Delhi HC said Wife Can Seek To Summon Bank Authorities As Witness To Determine Husband Real Income पति की आय जानने के लिए गवाह के रूप में बैंक अधिकारियों को बुला सकती है पत्नी : हाई कोर्ट, Ncr Hindi News - Hindustan
Hindi Newsएनसीआर NewsDelhi HC said Wife Can Seek To Summon Bank Authorities As Witness To Determine Husband Real Income

पति की आय जानने के लिए गवाह के रूप में बैंक अधिकारियों को बुला सकती है पत्नी : हाई कोर्ट

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि पत्नी अपने पति की वास्तविक आय अथवा संपत्ति जानने के लिए गवाह के रूप में बैंक अधिकारियों को बुलाने की मांग कर सकती है। कोर्ट ने कहा कि पतियों द्वारा अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता देने से बचने के लिए अपनी वास्तविक आय छिपाना कोई असामान्य बात नहीं है।

Subodh Kumar Mishra लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSun, 3 Aug 2025 08:20 PM
share Share
Follow Us on
पति की आय जानने के लिए गवाह के रूप में बैंक अधिकारियों को बुला सकती है पत्नी : हाई कोर्ट

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि पत्नी अपने पति की वास्तविक आय अथवा संपत्ति जानने के लिए गवाह के रूप में बैंक अधिकारियों को बुलाने की मांग कर सकती है। कोर्ट ने कहा कि पतियों द्वारा अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता देने से बचने के लिए अपनी वास्तविक आय छिपाना कोई असामान्य बात नहीं है।

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस रविंदर डुडेजा ने याचिकाकर्ता पत्नी की उस याचिका को स्वीकार कर लिया, जिसे फैमिली कोर्ट ने खारिज कर दिया था। फैमिली कोर्ट ने प्रतिवादी पति की वास्तविक आय के संबंध में उसके दावों की पुष्टि के लिए बैंक अधिकारियों को गवाह के रूप में बुलाने की उसकी मांग खारिज कर दी थी।

जस्टिस डुडेजा की पीठ ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 125 के तहत याचिका में भरण-पोषण की राशि निर्धारित करने में प्रतिवादी की आय, संपत्ति और साधनों सहित वित्तीय स्थिति की जानकारी विचारणीय है। प्रतिवादी के परिवार के सदस्यों के खातों के विवरण तलब करने की मांग करके याचिकाकर्ता नोएडा की संपत्ति की बिक्री से प्राप्त धन के हेरफेर को रिकॉर्ड में लाना चाहती है। याचिकाकर्ता को इसे साबित करने का अवसर देने से इनकार करने से भरण-पोषण की कार्यवाही का उद्देश्य विफल हो जाएगा।

वहीं, पति ने तर्क दिया कि जिन गवाहों को बुलाने की मांग की गई थी, वे याचिकाकर्ता के मामले से संबंधित नहीं थे। दूसरी ओर पत्नी ने आरोप लगाया कि प्रतिवादी (पति) वैध भरण-पोषण शुल्क का भुगतान करने से बचने के लिए अपनी संपत्ति और आय को छिपाने का प्रयास कर रहा था। इसलिए, उसकी वास्तविक वित्तीय स्थिति का पता करने के लिए उसका आवेदन जरूरी था।

इसके बाद, कोर्ट ने टिप्पणी की कि फैमिली कोर्ट द्वारा अपने इनकार को उचित ठहराने के लिए आवेदन देने में देरी करने पर भरोसा करना, याचिकाकर्ता के अपने दावे को प्रमाणित करने के लिए उचित अवसर पाने के अधिकार से अधिक महत्वपूर्ण नहीं है। कोर्ट ने कहा कि यदि मामले के न्यायोचित निर्णय के लिए साक्ष्य आवश्यक हैं, तो कोर्ट को गवाहों को बुलाना चाहिए।

कोर्ट ने आगे कहा कि फैमिली कोर्ट साक्ष्य की प्रासंगिकता और आवश्यकता को समझने में विफल रहा। याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले दस्तावेज और गवाह अप्रासंगिक नहीं हैं, बल्कि वे भरण-पोषण के निर्धारण को सीधे प्रभावित करते हैं जो कि जीवन-यापन का मामला है। कोर्ट ने पत्नी की याचिका स्वीकार कर ली।