NGT और SC के आदेश को दिखा रहे ठेंगा, NCR में यहां चोरी-छिपे बिक रहे पटाखे
दूसरी तरफ पर्यावरण प्रेमियों ने पटाखों पर रोक का समर्थन किया है तो कुछ लोगों ने इस पर असहमति भी जताई है। दीवाली का त्योहार रोशनी, उल्लास और परंपराओं का प्रतीक माना जाता है। बीते कुछ वर्षों से यह खुशी का पर्व प्रदूषण की मार झेल रहा है।

दीवाली पर फरीदाबाद समेत दिल्ली-एनसीआर में एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पटाखों की बिक्री और भंडारण पर रोक लगा दी गई है। इसके बावजूद इसका कोई खास असर शहर में दिखाई नहीं दे रहा। लोग अब भी छोटे-छोटे बाजारों में चोरी-छुपे पटाखे बेच रहे हैं, जिससे त्योहार पर खूब पटाखे चलने की संभावना है।
दूसरी तरफ पर्यावरण प्रेमियों ने पटाखों पर रोक का समर्थन किया है तो कुछ लोगों ने इस पर असहमति भी जताई है। दीवाली का त्योहार रोशनी, उल्लास और परंपराओं का प्रतीक माना जाता है। बीते कुछ वर्षों से यह खुशी का पर्व प्रदूषण की मार झेल रहा है। इस बार भी सरकार और राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) के कड़े निर्देशों के बीच स्मार्ट सिटी सहित पूरे एनसीआर में हर तरह के पटाखों पर प्रतिबंध लागू है।
सरकार ने इस बार न केवल परंपरागत बल्कि तथाकथित हरित पटाखों पर भी रोक लगाई है। आदेशों के बावजूद शहर के कुछ इलाकों में गुपचुप तरीके से पटाखों की बिक्री जारी है। प्रशासन ने सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है, वहीं आम लोग भी अब दो हिस्सों में बंट गए हैं। एक ओर परंपरा निभाने वाले, तो दूसरी ओर पर्यावरण को प्राथमिकता दी जा रही है। लिंग्याज विद्यापीठ के चांसलर डॉ. पिचेश्वर गड्ढे और सीओओ प्रेम कुमार सालवान ने कहा कि हमारे कॉलेज में प्रदूषण मुक्त दीवाली अभियान चलाया जा रहा है। छात्र मिठाई और पौधे बांटकर खुशियां फैला रहे हैं। यह छोटा कदम है, लेकिन बड़ा संदेश देता है।
पड़ताल में सामने आया कि शहर के कुछ पुराने बाजारों में अब भी पटाखों का सीमित कारोबार जारी है। सराय ख्वाजा, ओल्ड फरीदाबाद, एनआईटी, बड़खल और बल्लभगढ़ के हिस्सों में मिठाइयों और खिलौनों की दुकानों के पीछे छोटे पैकेटों में पटाखे बेचे जा रहे हैं। सेक्टर-23 संजय कॉलोनी के एक दुकानदार ने कहा कि लोग बच्चों के लिए फूलझड़ी और अनार मांगते हैं। खुल्लमखुल्ला तो नहीं बेच सकते, लेकिन पुराना स्टॉक निकाल देते हैं।इसी प्रकार नंगला-भड़ाना रोड स्थित सब्जी मंडी के एक दुकानदार ने कहा कि दीवाली पर बच्चों के लिए सभी तरह के पटाखे मिल जाएगे।खरीदने के लिए व्यक्ति को घर आना होगा। समीप ही एक बिजली उपकरण की दुकान पर पटाखे बेचे जा रहे हैं। दुकानदार ने कहा कि लाेग बच्चों के लिए चोरी-छुपे लेकर जा रहे हैं। इन इलाकों में कई जगह स्थानीय पुलिस की गश्त भी बढ़ाई गई है।
जिला प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि किसी भी स्थिति में पटाखों की बिक्री की अनुमति नहीं दी जाएगी। जिलाधीश विक्रम सिंह का कहना है कि सभी थाना प्रभारियों को आदेश दिया है कि वे अपने क्षेत्र में लगातार निरीक्षण करें। किसी भी दुकान या गोदाम में पटाखों का स्टॉक मिलने पर तुरंत जब्ती और मुकदमा दर्ज किया जाए। इस दौरान ऑनलाइन प्लेटफार्मों के जरिए भी पटाखों बेचने वालों पर सख्ती बरतने के आदेश दिए गए हैं। इसके लिए साइबर सेल को भी सक्रिय रहने के लिए कहा गया है।
पर्यावरण हितैषी माने जाने वाले हरित पटाखे इस बार भी दीवाली में जगह नहीं बना पाए हैं। एनजीटी का तर्क है कि दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता पहले ही गंभीर श्रेणी में रहती है। हरित पटाखे भी प्रदूषण को रोकने में प्रभावी साबित नहीं हो रहे। हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पिछले वर्षों के डेटा के अनुसार दीवाली के दौरान प्रदूषण का स्तर सामान्य दिनों की तुलना में तीन से चार गुना बढ़ जाता है। वायु गणवत्ता सूचकांक कई बार 450 तक पहुंच जाता है। ऐसे में किसी भी तरह के पटाखों की अनुमति देना लोगों की सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।




