Hindi Newsएनसीआर Newsdelhi high court said there is no rule to act against those judges who failed to vacate official houses
आवास खाली न करने वाले जजों पर कार्रवाई के कोई नियम नहीं; RTI के जवाब में दिल्ली HC

आवास खाली न करने वाले जजों पर कार्रवाई के कोई नियम नहीं; RTI के जवाब में दिल्ली HC

संक्षेप: जाने-माने आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष चंद्र अग्रवाल ने अगस्त में हाई कोर्ट का रुख किया था। उन्होंने यह जानना चाहा था कि रिटायरमेंट, ट्रांसफर या प्रमोशन के बाद जजों द्वारा सरकारी बंगले को अपने पास रखने को लेकर क्या नियम हैं और उन्हें कितने समय तक बिना किराए के रहने की अनुमति है।

Wed, 8 Oct 2025 11:45 AMUtkarsh Gaharwar लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली
share Share
Follow Us on

रिटायर्मेंट या ट्रांसफर के बाद भी सरकारी बंगला न खाली करने वाले जजों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कोई नियम नहीं हैं। दिल्ली हाई कोर्ट ने आरटीआई (RTI) अधिनियम के तहत पूछे गए एक सवाल के जवाब में ये बात कही है। कोर्ट की आरटीआई सेल ने पिछले कुछ वर्षों में अनिवार्य रियायती अवधि (grace period) समाप्त होने के बाद भी सरकारी बंगलों को अपने पास रखने वाले जजों का विवरण साझा करने से इनकार कर दिया।

LiveHindustan को अपना पसंदीदा Google न्यूज़ सोर्स बनाएं – यहां क्लिक करें।

जाने-माने आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष चंद्र अग्रवाल ने अगस्त में हाई कोर्ट का रुख किया था। उन्होंने यह जानना चाहा था कि रिटायरमेंट, ट्रांसफर या प्रमोशन के बाद जजों द्वारा सरकारी बंगले को अपने पास रखने को लेकर क्या नियम हैं और उन्हें कितने समय तक बिना किराए के रहने की अनुमति है।

कोर्ट ने कहा कि आवास को अपने पास रखना (रिटेंशन) अनुमेय (permissible) है, "रिटायरमेंट के मामले में 30 दिन तक और ट्रांसफर/प्रमोशन के मामले में 90 दिन तक, और लागू दिशानिर्देशों के अनुसार समय-सीमा बढ़ाई जा सकती है।" लेकिन कोर्ट ने यह बताने से इनकार कर दिया कि इस मामले में 'लागू दिशानिर्देश' क्या हैं। अग्रवाल का अगला सवाल उन नियमों के बारे में था जिनके तहत उन जजों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है जो रियायती अवधि (grace period) समाप्त होने के बाद भी सरकारी आवास खाली नहीं करते हैं, और क्या ज़्यादा समय तक रहने पर उन्हें बेदखल करने का कोई प्रावधान है।

कार्रवाई के नियमों से जुड़े सवाल पर जवाब अस्पष्ट और एक-लाइन का था: "ऐसे कोई नियम मौजूद नहीं हैं।" हाई कोर्ट की आरटीआई सेल ने कहा कि आपकी ओर से मांगी गई जानकारी को सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 8(1)(b) और 8(1)(g) के तहत खुलासा करने से छूट प्राप्त है।" इसके अलावा, उन्होंने इस मामले से जुड़ी फाइल नोटिंग्स (file notings) का खुलासा करने से भी इनकार कर दिया।

TOI से बात करते हुए, अग्रवाल ने कहा कि उन्होंने अपील दायर कर दी है। उन्होंने कहा, "यह समझना मुश्किल है कि धारा 8(1)(b) का उपयोग कैसे किया जा सकता है। मैंने तर्क दिया है कि आरटीआई अधिनियम छूट प्राप्त जानकारी का खुलासा भी तब करने की अनुमति देता है जब जनता का जानने का अधिकार संरक्षित हितों को होने वाले नुकसान से अधिक बड़े सार्वजनिक हित की पूर्ति करता हो।"

Utkarsh Gaharwar

लेखक के बारे में

Utkarsh Gaharwar
एमिटी और बेनेट विश्वविद्यालय से पत्रकारिता के गुर सीखने के बाद अमर उजाला से करियर की शुरुआत हुई। अमर उजाला में बतौर एंकर सेवाएं देने के बाद 3 साल नवभारत टाइम्स ऑनलाइन में डिजिटल कंटेंट प्रोड्यूसर के पद पर काम किया। वर्तमान में लाइव हिंदुस्तान में डिजिटल कंटेंट प्रोड्यूसर के पद पर कार्यरत हूं। एंकरिंग और लेखन के अलावा मिमिक्री और थोड़ा बहुत गायन भी कर लेता हूं। और पढ़ें
लेटेस्ट Hindi News , Delhi Blast, बॉलीवुड न्यूज , बिजनेस न्यूज , क्रिकेट न्यूज , धर्म ज्योतिष , एजुकेशन न्यूज़ , राशिफल और पंचांग पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।