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दिल्ली में भीख मिलना बंद हुआ तो बैरिंग की गाड़ी से एमपी लौट गया दिव्यांग धनप्रसाद

ने वाले धनप्रसाद दिव्यांग हैं। वह दिल्ली में भीख मांगकर अपना गुजारा करते थे। मगर, अब लॉकडाउन की वजह से ऐसे लोगों के खाने के लाले पड़ गए हैं। पेट की आग बुझने का इंतजाम न होने पर उन्होंने अपने घर लौटने...

दिल्ली में भीख मिलना बंद हुआ तो बैरिंग की गाड़ी से एमपी लौट गया दिव्यांग धनप्रसाद
हिन्दुस्तान टीम,फरीदाबादThu, 26 Mar 2020 07:36 PM
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पेज दो के लिए..............दिल्ली में भीख मिलना बंद हुआ तो बैरिंग की गाड़ी से एमपी लौट गया दिव्यांग धनप्रसाद हौसला:-बैरिंग की गाड़ी से वापस लौटते देख लोगों की भीड़ जमा हुई-लोधी रोड दिल्ली में मांगता था भीखफरीदाबाद। केशव भारद्वाजमध्यप्रदेश के रहने वाले धनप्रसाद दिव्यांग हैं। वह दिल्ली में भीख मांगकर अपना गुजारा करते थे। मगर, अब लॉकडाउन की वजह से ऐसे लोगों के खाने के लाले पड़ गए हैं। पेट की आग बुझने का इंतजाम न होने पर उन्होंने अपने घर लौटने का निर्णय लिया। रेल और बस सब बंद हैं तो इन्होंने अपनी बैरिंग वाली गाड़ी से ही अपने घर लौटने का निर्णय लिया। गुरुवार सुबह हाईवे पर बैरिंग की गाड़ी से मध्यप्रदेश जाते देख लोग इस दिव्यांग की हिम्मत और हौसले की दाद देने लगे। गुरुवार सुबह बापू नगर के पास इस दिव्यांग को बापू नगर निवासी अनिल खुटैला ने रोक कर लिया। जब उन्होंने बैरिंग की गाड़ी से लौटने का कारण पूछा तो उसने बताया कि वह दिल्ली में लंबे समय से भीख मांग कर गुजारा करता था। मगर, अब दिल्ली में लॉकडाउन है। भीख देने वाला कोई नहीं है। पेट की भूख उन्हें अब वापस मध्यप्रदेश ले जा रही है। कम से कम अपने घर भोजन तो मिल ही जाएगा। उन्होंने बताया कि जब दिल्ली में खाना मिलना दूभर हो गया तो उसने आज सुबह मध्यप्रदेश निकलने का फैसला किया। दिव्यांग धनप्रसाद की पीड़ा सुनकर बापू नगर निवासी अनिल खुटैला ने दिव्यांग को खाना खिलाकर रवाना किया। हाईवे पर पैदल लोगों की भरमार: लॉकडाउन की सबसे ज्यादा मार गरीब और असहाय लोगों पर पड़ रही है। ऐसे लोगों के पास शहर में काम-धंधा नहीं बचा है। इस वजह से खाने के लाले पड़ गए हैं। इसके चलते लोग अपने घरों को लौट रहे हैं। गुरुवार सुबह हाईवे पर काफी संख्या में लोग पैदल-पैदल मथुरा की ओर जा रहे हैं। इनमें से मध्यप्रदेश और राजस्थान के लोग काफी संख्या में हैं। ये सभी दिल्ली-फरीदाबाद में मेहनत-मजदूरी कर अपना गुजारा करते हैं।

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