प्रवासियों की है दिल्ली; राजधानी में आरक्षण पर हाई कोर्ट ने दिया अहम फैसला
दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में कहा कि केंद्र शासित प्रदेश होने की वजह से राष्ट्रीय राजधानी प्रवासियों की है और किसी भी श्रेणी के आरक्षण के लाभ से इनकार नहीं किया जा सकता है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में कहा कि केंद्र शासित प्रदेश होने की वजह से राष्ट्रीय राजधानी प्रवासियों की है और किसी भी श्रेणी के आरक्षण के लाभ से इनकार नहीं किया जा सकता है। जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस गिरिश कथपालिया की बेंच ने कहा, 'इसमें कोई विवाद नहीं कि, NCT दिल्ली प्रशासन चलाने के अलावा सभी उद्देश्यों के लिए केंद्र शासित क्षेत्र है, यह प्रवासियों की और इसलिए किसी भी श्रेणी को आरक्षण के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता है।'
लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने यह टिप्पणी दिल्ली सबऑर्डिनेट सर्विसेज सलेक्शन बोर्ड (DSSSB) की ओर से दायर याचिका को खारिज करते हुए की। याचिका में सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेशन ट्राइब्यूनल (CAT) के आदेश को चुनौती दी गई थी। CAT ने निर्देश दिया था कि विष्णु कुमार बादेतिया दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग में स्टाफ नर्स के पद पर नियुक्ति के हकदार हैं। 2009 में निकाली गई भर्ती में अनुसूचित जाति के अभ्यर्थी के तौर पर उन्होंने आवेदन किया था।
बादेतिया को 2011 में सफल घोषित किया गया था, लेकिन नियुक्ति की अंतिम सूची में उनका नाम नहीं था। उन्होंने इसकी वजह यह बताई गई कि उनका जाति प्रमाण पत्र राजस्थान का है, जोकि दिल्ली के बाहर है। अभ्यर्थी ने कहा कि दिल्ली सरकार की ओर से जारी लेटर के मुताबिक GNCTD में सिविल पोस्ट्स पर आरक्षण के लाभ के लिए अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थी लाभ के हकदार हैं, भले ही वह कहीं से हों। उन्होंने CAT की ओर से पारित एक पूर्व के आदेश का भी हवाला दिया। 2011 में इसी तरह के एक मामले में CAT ने कुछ अभ्यर्थियों को अनुसूचित जाति के उम्मीदवार के तौर पर नियुक्ति देने को कहा था।
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