मलेरिया जागरूकता अभियान को लेकर संशय
मलेरिया पर अंकुश लगाने के लिए एक जून से शुरू होने वाले मलेरिया जागरूकता अभियान को लेकर पहले ही संशय हो गया है। मलेरिया विभाग में स्वीकृत पदों में से आधी खाली होने और तैनात कर्मचारियों की रुबेला और...
मलेरिया पर अंकुश लगाने के लिए एक जून से शुरू होने वाले मलेरिया जागरूकता अभियान को लेकर पहले ही संशय हो गया है। मलेरिया विभाग में स्वीकृत पदों में से आधी खाली होने और तैनात कर्मचारियों की रुबेला और खसरा अभियान में व्यस्त होने की वजह से यह सवाल खड़ा हो गया है। उधर, इस स्थिति को लेकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी माकूल जवाब नहीं दे पा रहे हैं। नतीजतन ऐसी ही स्थिति रही तो मलेरिया जागरूगता अभियान महज औपचारिकता बनकर रह सकता है।
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नुक्कड़ नाटक कर रैली निकाली जाएगी :
मलेरिया जागरूकता अभियान के दौरान विभाग के कर्मचारी प्रभावित क्षेत्रों में जाकर बुखार से पीड़ित मरीजों की पहचान कर उनके खून के नमूने लेकर स्लाइड तैयार करते हैं। इसके साथ ही नुक्कड़ नाटक, रैली निकाल कर लोगों को मलेरिया के प्रति जागरूक किया जाता है, लेकिन मलेरिया विभाग में स्वीकृत पद से करीब 50 फीसदी से भी अधिक पद रिक्त हैं। ड्यूटी पर तैनात कर्मचारी पिछले एक महीने से रुबेला और खसरा अभियान में व्यस्त हैं। इससे विभाग के रूटीन का अभियान पूरा नहीं हो पा रहा है। ऐसे में विभाग की ओर से एक जून यानी शुक्रवार से मलेरिया विरोधी महीना (एंटी मलेरिया मंथ) मनाने का निर्देश दिया है।
जिले में मलेरिया पर अंकुश लगाने के लिए मात्र 10 बहुउद्देश्यि स्वास्थ्य कर्मचारी तैनात हैं, जबकि यहां 95 पद स्वीकृत हैं, जो विभिन्न जगहों पर जाकर मलेरिया मच्छर का लार्वा पहचान करते हैं। अगर लार्वा पाया जाता है, टंकी, कूलर और अन्य चीज को खाली कर दवा का छिड़काव करते हैं। बुखार से पीड़ित मरीजों के खून के नमूने लेकर जांच करने वाले कर्मचारियों का पद सात स्वीकृत हैं। इनमें से सभी पद रिक्त हैं। बताया जा रहा है मलेरिया विभाग में तैनात लगभग सभी कर्मचारियों को पिछले एक महीने से रुबेला और खसरा अभियान में तैनात कर दिया गया है। जो स्कूल और बूथ पर जाकर टीकाकरण करवा रहे हैं। ऐसे में मलेरिया विभाग की ओर से चल रहे जागरुकता अभियान पूरी तरह से ठप हो कसता है।
वहीं, बुधवार देर शाम मलेरिया विभाग के निदेशक डॉ. पीके सेन ने शुक्रवार से एक महीने तक मलेरिया से बचाव के लिए जागरूक करने का निर्देश दिया है। ऐसे में विभाग के अधिकारी और कर्मचारी असमंजस में हैं।
मालूम हो कि वर्ष 2017 मई तक जिले के सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों में मात्र सात मरीजों की पहचान की गई थी, जबकि इस वर्ष 20 मरीजों की पहचान हो चुकी है। इनमें से चार मरीज पलवल के हैं। विभाग को आशंका है कि कर्मचारियों के अभाव में इस वर्ष मलेरिया जोर पकड़ सकता है। पिछले वर्ष मलेरिया के 161 मरीजों की पहचान की गई थी।
जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. गीता पालिया : कर्मचारियों की कमी के कारण अभियान चलाने में थोड़ी दिक्कत हो सकती है। पिछले एक महीने से विभाग में तैनात कर्मचारी खसरा और रुबेला अभियान में व्यस्त हैं। इसके बावजूद लोगों को जागरुक करने के लिए शेड्यूल तैयार कर लिया जाएगा।
मलेरिया के मरीजों की संख्या :
वर्ष पुष्टि
वर्ष 2012 : 880
वर्ष 2013 : 1011
वर्ष 2014 : 135
वर्ष 2015 : 123
वर्ष 2016 : 152
वर्ष 2017 : 161
वर्ष 2018 : 20 (अबतक)
कर्मचारियों के स्वीकृत पद
पद स्वीकृत भरे हुए
बॉयोलाजिस्ट 1 1
बहुउद्दशिय स्वास्थ्य कर्मचारी 134 21
लैब टेक्नीशियन 7 4
मैदान में तैनात कर्मचारी 117 64
मच्छर पहचान (इंसेक्ट कलेक्टर) 4 -
चालक 2 1
मेडिकल अधिकारी 1 -
मलेरिया क्लीनिक : 27
अगनबाड़ी सेंटर 1194