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ऑनलाइन दाखिला फॉर्म बन रहा गले की फांस

कॉलेजों में स्नातक में दाखिला लेने के लिए किया जा रहा ऑनलाइन आवेदन विद्यार्थियों के लिए गले की फांस बनता जा जा रहा है। उच्चतर शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर फॉर्म अपलोड करने के बाद किसी का विषय बदल रहा...

ऑनलाइन दाखिला फॉर्म बन रहा गले की फांस
वरिष्ठ संवाददाता,फरीदाबादTue, 13 Jun 2017 09:09 PM
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कॉलेजों में स्नातक में दाखिला लेने के लिए किया जा रहा ऑनलाइन आवेदन विद्यार्थियों के लिए गले की फांस बनता जा जा रहा है। उच्चतर शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर फॉर्म अपलोड करने के बाद किसी का विषय बदल रहा है तो गलत सूचना भरते ही किसी का फॉर्म ही रद्द हो रहा है। ऐसी समास्याओं को लेकर छात्र सीधे कॉलेज प्रबंधन के पास पहुंच रहे हैं। जिनकी समस्या का समाधान के लिए कालेज की तरफ से उच्चतर शिक्षा विभाग को मेल किया जा रहा है।

बहरहाल, कॉलेजों में ऑन लाइन फॉर्म भरने के दौरान सावधानी बरतें। ऐसा नहीं करने पर आपको परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। उच्च शिक्षा निदेशालय के पोर्टल पर आवेदन फॉर्म अपलोड होने के बाद गलतियों को ठीक कराने के लिए सरकारी और गैर सरकारी कॉलेजों का चक्कर लगाने पड़ेंगे। निदेशालय की ओर से जारी टोल फ्री नंबर पर संपर्क करने के लिए मशक्कत करनी पड़ सकती है, हो सकता है इसके बावजूद आवेदन फॉर्म में होने वाली गलती ठीक नही हो पाए।

राजकीय महिला कॉलेज और नेहरु कॉलेज में विशेषज्ञ को तैनात किया गया है। उच्च शिक्षा निदेशालय की ओर से ऑन लाइन आवेदन के लिए मात्र एक पोर्टल बनाया गया है। इस पर फरीदाबाद, पलवल, गुड़गांव सहित पूरे हरियाणा के छात्र आवेदन कर रहे हैं। इससे पोर्टल पर दबाव ज्यादा हो गया है। नेहरु कॉलेज के एक वरिष्ठ प्रोफेसर ने नाम नहीं छापने के शर्त पर बताया कि रोजाना पहले हॉफ (दोपहर एक बजे से पहले) में सर्वर डाउन रहता है। एक छात्र का आवेदन फॉर्म भरने में न्यूनत 40 से 45 मिनट लग जाता है। इस दौरान चार से पांच बार लिंक फेल हो जाते हैं। 

ऑन लाइन से छात्रों का उठ रहा है विश्वास
ऑन लाइन आवेदन फॉर्म भरने से छात्रों का विश्वास उठता जा रहा है। डीएवी कॉलेज में ऑन लाइन आवेदन करने आए छात्र अखतर रेबानी का कहना है कि उन्होंने वाणिज्य में आवेदन फॉर्म भरा था, फॉर्म अपलोड करने के बाद उनका विषय बदल गया। इसे ठीक कराने के लिए कॉलेज में पिछले दो दिनों से चक्कर काट रहा हूं। वहीं, नेहरु कॉलेज के भी एक छात्र का आरोप है कि फॉर्म अपलोड होने के बाद विषय ही बदल गया।

साइबर कैफे में फॉर्म भरने वालों में परेशानी अधिक
साइबर कैफे में आवेदन फॉर्म भरने वाले छात्रों में अधिक दिक्कतें आ रही हैं। इसका मुख्य कारण कैफे संचालक द्वारा जल्दी-जल्दी में फॉर्म भरना है। राजकीय महिला कॉलेज के कार्यकारी प्रचार्य प्रो. गजराज सिंह यादव का कहना काफी कैफे संचालकों  को पूरी जानकारी नहीं है। वह छात्र के बैंक खाता नंबर की जगह माता-पिता का खाता नंबर डाल देते हैं। इसके अलावा नाम, पैन नंबर और विषय में भी दिक्कतें आ रही हैं। 

आवेदन के अंतिम दिनों में आ सकती है दिक्कतें
सरकारी और गैर सरकारी कॉलेज में आठ जून से ऑन लाइन आवेदन फॉर्म भरे जा रहे हैं। अभी आवेदन फॉर्म भरने वाले छात्रों की संख्या अंतिम दिनों की तुलना में कम है। इसके बावजूद निदेशालय का पोर्टल धीमा चल रहा है। बताया जा रहा है कि अगर यहीं स्थिति रहीं तो अंतिम समय में आवेदन फॉर्म भरने वाले छात्रों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

शुद्धिकरण के लिए जारी हो सकता है लिंक
डीएवी कॉलेज के एक प्रोफेसर का कहना है उच्च शिक्षा निदेशालय फॉर्म में आ रही खामियों को दूर करने के लिए देर शाम तक ठोस निर्णय ले सकता है। जिससे छात्रों की परेशानियों को दूर किया जा सके। 

क्या कहते हैं छात्रा
संगीता : सुबह 10 बजे से आवेदन फॉर्म अपलोड करने का प्रयास कर रही हूं।  दो घंटे लगातार कम्प्यूटर पर बैठे रहने के बावजूद अभीतक फॉर्म अपलोड नहीं कर सकी। फॉर्म भरने के दौरान चार से पांच बार सर्वर डाउन हो चुका है। ऐसे में दोबारा फॉर्म भरना पड़ता है।
दिव्या : बल्लभगढ़ स्थित एक साइबर कैफे में आवेदन फॉर्म भरा था। कम्प्यूटर की जानकारी नहीं होने के कारण कैफे संचालक से फॉर्म भर कर अपलोड़ कराया था। कॉलेज के दिशानिर्देश की जानकारी नहीं होने से कई गलती हो गई। अब उसे ठीक कराने के लिए कॉलेज का चक्कर काट रहीं हूं।
मीनू : अनुसूचित जाति में आवेदन करना था। लेकिन जल्दी में सामान्य वर्ग में हो गया है। अब इसे ठीक कराने के लिए कॉलेज प्रबंधन से संपर्क कर रही है। इस संबंध में कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि इसे कॉलेज के मेल से ठीक कराया जा सकता है।
चंचल : साइबर कैफे से फॉर्म भरी थी। मेरा अपना बैंक खाता किसी भी बैंक में नहीं है। कैफे संचालक ने मां का बैंक खाता फॉर्म में डाल दिया है। कॉलेज में जब हार्ड कॉपी जमा करने आई तो पता चला मेरा खाता नंबर देना था। 

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