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बोर्ड परीक्षा से पढ़ाई को लेकर छात्र हुए हैं गंभीर

सीबीएसई की बोर्ड परीक्षा में सीजीपीए पैटर्न से छात्रों के बीच प्रतियोगिता की भावना खत्म हुई थी। इसका सीधा असर छात्रों के प्रदर्शन पर पड़ा था। लेकिन बोर्ड परीक्षा अंक पैटर्न वापस आने से छात्रों और...

बोर्ड परीक्षा से पढ़ाई को लेकर छात्र हुए हैं गंभीर
हिन्दुस्तान टीम,फरीदाबादTue, 29 May 2018 05:09 PM
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सीबीएसई की बोर्ड परीक्षा में सीजीपीए पैटर्न से छात्रों के बीच प्रतियोगिता की भावना खत्म हुई थी। इसका सीधा असर छात्रों के प्रदर्शन पर पड़ा था। लेकिन बोर्ड परीक्षा अंक पैटर्न वापस आने से छात्रों और स्कूलों की सही क्षमता सामने आ पाई है। करीब नौ साल बाद पुराने पैटर्न पर आए नतीजों पर शिक्षाविदों का यही कहना है। गौरतलब है कि वर्ष 2009 में सीबीएसई ने सेकेंडरी कक्षा में बोर्ड परीक्षा खत्म कर सीजीपीए लागू कर दिया था। इसके बाद पिछले साल सीसीई पैटर्न को खत्म किया गया है।

शिक्षाविदों की राय

प्रतियोगिता की भावना से मिलेगा लाभ

डॉ. मनोज कौशिक, पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी: बोर्ड परीक्षा से छात्रों में परीक्षा को लेकर गंभीरता आई है। सीजीपीए सिस्टम में प्रतियोगिता की भावना नहीं रह जाती। ऐसे में छात्र पढ़ाई को गंभीरता से नहीं लेते। बोर्ड परीक्षा के आधार पर मिलने वाले अंकों से छात्रों में प्रतियोगिता की भावना आती है इसका उन्हें लाभ मिलेगा।

स्कूल और छात्रों का होगा सही आंकलन

सीबी रावल, चेयरमैन, रावल एजुकेशन एंड कल्चरल सोसायटी:

सीजीपीए सिस्टम से छात्रों और स्कूलों की क्षमता का सही आंकलन नहीं हो पाता। बोर्ड परीक्षार्थियों के लिए किया गया बदलाव पूरी तरह सकारात्मक है। इससे छात्रों और स्कूलों की वास्तविक क्षमता सामने आई है। बच्चे जान सकेंगे कि किस विषय में उनका प्रदर्शन बेहतर है इससे आगे करियर की राह चुनने में भी आसानी होगी।

छात्र कर सकेंगे परिणाम से समीक्षा

यूएस वर्मा, डायरेक्टर प्रिंसिपल, मॉडर्न डीपीएस, ग्रेटर फरीदाबाद: होम परीक्षा से बच्चे अपनी क्षमता नहीं पहचान सकते, इससे मेहनत करने वालों को नुकसान होता था। ग्रेडिंग सिस्टम से प्रतियोगिता की भावना भी खत्म हो गई थी। लेकिन बोर्ड परीक्षा में अंकों के मुताबित छात्र अपने परिणाम की समीक्षा कर सकेंगे। इसका सबसे ज्यादा लाभ मेहनती बच्चों को मिला है।

ग्रेडिंग सिस्टम से छात्रों पर नहीं रहता तनाव

कुलदीप सिह, अध्यक्ष अमृत गुरुदेव एजुकेशन सोसायटी (हॉमर्टन ग्रामर स्कूल) : ग्रेडिंग सिस्टम अच्छा था। सभी विकसित देशों में स्कूलों में ग्रेडिंग सिस्टम प्रणाली लागू है। इस व्यवस्था से छात्रों पर बेवजह का तनाव कम होता है । अंकों की दौड़ शुरू होने से परीक्षा को लेकर छात्रों पर दवाब बढ़ेगा और वे दूसरी गतिविधियों में पिछड़ सकते हैं।

छात्र और स्कूलों के लिए सकारात्मक बदलाव

सत्येंद्र भड़ाना डायरेक्टर, सूरजकुंड इंटरनेशनल स्कूल, दयालबाग: ग्रेडिंग सिस्टम लागू होने के बाद छात्रों में पढ़ाई को लेकर कोई चिंता नहीं रह गई थी। कई अंकों के अंतर के बावजूद छात्र एक ही पायदान पर रह जाते थे। इससे प्रतियोगिता की भावना भी खत्म हुई थी। मार्किंग सिस्टम से छात्र और स्कूल पढ़ाई को लेकर गंभीर हुए हैं। ये प्रणाली छात्रों और स्कूलों दोनों के लिए सकारात्मक है।

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