जो पानी देगा वोट उसी को देंगे, बंचारी गांव के ग्रामीणों ने पानी की समस्या को लेकर किया प्रर्दशन
जो पानी देगा वोट उसी को देंगे, बंचारी गांव के ग्रामीणों ने पानी की समस्या को लेकर किया प्रर्दशन हमारे संवाददाता पलवल/होडल। गांव बंचारी स्थित बघेल वस्ती वार्ड नंबर 13 में पिछले काफी दिनों से पीने के...
गांव बंचारी स्थित बघेल वस्ती वार्ड नंबर 13 में पिछले काफी दिनों से पीने के पानी की समस्या बनी हुई है। बस्ती के लोग एक-एक बूंद पानी को तरस रहे हैं। महिलाएं दूर दराज के क्षेत्रों से पानी लाने को मजबूर हैं। बस्ती के लोग इस समस्या को लेकर विभागीय अधिकारियों के समक्ष कई बार गुहार लगा चुके हैं, लेकिन अधिकारियों द्वारा केवल आश्वासन देकर चलता कर दिया जाता है। किसी भी अधिकारी ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया है। बस्ती के लोगों का कहना है कि अगर शीघ्र ही पेयजल समस्या का निदान नहीं हुआ तो वह आने वाले लोकसभा चुनावों में राजनीतिक दलों का विरोध करेंगे। प्रदर्शन- पानी की समस्या को लेकर शनिवार को ग्रामीणों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों का चुनावों में विरोध करने का फैसला लिया। ग्रामीण- बस्ती निवासी देवीसिंह,राजवीर, सुंदर, होती,राजेंद्र, गायत्री,हरद्वारी, सुनील, सीमा, मनोज, शेरसिंह, रामवीर, सुखपाल, विसन, राजेश, किशन, कमलेश, जगमाली, रणवीर आदि ने बताया कि उनकी बस्ती में पिछले काफी समय से पीने के पानी की समस्या बनी हुई है। इस समस्या को लेकर ग्रामीण कई बार विभागीय अधिकारियों से गुहार लगा चुके हैं। ग्रामीणों ने बताया कि उक्त बस्ती में लगभग 150 परिवार निवास करते हैं। बस्ती के लोगों ने बताया कि विभाग द्वारा यहां पेयजल पाईप लाईन तो डलवा दी गई है लेकिन अभी तक कनैक्शन नहीं किए गए हैं। जिसके कारण ग्रामीणों को बूंद बूंद पानी के लिए दर दर की ठोकरें खाने को विवश होना पड़ रहा है। पेयजल की समस्या के कारण ना तो स्कूली छात्र समय पर विद्यालय पहुंच पाते हैं। ना ही नौकरी करने वाले व्यक्ति समय पर अपने कार्यालय पहुंच पा रहे हैं। ग्रामीणों के सुबह से शाम तक पानी की समस्या दिखाई देती है। ग्रामीण सुबह से ही अपने हाथों में बाल्टी ,मटके, कैन, ड्रम आदि लेकर घरों से पानी की तलाश में निकल पड़ते हैं। जिसके कारण ग्रामीणों को भारी परेशानियों का सामना करना पड रहा है। ग्रामीणों का कहना था कि जब प्रशासनिक अधिकारी उनकी मूलभूत सुविधाएं भी पूरी नहीं कर सकते हैं, तो वह भी आने वाले चुनावों में राजनीतिक दलों का विरोध करेंगे। ग्रामीणों का कहना था कि अब वह भी प्रत्याशी से पिछले पांच वर्ष का हिसाब मांगेंगे।