दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग में 'सब ठीक नहीं', हाईकोर्ट सख्त, एम्स निदेशक को बड़ी जिम्मेदारी
हाईकोर्ट ने दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग की जमकर खिंचाई करते हुए कहा है कि शहर के स्वास्थ्य विभाग में सब कुछ ठीक नहीं है। काफी खींचतान चल रही है। इसके साथ ही अदालत ने एम्स निदेशक को एक बड़ी जिम्मेदारी सौंप दी। विस्तृत जानकारी के लिए पढ़ें यह रिपोर्ट...
हाईकोर्ट ने दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग की जमकर खिंचाई की है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि शहर के स्वास्थ्य विभाग में 'सब कुछ ठीक नहीं है', अधिकारियों के बीच कड़वी लड़ाई चल रही है। इसके साथ ही दिल्ली हाईकोर्ट ने एम्स निदेशक को दिल्ली सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों में सेवाओं में सुधार के लिए डॉ. एसके सरीन की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को लागू करने की जिम्मेदारी सौंप दी।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ को डॉ. एसके सरीन से एक पत्र मिला जिसमें समिति को प्रस्तावित सुधारों के कार्यान्वयन की निगरानी से अलग रखने का आग्रह किया गया है। पीठ ने कहा कि दिल्ली सरकार के अधीन अस्पतालों में काम कर रहे चार सदस्यीय डॉक्टर डरे हुए हैं, और खतरा महसूस कर रहे हैं। अदालत ने नौकरशाहों और मंत्री के बीच पूरी तरह आम सहमति नहीं बन पाने पर दुख जताया। अदालत ने कहा कि दिल्ली में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता निराशाजनक बनी हुई है। आम आदमी उन लोगों की उदासीनता का शिकार है जो इसके लिए जिम्मेदार हैं।
जस्टिस मनमीत पीएस अरोड़ा वाली इस पीठ ने कहा- यह पत्र बहुत कुछ कहता है। अदालत का मानना है कि यदि GNCTD के चार वरिष्ठ डॉक्टर, एक व्यापक रिपोर्ट तैयार करने के बाद, इसकी सिफारिशों को लागू कराने की निगरानी के काम से खुद को अलग कर लेते हैं, तो यह दिखाता है कि दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग में सब कुछ ठीक नहीं है।
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, 26 अगस्त को डॉ. एसके सरीन के हस्ताक्षरित पत्र में कहा गया है कि सिफारिशों को लागू कराने में समिति के सदस्यों को चुनौतियां महसूस हो रही हैं। इसकी वजह यह कि समिति के छह में से चार सदस्य दिल्ली सरकार के संचालित अस्पतालों के अंतर्गत काम कर रहे हैं। ये चार सदस्य दिल्ली सरकार के अधीन काम करते हैं।
अदालत ने कहा कि वातावरण काफी विषाक्त है। दोनों पक्षों (स्वास्थ्य मंत्री और नौकरशाह) की ओर से खुलेआम आरोप लगाए जा रहे हैं। समिति के छह में से चार वरिष्ठ डॉक्टर डरे हुए हैं। ये खुद को खतरे में महसूस कर रहे हैं। दोनों तरफ (स्वास्थ्य मंत्री और नौकरशाह) से खुलेआम आरोप लगाए जा रहे हैं। ये कितनी कड़वाहट से लड़ रहे हैं। हमारा मानना है कि दिल्ली सरकार का स्वास्थ्य विभाग बीमारियों से लड़ने के बजाय, अपने आप से लड़ रहा है।
इसके साथ ही दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा, आम आदमी को परेशानी नहीं होनी चाहिए। अपरिहार्य परिस्थितियों में असाधारण उपायों की जरूरत होती है। यह अदालत एम्स के निदेशक को यह सुनिश्चित करने के लिए नियुक्त करती है कि डॉ. सरीन समिति की रिपोर्ट को सही तरीके से लागू कराया जाए। इसके साथ ही अदालत ने अधिकारियों को चार सदस्यीय डॉक्टरों की सेवाओं का दो साल के लिए रिन्यू करने का निर्देश दिया। साथ ही कहा कि इन चारों डॉक्टरों को परेशान नहीं किया जाना चाहिए।
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