
दुबई से साढ़े 13 लाख की घड़ी पहन दिल्ली आया शख्स, एयरपोर्ट पर हुई जब्त; क्या बोला कोर्ट
संक्षेप: दुबई में रह रहे भारतीय नागरिक महेश की दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर जब्त की गई रोलेक्स वॉच मामले में बड़ा अपडेट आया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने 17 सितंबर 2025 को दिए आदेश में कस्टम विभाग की कार्यवाही पर सवाल उठाते हुए राहत दी है। आइए जानते हैं कोर्ट ने क्या कहा।
दुबई में रह रहे भारतीय नागरिक महेश की दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर जब्त की गई रोलेक्स वॉच मामले में बड़ा अपडेट आया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने 17 सितंबर 2025 को दिए आदेश में कस्टम विभाग की कार्यवाही पर सवाल उठाते हुए राहत दी है। आइए जानते हैं पूरा मामला क्या है।

मामला बीते साल मार्च का है। 7 मार्च को महेश दुबई से दिल्ली एयरपोर्ट आए। इस दौरान कस्टम के अधिकारियों ने उनकी रोलेक्स घड़ी जब्त कर ली। इस घड़ी की कीमत 13.48 लाख रुपए है। कस्टम विभाग का आरोप था कि महेश ने इतनी महंगी घड़ी को रेड चैनल पर डिक्लेयर नहीं किया और ग्रीन चैनल से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे थे। कस्टम का कहना है कि यह घड़ी व्यक्तिगत उपयोग के लिए नहीं, बल्कि कॉमर्शियल क्वांटिटी की श्रेणी में आती है। बाद में इस मामले पर 30 जनवरी को ऑर्डर इन ओरिजनल पारित किया और महेश को 1.8 लाख रुपए जुर्मान जमा करने और री-एक्सपोर्ट यानी कि भारत से भारत भेजने की शर्त रखी और कहा कि इसके बाद ही घड़ी को छोड़ा जाएगा। इसमें महेश को बताया गया कि घड़ी को 120 दिनों के अंदर ही ले जाना होगा। लेकिन 120 दिन बीत जाने के बाद महेश ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटघटाया।
महेश दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचे और कस्टम विभाग के इस फैसले को चुनौती दी। इस दौरान जस्टिस प्रतिभा एम सिंह की बेंच ने सुनवाई करते हुए पाया कि कस्टम विभाग ने आदेश के पैरा नंबर 8.4 में बड़ी गलती की है। अदालत ने कहा कि अधिकारी ने खुद स्वीकार किया था कि महेश भारत के नागरिक हैं और दुबई में रेजिडेंट कार्डधारक हैं। ऐसे में महेश को री-एक्सपोर्ट का विकल्प दिया जा सकता था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है।
हाई कोर्ट ने इस मामले को महेश के पक्ष में बताते हुए कहा कि आदेश की कमियों की वजह से याचिकाकर्ता को नुकसान नहीं होना चाहिए। हालांकि, कोर्ट ने घड़ी की जब्ती को लेकर लगाए जुर्माने को पूरी तरह नहीं खत्म किया। अब महेश को उम्मीद है कि वो अपनी घड़ी कानूनी प्रक्रिया के तहत पा सकेंगे।





