सुसाइड नोट में दे गए परिवार के सदस्य पूरा लेखा-जोखा
सुंदर लेख से हिन्दी में लिखे गए सुसाइड नोट में परिवार के लोगों ने पूरा लेखा-जोखा दिया है। उनकी ईमानदारी इस बात से भी झलकती है कि उन्होंने सुसाइड नोट में सभी कर्जदारों का जिक्र करते उनकी अदायगी का भी...
सुंदर लेख से हिन्दी में लिखे गए सुसाइड नोट में परिवार के लोगों ने पूरा लेखा-जोखा दिया है। उनकी ईमानदारी इस बात से भी झलकती है कि उन्होंने सुसाइड नोट में सभी कर्जदारों का जिक्र करते उनकी अदायगी का भी जिक्र किया है। सुसाइड नोट में होटल राजहंस पर बकाए का जिक्र भी किया गया है। अगर होटल से कुछ पैसे मिले तो उनसे से बचे पैसे संजू के दोस्त को दे दिए जाएं। इसी तरह सुसाइड नोट में अंतिम संस्कार पर होने वाले खर्च को लेकर भी उन्होंने साफ-साफ कहा है कि उनके घर के सामान को बेचकर उनका अंतिम संस्कार किया जाए।
मां के आभूषण बेचकर चुकाया कर्जा
दयालबाग में रहने वाले आरपी जोशी को परिवार के चार बच्चों की मौत पर काफी अफसोस हैं। हर समय इन बच्चों की मदद में आगे जाए आरपी जोशी ने कहा कि यह परिवार आपदाओं से टूटता चला गया। कई बार इनकी चंदा एकत्रित करके मदद भी की गई, लेकिन परिवार के लोग इतने इमानदार थे कि आर्थिक तंगी व तनाव के बावजूद वह किसी का एक भी पैसा रखना पसंद नहीं करते थे। यही कारण है कि उन्होंने मां के गहने बेचकर कर्जदारों के पैसे तक लौटाए, लेकिन उन्हें अफसोस है कि वे इन चारों को नहीं बचा सके। जबकि वह समय-समय पर इन बच्चों की मदद करते हुए विपताओं से कभी भी परेशान न होने की बात कहते रहते थे।
भाई को बचाने के चक्कर में छूटी बहन की नौकरी
आरपी जोशी ने बताया कि मृतकों में वीना ने मदनगीर खानपुर दिल्ली में लाइब्रेरियन की नौकरी शुरू की थी, ताकि परिवार का गुजर बसर हो सके। बाप के चले जाने के बाद परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा था। इसके चलते वीना ने नौकरी शुरू कर दी। लेकिन इसी बीच छोटे भाई संजू सड़क दुर्घटना में घायल हो गया। कुछ दिन बाद मां भी चल बसी। इसके चलते वीना को बिस्तर पर पड़े घायल भाई व बड़ी बहन मीना मैथ्यूस का इलाज कराने के लिए अपनी नौकरी छोड़नी पड़ी।
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संजू का सामान चैरिटी को दिया जाए
संजी का जो सभी सामान कम्बल, व्हील चेयर, मशीन, बर्तन, आदि चैरिटी को दे दिए जाएं। सुसाइड नोट में बुरे समय में मदद करने वालों के नाम का भी जिक्र करते हुए कहा गया है कि इसके बाद जो भी पैसा उनकी मम्मी के खाते में आए, उसे फादर रवि कोटा व इन्वर्टर को चर्च के नाम पर किया जाए। साथ ही सुसाइड नोट में कहा गया है कि राजहंस स्टाफ ने उनकी बहुत मदद की है, उन सभी का ह्रदय से धन्यवाद किया है।
बदबू से परेशान इलाके के लोग
शनिवार सुबह जब शवों को कमरों से बाहर निकालकर अस्पताल ले जाया गया। तो उस समय आसपास के इलाके में बदबू फैल गई। इससे दूर-दूर तक मकानों में दुर्गंध फैल गई। लोगों को मुंह पर रूमाल ढककर वहां से निकलना पड़ा।