Delhi HC directed the dda to pay rent to owners of the flats from the vacated date फ्लैट मालिकों को राहत, DDA को फटकार; HC का कब्जा लेने तक किराया देने का निर्देश, Ncr Hindi News - Hindustan
Hindi Newsएनसीआर न्यूज़Delhi HC directed the dda to pay rent to owners of the flats from the vacated date

फ्लैट मालिकों को राहत, DDA को फटकार; HC का कब्जा लेने तक किराया देने का निर्देश

दिल्ली हाई कोर्ट ने मुखर्जी नगर में सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट के फ्लैट मालिकों को बड़ी राहत दी है। हालांकि कोर्ट ने एमसीडी के इस अपार्टमेंट को खतरनाक घोषित करने के आदेश को बरकरार रखा। कोर्ट ने डीडीए को फ्लैट के मालिकों को किराया भुगतान करने का निर्देश दिया।

Subodh Kumar Mishra लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSun, 29 Dec 2024 04:46 PM
share Share
Follow Us on
फ्लैट मालिकों को राहत, DDA को फटकार; HC का कब्जा लेने तक किराया देने का निर्देश

दिल्ली हाई कोर्ट ने मुखर्जी नगर में सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट के फ्लैट मालिकों को बड़ी राहत दी है। हालांकि कोर्ट ने एमसीडी के इस अपार्टमेंट को खतरनाक घोषित करने के आदेश को बरकरार रखा। कोर्ट ने डीडीए को फ्लैट के मालिकों को किराया भुगतान करने का निर्देश दिया। एमसीडी के आदेश के बाद इन लोगों ने फ्लैट खाली कर दिए थे।

हाई कोर्ट की जस्टिस मिनी पुष्करणा की अदालत ने अपने आदेश में निर्देश दिया कि डीडीए को सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट के फ्लैटों के मालिकों को दोबारा बनाए जा रहे फ्लैटों का कब्जा सौंपे जाने तक किराये का भुगतान करना जारी रखना चाहिए। डीडीए को एचआईजी के लिए 50,000 रुपये प्रति माह और एमआईजी फ्लैट के लिए 38,000 रुपये प्रति माह की दर से भुगतान किया जाना चाहिए। साथ ही 10 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से किराया बढ़ाया जाना चाहिए, जब तक कि दोबारा बनाए जा रहे फ्लैटों का कब्जा सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट के फ्लैटों के मालिकों को नहीं सौंप दिया जाता है।

अदालत ने डीडीए को हाउसिंग स्कीम के तहत इन टावरों का निर्माण करने में घोर लापरवाही बरतने के लिए फटकार भी लगाई। डीडीए द्वारा बनाए गए इन आवासीय टावरों को जांच के बाद विशेषज्ञों द्वारा रहने के लिए अनुपयुक्त पाया गया। इसके बाद एमसीडी ने इन्हें खतरनाक घोषित कर दिया।

कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड पर मौजूद तथ्य डीडीए द्वारा कानून के तहत निहित अपने सार्वजनिक कार्यों का निर्वहन करने में ढिलाई को रेखांकित करते हैं। डीडीए द्वारा आवासीय टावरों के घटिया निर्माण के कारण आम लोगों को खतरनाक स्थिति में डाल दिया गया।

दरअसल, फ्लैट मालिकों द्वारा कई याचिकाएं दायर की गई थीं। इनमें से कुछ फ्लैटों और टावरों को ध्वस्त कर पुनर्निर्माण की मांग कर रहे थे। कुछ ने पुनर्वास प्रस्ताव पत्र में शर्तों को भी चुनौती दी थी। शर्त में कहा गया था कि फ्लैटों का कब्जा सौंपने के बाद ही निवासियों को वैकल्पिक आवास दिया जाना चाहिए।

बता दें कि 336 फ्लैटों में से 224 एचआईजी हैं, जबकि शेष 112 एमआईजी श्रेणी के हैं। फ्लैटों का आवंटन 2010, 2014 और 2017 के डीडीए हाउसिंग ड्रॉ के माध्यम से किया गया था। आखिरी आवंटन अक्टूबर 2019 में किया गया था। 2010 में फ्लैटों के पहले आवंटन और 2012 में कब्जे के दो से तीन साल बाद ही इनमें दरारें आने लगीं।