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'कोचिंग सेंटर जैसे हादसों को कैसे रोका जा सकता है', सुप्रीम कोर्ट ने समिति से चार सप्ताह में रिपोर्ट मांगी

  • सुप्रीम कोर्ट ने 5 अगस्त को मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि कोचिंग सेंटर 'डेथ चेंबर' बन गए हैं और छात्रों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। इसके लिए उसने केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था।

Sourabh Jain पीटीआई, नई दिल्लीFri, 20 Sep 2024 01:54 PM
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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के एक कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भरने से हुई तीन UPSC अभ्यर्थियों की मौत मामले में जांच समिति से 4 सप्ताह के अंदर उन उपायों की अंतरिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है, जिनसे कि ऐसी घटनाओं को होने से रोका जा सकता है। 

दिल्ली के कोचिंग सेंटर में हुई घटना की जांच के लिए केंद्र सरकार ने इस समिति की नियुक्ति की थी। सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, 'यदि जरूरत पड़ी तो हम ओल्ड राजिंदर नगर जैसी घटनाओं को रोकने के लिए पूरे देश में निर्देश जारी करेंगे।'

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने इस मामले में दिल्ली के साथ ही हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सरकार को भी निर्देश दिया कि वे ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए के लिए बनाई गई नीतियों, कानूनों और प्रशासनिक बदलावों से अवगत कराएं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ओल्ड राजिंदर नगर में हुई ऐसी घटना को दोबारा होने से रोकने के लिए पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में एक समान पहल की जानी चाहिए।

कोर्ट में सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमानी ने कहा कि केंद्र ने ओल्ड राजिंदर नगर में हुई दुर्भाग्यपूर्ण मौतों की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित की है। जब पीठ ने उनसे पूछा कि पैनल को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने में कितना समय लगेगा, तो एजी ने कहा कि यह दो महीने के भीतर होने की संभावना है।

जिसके बाद पीठ ने वेंकटरमानी से कहा, 'यह एक गंभीर मुद्दा है। आपको परामर्श प्रक्रिया में तेजी लानी चाहिए क्योंकि इस मामले में तत्काल कार्रवाई की जरूरत है। हम चाहते हैं कि समिति चार सप्ताह के भीतर अपने अंतरिम उपाय प्रस्तुत करे।'

पीठ ने कहा, 'ओल्ड राजिंदर नगर में जो हुआ वह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी, जिसे कहीं और नहीं दोहराया जाना चाहिए। आपको मौजूदा नियमों और आवश्यक परिवर्तनों जैसे विभिन्न पहलुओं पर गौर करने की जरूरत है। फिलहाल ये कोचिंग संस्थान आवासीय परिसरों में चल रहे हैं, जो कि इस तरह की गतिविधियों के लिए उपयुक्त नहीं हैं।'

इससे पहले 27 जुलाई को दिल्ली के ओल्ड राजिन्दर नगर स्थित 'राव आईएएस स्टडी सर्किल' की बेसमेंट स्थित लायब्रेरी में भारी बारिश के कारण पानी भर गया था, जिससे सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे तीन अभ्यर्थियों की डूबने से मौत हो गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने 5 अगस्त को मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि कोचिंग सेंटर 'डेथ चेंबर' बन गए हैं और छात्रों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। इसके लिए उसने केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था।

शीर्ष अदालत ने कोचिंग सेंटरों के एक संघ द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए मामले का संज्ञान लिया, जिसमें दिल्ली हाई कोर्ट के दिसंबर 2023 के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें दिल्ली की अग्निशमन सेवाओं और नगर निकाय को सभी कोचिंग सेंटरों का निरीक्षण करने का निर्देश दिया गया था ताकि यह पता लगाया जा सके कि वे अग्नि सुरक्षा मानदंडों का अनुपालन कर रहे हैं या नहीं।

सर्वोच्च न्यायालय ने याचिका में गंभीरता का अभाव बताते हुए एसोसिएशन पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाते हुए अपील खारिज कर दी थी और कहा था कि जब तक अग्नि सुरक्षा मानदंडों और अन्य आवश्यकताओं का अनुपालन नहीं किया जाता है, तब तक किसी भी कोचिंग सेंटर को संचालित करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

हाई कोर्ट ने तीन अभ्यर्थियों की मौत की जांच दिल्ली पुलिस से लेकर सीबीआई को सौंप दी थी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जनता को जांच पर कोई संदेह न हो। जान गंवाने वाले तीन अभ्यर्थियों में उत्तर प्रदेश की श्रेया यादव (25), तेलंगाना की तान्या सोनी (25) और केरल के नेविन डेल्विन (24) शामिल हैं। घटना के बाद से विभिन्न कोचिंग संस्थानों में नामांकित छात्रों ने कोचिंग सेंटरों में बेहतर सुरक्षा उपायों की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया था।

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