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पॉक्सो एक्ट का गलत इस्तेमाल, प्रेम संबंध के चलते जेलों में सड़ रहे युवा, HC ने ऐसा क्यों कहा?

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को एक नाबालिग लड़की के साथ कथित दुष्कर्म के आरोपी युवक को पोक्सो मामले में जमानत देते हुए कहा कि कानून का गलत इस्तेमाल उन युवाओं के मामलों में हो रहा है, जो 18 साल से थोड़ी कम उम्र की लड़कियों से प्यार करते हैं।

Krishna Bihari Singh भाषा, नई दिल्लीWed, 14 Aug 2024 07:13 PM
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दिल्ली हाईकोर्ट ने एक नाबालिग लड़की के साथ रेप के आरोपी उस युवक को पॉक्सो मामले में जमानत दे दी, जिसके साथ उसके कथित प्रेम संबंध थे। अदालत कहा कि ऐसे मामलों में कानून का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। नतीजतन युवा लड़के जो 18 साल से कम उम्र की लड़कियों से प्यार करते हैं, जेलों में सड़ रहे हैं। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि किसी युवा के भविष्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। अदालत का मानना ​​है कि यदि याचिकाकर्ता को ज्यादा दिन तक जेल में रखा गया तो उसके दुर्दांत अपराधी के रूप में बाहर आने की आशंका है।

न्यायालय ने गौर किया कि कानून का गलत इस्तेमाल उन युवकों के मामलों में हो रहा है, जो 18 साल से थोड़ी कम उम्र की लड़कियों से प्रेम करते हैं। ऐसे युवक प्रेम संबंधों का विरोध करने वाले परिवारों के कहने पर दर्ज किए गए मामलों के कारण जेलों में हैं। जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि 18 साल से कम उम्र की लड़कियों और 20 साल से अधिक उम्र के लड़कों के बीच सहमति से बनाए गए यौन संबंधों को लेकर कानूनी रूप से अस्पष्टता है।

अदालत उस मामले की सुनवाई कर रही थी जिसमें लड़की वारदात के वक्त लगभग 17 साल की थी और याचिकाकर्ता युवक लगभग 21 वर्ष का था। लड़की की मां ने अपनी बेटी के संबंध में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई थी। बाद में पाया गया कि लड़की याचिकाकर्ता के साथ रह रही थी। यह प्राथमिकी भारतीय दंड संहिता और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत अपहरण, गंभीर यौन उत्पीड़न और बलात्कार के अपराधों के लिए दर्ज की गई थी।

लड़की ने शुरू में दावा किया था कि वह स्वेच्छा से अपने प्रेमी, याचिकाकर्ता के साथ गई थी, उससे विवाह कर लिया था और अब वह गर्भवती है। बाद में वह अपने बयान से मुकर गई। न्यायमूर्ति प्रसाद ने अपने आदेश में कहा- अदालत का मानना ​​है कि मौजूदा मामला प्रेम संबंध का है। यह अदालत इस सवाल पर विचार नहीं कर रही है कि याचिकाकर्ता ने अपराध (पॉक्सो और आईपीसी के तहत) किया है या नहीं...

न्यायमूर्ति प्रसाद ने कहा- यह अदालत केवल इस बात को लेकर चिंतित है कि क्या एक युवक जो पिछले तीन वर्षों से जेल में है, उसे जमानत दी जानी चाहिए या नहीं, इस तथ्य के मद्देनजर कि लड़की ने अपने बयानों में अपना रुख बदल दिया है।

न्यायमूर्ति प्रसाद ने अपने फैसले में कहा- अदालत का मानना ​​है कि यदि याचिकाकर्ता जेल में ही रहेगा तो उसके एक दुर्दांत अपराधी के रूप में बाहर आने की आशंका बहुत अधिक है। इस समय अदालत द्वारा किसी युवा के भविष्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। मामले में तथ्यों पर विचार करते हुए अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंची कि वह याचिकाकर्ता को कुछ शर्तों पर जमानत देने की इच्छुक है। इसके साथ ही अदालत ने आरोपी को 20 हजार रुपये की जमानत राशि और इतनी ही राशि के दो मुचलके देने के लिए कहा।

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