
दिल्ली में यमुना की बाढ़ निगरानी में हाई-टेक क्रांति, ड्रोन और IoT से होगी हर हलचल पर नजर
संक्षेप: दिल्ली में यमुना नदी के बढ़ते जलस्तर की निगरानी अब हाई-टेक तरीके से की जाएगी, जिसके लिए सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग ने ड्रोन और IoT (इंटरनेट ऑफ थिंग्स) जैसी आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करने की योजना बनाई है, ताकि बाढ़ जैसे हालात में समय पर और सटीक कार्रवाई की जा सके।
दिल्ली में यमुना नदी के बढ़ते जलस्तर को लेकर अब कोई चूक नहीं होगी। दिल्ली का सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग (I&FC) अब पुराने घंटे-घंटे की निगरानी को अलविदा कहकर रीयल-टाइम ट्रैकिंग की ओर कदम बढ़ा रहा है। नई तकनीक, ड्रोन और IoT (इंटरनेट ऑफ थिंग्स) के साथ यमुना की हर हलचल पर नजर रहेगी, ताकि बाढ़ जैसे हालात में तेजी से कदम उठाए जा सकें।

यमुना पर अब हाई-टेक निगरानी
दिल्ली में यमुना का जलस्तर मापने का केंद्र रहा है पुराना रेलवे ब्रिज। यहां हर घंटे जलस्तर की जांच होती थी, लेकिन अब विभाग इसे रीयल-टाइम निगरानी में बदलने की तैयारी में है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'हम पुराने रेलवे ब्रिज पर गेज स्टेशन के साथ-साथ हाइड्रोलॉजिकल ऑब्जर्वेशन स्टेशनों के नेटवर्क का इस्तेमाल करते हैं। अब हम सेंसर और सॉफ्टवेयर की मदद से हर सेकंड जलस्तर की जानकारी हासिल करेंगे।'
इस नई व्यवस्था से यह अनुमान लगाना आसान होगा कि अगले कुछ घंटों में जलस्तर कितना बढ़ सकता है। इससे बाढ़ की चेतावनी और बचाव के कदम पहले से ज्यादा सटीक और तेज होंगे।
IoT और ड्रोन, भविष्य की निगरानी का हथियार
विभाग अब IoT तकनीक को अपनाने की योजना बना रहा है। इस तकनीक में सेंसर पानी के स्तर को डिजिटल सिग्नल में बदलकर नेटवर्क पर भेजेंगे, जिससे रीयल-टाइम डेटा मिलेगा। एक अधिकारी ने बताया, 'IoT सेंसर के जरिए हमें हर पल की जानकारी मिलेगी। यह तकनीक हमें बाढ़ के खतरे को पहले से भांपने में मदद करेगी।' इतना ही नहीं, बाढ़ प्रभावित इलाकों की निगरानी के लिए ड्रोन भी उतारे जाएंगे। ये ड्रोन वीडियो फुटेज रिकॉर्ड करेंगे और प्रशासन को हालात का सटीक जायजा लेने में मदद करेंगे। सेंट्रल सर्वर से जुड़े ड्रोन जरूरत पड़ने पर जोखिम वाले इलाकों में चेतावनी और अलर्ट मैसेज भी भेज सकेंगे।
क्या हैं जलस्तर के मानक?
दिल्ली के I&FC विभाग ने यमुना के जलस्तर के लिए कुछ मानक तय किए हैं। पुराने रेलवे ब्रिज पर 204.50 मीटर का जलस्तर चेतावनी का संकेत है, जबकि 205.33 मीटर को खतरे का स्तर माना जाता है। अगर जलस्तर 206 मीटर को पार करता है, तो तुरंत निकासी शुरू कर दी जाती है। रीयल-टाइम निगरानी से इन स्तरों पर पहले से ज्यादा सटीक नजर रखी जा सकेगी।
क्यों जरूरी है यह बदलाव?
दिल्ली में यमुना का जलस्तर अक्सर बाढ़ का कारण बनता है और समय पर सटीक जानकारी न मिलने से बचाव कार्यों में देरी हो सकती है। नई तकनीक के साथ विभाग का मकसद है कि बाढ़ जैसे हालात में तुरंत कदम उठाए जाएं और लोगों की जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित हो। ड्रोन और IoT से न सिर्फ निगरानी आसान होगी, बल्कि आपदा प्रबंधन में भी क्रांति आएगी।





