खसरा और रूबेला की रोकथाम का संदेश देंगे
विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से प्रदेश सरकार के लगभग सभी जिलों में खसरा और रूबेला से बचाव के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा। इस दौरान सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले नौ से 15 वर्ष तक के...
विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से प्रदेश सरकार के लगभग सभी जिलों में 'खसरा और रूबेला से बचाव के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा। इस दौरान सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले नौ से 15 वर्ष तक के बच्चों पर विशेष ध्यान देने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए शिक्षक और अभिभावकों को टीके के प्रति जागरूक करने के लिए बैठक भी बुलाया जाएगा। सब कुछ ठीक रहा तो इसे अप्रैल के दूसरे सप्ताह में शुरू कर दिया जाएगा।
जिले में उल्टी-दस्त, खांसी, बुखार, खांसी, निमोनिया और दिमागी बीमारियों से होने वाले मृत्युदर को कम करने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा। बच्चों में इसके रोकथाम के लिए टीके नहीं लगने के कारण इन बीमारियों से प्रतिहजार पर 35 से 40 नवजात की मौत हो जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे 2020 तक खत्म करने का निर्णय लिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रभारी डॉ. संजीव तवर का कहना है कि अप्रैल से मई तक लगातार चलाया जाएगा। इसका उद्देश्य 95 फीसदी बच्चों को एकल डोज लग बच्चों को कई गंभीर बीमारियों से बचाया जा सके। विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि प्रथम चरण में स्कूल के माध्यम से बच्चों में टीकाकरण किया जाएगा। अगर कोई बच्चा किसी कारण से छूट जाता है तो कैंप लाकर दिया जाएगा। इसके लिए जल्द ही तारीख की घोषणा कर दी जाएगी।
कैसे फैलती है यह बीमारी :
यह बीमारी हवा के माध्यम से एक दूसरे में फैलती है। इसे रोकने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन और स्वास्थ्य विभाग की ओर से विशेष अभियान चलाने का निर्णय लिया है। यह अभियान शिक्षा विभाग के सहयोग से सबसे पहले स्कूलों में चलाया जाएगा। इसके बाद आंगनबाड़ी और आशावर्कर के सहयोग से घर-घर चलाने का निर्णय लिया गया है। इसके साथ ही ईंट भठ्ठे और अन्य जगहों पर चलाया जाएगा, जिससे 15 वर्ष तक का कोई भी बच्चा नहीं छूटे।
खसरा के मरीजों की हो चुकी है पहचान :
बड़खल और सेहतपुर में खसरा के दो मरीजों का पहचान हो चुका है। इसे ध्यान में रखते हुए कई क्षेत्रों को संवेदनशील क्षेत्रों की सूची में रखा गया है। बताया जा रहा है यह बीमारी छोटे बच्चों में ज्यादा पाया जाता है। इस लिए बच्चों पर विशेष ध्यान देने का निर्णय लिया गया है, 8.5 लाख बच्चों को टीकाकरण करने का लक्ष्य रखा गया है।
डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. रमेंश चंदर :
इसके लिए डॉक्टर और कर्मचारियों को विशेष प्रशिक्षण दिए गए है। लक्षण को पूरा करने के लिए प्रत्येक जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में कैंप आयोजित किए जाएंगे। इसकी जानकारी जल्द ही उपलब्ध करा दी जाएंगी।
मुख्य बातें :
- 8.5 लाख बच्चों को टीका देने का लक्ष्य रखा गया
- 9 महीने से 15 वर्ष तक के बच्चों की बनाई गई सूची
- प्रथम चरण में स्कूल के माध्यम से लक्ष्य पूरा करने का निर्णय
- दूसरे चरण में किसी कारण से छूटे बच्चों को कैंप के माध्यम से दी जाएगी
- शिविर और घर-घर जाकर बच्चों का किया जाएगा टीकाकरण