कोराली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 15 दिनों के अंदर प्रसूति गृह शुरू करने का निर्णय लिया गया है। इसे शुरू होने के बाद बदरौला, मधावली, चांदपूर, घरोड़ा, बेला गुडासन सहित आधा दर्जन से अधिक ग्रामीणों को इसका लाभ मिलेगा। अभी तक यहां प्रसूति गृह नहीं होने से प्रसूति के लिए तिगांव, दयालपुर व बल्लभगढ़ आना पड़ता है। इससे कई बार गर्भवती को परेशानियों का सामना करना पड़ता था।
प्रदेश सरकार मृत्युदर कम करने के लिए संस्थागत (इंस्टीट्यूशनल) प्रसूति पर जोर दे रहा है। इसे ध्यान में रखते हुए यहां प्रसूति गृह शुरू करने का निर्णय लिया गया है। बताया जा रहा है कि इसके लिए लगभग सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। एक महिला रोग विशेषज्ञ को प्रतिनियुक्ति पर तैनात कर दिया गया है। सिविल सर्जन डॉ. बीके राजौरा ने प्रसूति गृह में उपलब्ध सामानों की सूची की रिपोर्ट एक सप्ताह के अंदर मांगी है। इसके साथ ही कक्ष को तुरंत तैयार करने के निर्देश दिए हंै।
बताया जा रहा है कि यहां प्रसूति गृह शुरू होने के बाद दो स्टाफ नर्स को तैनात किया जाएगा। इनमें से एक नर्स राउंड द क्लाक गांव मौजूद रहेंगी। ताकि जरुरत पड़ने वह अस्पताल पहुंच सकें। मालूम हो कि सूबे में प्रसूति के दौरान प्रति हजार पर 56 जच्चा व बच्चे की मौत हो जाती है। इसे घटाकर 30 करने की योजना है। इसके लिए विभागीय स्तर पर कवायद तेज कर दी गई है। जिससे प्रसूति के दौरान मृत्यु के कारण का पता लगाकर इस पर अंकुश लगाया जाएगा।
सिविल सर्जन डॉ. बीके राजौरा: इसे जल्द ही अंतिम रूप दे दिया जाएगा। प्रसूति गृह शुरू करने का उद्देश्य ग्रामीणों को बेहतर सुविधाएं पहंुचाना है। अभी यह सुविधा नहीं होने के कारण महिलाओं को प्रसूति के लिए छह से सात किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। सरकार का उद्देश्य घर के पास स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराना है।
क्या होगा केंद्र में
राउंड द क्लॉक डॉक्टर व कर्मचारी
प्रसूति के बाद नवजात को कोई बीमारी तो नहीं
शुरू से ही जच्चा बच्चा पर ध्यान देना
प्रसूति के लिए टेबल
न्यूनतम एक ऑक्सिजन सिलेंडर
गंभीर रोगियों के लिए प्रत्येक ग्रूप का रक्त
जिले केंद्र
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र - दो
प्राइमरी स्वास्थ्य केंद्र - 12
शहरी क्षेत्र में आरसीएच सेंटर: 17
सब सेंटर - 54
ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्र (वीएलसी ) - 50
एफआरयू - दो
सिविल डिस्पेंसरी - आठ