
दिल्ली HC ने नोएडा अथॉरिटी के किस पत्र पर लगाई रोक? 100 करोड़ के भुगतान का मामला
संक्षेप: अदालत ने अपने 25 सितंबर के आदेश में कहा कि देखने पर ऐसा लगता है कि याचिकाकर्ता को विज्ञापन प्रदर्शित करने का अधिकार है और सुविधा का संतुलन याचिकाकर्ता के पक्ष में है। याचिकाकर्ता को अंतरिम आदेश नहीं दिया जाता है, तो उसे अपूर्णीय क्षति और नुकसान हो सकता है, जिसकी भरपाई पैसे के रूप में नहीं हो सकती।
दिल्ली हाई कोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण (NOIDA Authority) की एक मांग पर आज रोक लगा दी। प्राधिकरण की ओर से जारी उस मांग पत्र पर रोक लगा दी है, जिसमें DND फ्लाईवे का निर्माण करने वाली कंपनी नोएडा टोल ब्रिज कंपनी लिमिटेड से कथित विज्ञापन लाइसेंस शुल्क के रूप में ₹100 करोड़ की मांग की गई थी। न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने अंतरिम रूप से न्यू ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण (NOIDA) के आउटडोर विज्ञापन विभाग की ओर से जारी किए गए उस पत्र पर रोक लगाई, जिसमें कथित तौर पर याचिकाकर्ता (petitioner) को दिल्ली-नोएडा-दिल्ली (DND) फ्लाईवे पर लगे आउटडोर विज्ञापन हटाने के लिए भी कहा गया था।
अदालत ने अपने 25 सितंबर के आदेश में कहा, "प्रथम दृष्टया (Prima facie) ऐसा लगता है कि याचिकाकर्ता को विज्ञापन प्रदर्शित करने का अधिकार है और सुविधा का संतुलन याचिकाकर्ता के पक्ष में है। अगर याचिकाकर्ता को अंतरिम आदेश नहीं दिया जाता है, तो उसे अपूर्णीय क्षति (irreparable damage) और नुकसान हो सकता है, जिसकी भरपाई पैसे के रूप में नहीं की जा सकती।"
अदालत ने आगे कहा कि 10 सितंबर के पत्र के आधार पर याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। यह रोक अगली सुनवाई तक लागू रहेगी, क्योंकि अदालत ने नोएडा प्राधिकरण को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 16 जनवरी, 2026 को होगी। नोएडा टोल ब्रिज कंपनी लिमिटेड (NTBCL) की ओर से दायर याचिका में दावा किया गया था कि प्रतिवादी ने उसे DND फ्लाईवे के नोएडा वाले हिस्से पर बाहरी विज्ञापन प्रदर्शित करने का अधिकार एक निश्चित दर पर दिया था, जिसे बाद में बढ़ाया गया और जिसका भुगतान नियमित रूप से किया जाता रहा है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 26 अक्टूबर 2016 को याचिकाकर्ता (petitioner) को DND फ्लाईवे का उपयोग करने वाले यात्रियों से उपयोगकर्ता शुल्क (टोल) वसूलने से रोक दिया था, जिसे बाद में दिसंबर 2024 में उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने भी सही ठहराया था। याचिकाकर्ता के वकील ने दावा किया कि भले ही NTBCL (कंपनी) के पास अब टोल वसूलने का अधिकार नहीं है, फिर भी वह नोएडा की तरफ विज्ञापन प्रदर्शित करने का हकदार है, क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने किसी भी तरह से याचिकाकर्ता के अधिकारों में हस्तक्षेप नहीं किया है।
याचिका में दावा किया गया कि नोएडा प्राधिकरण ने 10 जनवरी को विज्ञापन के लिए लाइसेंस शुल्क को पिछली तारीख (retrospectively) से, 1 अप्रैल 2024 से प्रभावी करते हुए बढ़ा दिया। कंपनी का दावा है कि यह "प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन" है और अब प्राधिकरण ने बकाया के रूप में 100 करोड़ की मांग की है। याचिकाकर्ता के वकील ने दावा किया कि फ्लाईवे के विकास के लिए दोनों पक्षों के बीच हुए समझौते में ऐसा कोई खंड (clause) नहीं था, जो नोएडा प्राधिकरण को एकतरफा (unilaterally) विज्ञापन दरों को बदलने की अनुमति देता हो।





