Hindi Newsएनसीआर न्यूज़Delhi is becoming a gas chamber why no precautionary measures were taken Next hearing on Monday Supreme Court

गैस चैंबर बनती जा रही दिल्ली; सुप्रीम कोर्ट- एहतियाती कदम क्यों नहीं उठाए गए ?

अदालत ने दिल्ली और आस-पास के इलाकों के लिए कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मेनेजमेंट की दलीलें सुनीं। अदालत ने कहा कि वायु गुणवत्ता के गंभीर श्रेणी में पहुंचने से पहले एहतियाती कदम क्यों नहीं उठाए गए।

Ratan Gupta हिन्दुस्तान टाइम्स, अब्राहम थॉमस, नई दिल्लीThu, 14 Nov 2024 07:28 AM
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बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने राजधानी दिल्ली में प्रदूषण की बिगड़ती स्थिति का जायजा लेते हुए सुनवाई की। अदालत ने दिल्ली और आस-पास के इलाकों के लिए कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मेनेजमेंट की दलीलें सुनीं। अदालत ने कहा कि वायु गुणवत्ता के गंभीर श्रेणी में पहुंचने से पहले एहतियाती कदम क्यों नहीं उठाए गए। न्यायाधीश अभय एस ओका की अध्यक्षता वाली पीठ, जो एमसी मेहता मामले में दिल्ली प्रदूषण मामले की सुनवाई कर रही है, ने इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह द्वारा उल्लेख किए जाने पर सुनवाई पर सहमती जताई है।

अपराजिता सिंह ने बताया कि कल से दिल्ली में हवा की गुणवत्ता गंभीर स्तर पर है। अदालत ने सीएक्यूएम को एहतियाती कदम उठाने की अनुमती दी थी। मगर अभी तक कुछ नहीं किया गया है। गुरुवार सुबह राजधानी में वायु गुणवत्ता सूचकांक 473 दर्ज किया गया है। दिल्ली में गंभीर श्रेणी में वायु गुणवत्ता होने के कारण धुंध की चादर छाई रहती है। इस मौसम दिल्ली में दर्ज किया गया यह सबसे खराब वायु गुणवत्ता सूचकांक है। इस पीठ में न्यायाधीश ऑगस्टीन जॉर्ज भी शामिल थे, उन्होंने अपराजिता से कहा कि शुक्रवार को कोर्ट बंद है। इसलिए अब इसकी सुनवाई सोमवार को होगी।

अपराजिता सिंह ने कहा कि हम कुछ कार्रवाई करने से पहले दुनिया के सबसे प्रदूषित शहर क्यों बनना चाहते हैं। इसके बाद उन्होंने कोर्ट को बताया कि सीएक्यूएम को इस मामले के बारे में सूचित किया गया था। इसलिए उन्हें इसका स्पष्टीकरण देना चाहिए कि उन्होंने इस मामले में कोई कार्रवाई क्यों नहीं की और नियमों को लागू क्यों नहीं किया। ग्रैप-3 एक्यूआई को खराब होने से पहले मापता है। ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान स्टेज-3 सीएक्यूएम को सिफारिश करने की अनुमति देता है कि प्राथमिक विद्यालयों के लिए ऑनलाइन क्लास और निर्माण जैसे कार्यों को पूरी तरह से बंद करे।

इस सप्ताह की शुरुआत में, न्यायालय ने कहा था कि प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है। इस अधिकार की रक्षा के लिए न्यायालय ने पटाखों पर स्थायी प्रतिबंध लगाने का सुझाव भी दिया था। न्यायालय ने दिल्ली के प्रदूषण से निपटने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाया है। पंजाब और हरियाणा राज्यों को किसानों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज करने और धान की पराली जलाने की अनुमति देने वाले अधिकारियों पर मुकदमा चलाने के लिए फटकार भी लगाई है, जिसे प्रदूषण में प्रमुख योगदानकर्ता माना जाता है।

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