सिंघु बॉर्डर से पूरी तरह ब्लॉकेड हटाने की मांग; दिल्ली हाईकोर्ट का सुनवाई से इनकार, क्या कहा?
दिल्ली हाईकोर्ट ने सिंघु बॉर्डर पूरी तरह से खोलने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है। हालांकि अदालत ने याचिकाकर्ताओं को दिल्ली पुलिस के समक्ष अपना पक्ष रखने की छूट दी।
दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को सिंघु बॉर्डर से ब्लॉकेड पूरी तरह हटाने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। सिंघु बॉर्डर हरियाणा को दिल्ली से जोड़ता है। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि पुलिस ने खुफिया जानकारी के आधार पर सीमा को आंशिक रूप से खोलने का निर्णय लिया होगा। इसके साथ ही मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने याचिकाकर्ताओं को दिल्ली पुलिस के समक्ष अपना पक्ष रखने की छूट दी और सीधे अदालत आने पर फटकार भी लगाई।
बता दें कि 13 फरवरी को MSP की कानूनी गारंटी सहित विभिन्न मांगों के साथ किसान संगठनों के दिल्ली की ओर बढ़ने के बाद सीमा पर भारी बैरिकेडिंग कर दी गई थी। इसे बंद कर दिया गया था। हालांकि, दिल्ली पुलिस ने दो हफ्ते बाद सिंघु बॉर्डर को आंशिक रूप से खोलने का फैसला किया था क्योंकि किसान समूहों की ओर से कहा कि उन्होंने 29 फरवरी तक राजधानी की ओर अपना मार्च स्थगित कर दिया है।
मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने दिल्ली और गुरुग्राम में काम करने वाले याचिकाकर्ताओं (शंकर मोर, सचिन अनेजा और एकनूर सिंह) के वकील सचिन मिगलानी से कहा- हो सकता है कि उनके (पुलिस) पास कार्रवाई योग्य कुछ खुफिया जानकारी हो। हम कोई जोखिम नहीं ले सकते। आप और मैं इस पर फैसला नहीं कर सकते। हमें नहीं पता। उनके पास कुछ कार्रवाई योग्य जानकारी भी हो सकती है।
अदालत ने यह भी कहा कि यदि आवाजाही प्रतिबंधित है, तो वे तुरंत ही स्थिति को नियंत्रित कर सकते हैं, अन्यथा स्थिति को संभालने में लंबा समय लगेगा। हम वहां नहीं गए हैं, इसलिए हमें नहीं पता कि क्या हो रहा है। इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ताओं को दिल्ली पुलिस के समक्ष अपना पक्ष रखने की छूट दी और उन्हें सीधे अदालत आने पर फटकार भी लगाई।
पीठ ने कहा- आप बिना कोई प्रतिनिधित्व पेश किए सीधे (इस अदालत में) चले आए हैं। हम हरियाणा सरकार को (प्रतिनिधित्व तय करने के लिए) निर्देश नहीं दे सकते। दिल्ली पुलिस फैसला कर सकती है। मौजूदा वक्त में इस अदालत में समस्या यह है कि हम इतने सुलभ हो गए हैं कि कोई भी याचिका दायर कर सकता है। राज्य सरकार को प्रतिनिधित्व दायर करना और उनसे जवाब प्राप्त करना बहुत बोझिल है, इसलिए हर कोई सीधे हमारे पास आता है। प्रतिनिधित्व करें, हमें बताएं कि उनका रुख क्या है।
इसके साथ ही अदालत ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि किसानों के विरोध के मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ताओं को दिल्ली पुलिस के पास अपनी मांग रखने की छूट दी। दिल्ली हाईकोर्ट का यह रुख सुप्रीम कोर्ट की ओर से शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों की शिकायतों को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने के लिए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति नवाब सिंह की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति गठित करने के कुछ दिनों बाद आया है।