योहारों व ग्रामीण रहन-सहन का समावेश किया गया था। विधायक सीमा त्रिखा, महापौर सुमन बाला, पार्षद मनोज नासवा, प्राचार्य डॉ. सतीश आहूजा ने दीप जलाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यक्रम समन्वयक डॉ. सुनीता आहूजा व प्रो. मुकेश बंसल रहे। लोक कला और संस्कृति के दिखे रंग मेले के दौरान चौपाल पर संस्थान के छात्रों ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश कर समां बांधा। हरियाणवी लोकनृत्यों और लोकगीतों की धुन पर सभी जमकर झूमे। वहीं पेड़ पर डाले गए झूलों पर सभी ने खूब आनंद उठाया। मेहंदी लगाने और मिट्टी के बर्तन बनाने जैसी गतिविधियों में भी सभी ने खूब भागीदारी निभाई। ओल्ड फरीदाबाद से आए कुम्हार लक्ष्मण ने बताया कि करीब 50 सालों से इस काम में जुटे हैं। पारंपरिक खेलों का खूब उठाया लुत्फ मेले में पहुंचे दर्शकों ने पारंपरिक खेलों का खूब लुत्फ उठाया। मेले में गिली डंडा, कंचे, रस्सीकूद, पिट्ठू जैसे कई खेलों में युवाओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। वहीं मटकी बैलेंसिंग, लेमन स्पून रेस, निशानेबाजी, हिट द टारगेट जैसे खेलों में भी भाग लिया। इसके अलावा ऊंट की सवारी, घुड़सवारी, साइकलिंग में भी खूब जोश देखने को मिला। सेल्फी प्वाइंट रहा आकर्षण का केंद्र मेले के कॉनर्र पर बनाए गया सेल्फी प्वाइंट सभी के आकर्षण का केंद्र बना रहा। यहां युवाओं ने पगड़ी पहनकर, घास सर पर रखकर, चरखी कातकर और हुक्का गुड़गुड़ाकर खूब फोटो खिंचाए। मेले में सभी स्टॉल पर बैचलर्स ऑफ टूरिज्म एवं ट्रेवल मैनेजमेंट के छात्र पारंपरिक वेशभूषा में खड़े होकर दर्शकों का मार्गदर्शन करते दिखे। इससे पूरे मेले में हरियाणी रंग चढ़ा दिखा। ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देना था मकसद मेला निदेशक संदीप मालिक और प्रबंधक अमित कुमार ने बताया कि ग्रामीणों को परिवेश में रोजगार के साधनों की जानकारी देने और ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मेला आयोजित किया था। सरोज कुमार ने बताया कि मेले के प्रबंधन से लेकर आयोजन तक में बीटीटीएम के छात्रों ने जिम्मेदारी निभाई थी। प्राचार्य सतीश आहूजा ने कहा कि युवाओं को लुप्त होती परंपराओं और संस्कृति से रूबरू कराना ही मकसद था। मेले पर एक नजर 01 दिवसीय मेले का किया गया था आयोजन 01 हजार करीब दर्शकों ने उठाया मेले का आनंद 07 सौ करीब टिकट बिकी मेले में 100 छात्रों की टीम ने किया था प्रबंधन 120 करीब ग्रामीण भी हुए मेले में शरीक 40 करीब स्टॉल लगाए गए थे मेले में 15 करीब पारंपरिक खेलों का उठाया आनंद दर्शकों की बात हिमांशु, एनएच-5 : मेले का अनुभव शानदार रहा। मैने ऊंट की सवारी पहली बार की ये मेरे लिए राफी रोमांचक रहा। दोस्तों के संग मेले में आकर काफी मस्ती की है। प्रांता, सिक्किम: मुझे यहां रहने वाले रिश्तेदारों से मेले के बारे में पता चला था। किसी काम से इधर आना हुआ था तो सोचा मेला घूम आऊं। हरियाणा की संस्कृति काफी रंग-बिरंगी है। के. साई लक्ष्मी, एनटीपीसी : मेले के बारे में बेटी ने बताया था। यहां आकर हरियाणा की संस्कृति के बारे में काफी कुछ जानने को मिला है। चौपाल पर हुए कार्यक्रम मुझे पसंद आए। जित्ते हर्षाना, एनआईटी: परिवार के साथ मेला घूमने आया हूं। गिली डंडा और मिट्टी के बर्तन बनाना सबसे मजेदार रहा। इस तरह के आयोजन होते रहने चाहिए।

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