जिस अनिल कौशिक ने पशु तस्कर समझ आर्यन मिश्रा को मारी गोली, उसपर दर्ज हैं दो केस; एक का ट्रायल शुरू
आर्यन मिश्रा हत्याकांड के मुख्य आरोपी अनिल कौशिक पर पहले भी फोन छीनने और जबरन वसूली के दो मामले दर्ज किए जा चुके हैं। यह बात पुलिस के शुरुआती उन दावों के उलट है कि आरोपी का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है।
फरीदाबाद पशु तस्कर समझकर 12वीं के छात्र आर्यन मिश्रा की हत्या के मुख्य आरोपी अनिल कौशिक पर पहले भी फोन छीनने और जबरन वसूली के दो मामले दर्ज किए जा चुके हैं। यह बात पुलिस के शुरुआती उन दावों के उलट है कि आरोपी का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। असल में, इनमें से एक मामले की सुनवाई भी शुरू हो चुकी है। हालांकि जब 37 साल के कौशिको को फरीदाबाद में 11 सदस्यीय जिला गौ संरक्षण टास्क फोर्स में शामिल किया गया तो उसपर दर्ज पुराने मामले इसके आड़े नहीं आए।
पुलिस ने बताया कि कौशिक के पास शस्त्र लाइसेंस भी है, लेकिन 16 अगस्त को चुनावों की घोषणा के साथ ही घटना के समय हथियार शस्त्रागार में जमा कर दिया गया था। कौशिक के पास एक देसी तमंचा था, जिससे उसने कथित तौर पर आर्यन मिश्रा को गोली मारी। पीड़ित को दो गोलियां लगीं। पहली गोली तब लगी, जब कौशिक और उसके गौरक्षक साथी फरीदाबाद से पलवल जाते हुए आगरा हाईवे पर आर्यन की कार का पीछा कर रहे थे और दूसरी गोली तब लगी, जब आर्यन की कार रुकी और गौरक्षकों ने उसे फिर से गोली मार दी।
कौशिक पर फरीदाबाद के मुजेसर थाने में 2018 में मोबाइल फोन छीनने के मामले में केस दर्ज है। वह उन चार आरोपियों में शामिल है, जिनके खिलाफ पुलिस ने मई 2019 में चार्जशीट दाखिल की थी। फिलहाल फरीदाबाद जिला सत्र न्यायालय में इस केस का ट्रायल चल रहा है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि कौशिक के खिलाफ दूसरा मामला जबरन वसूली का है। इसकी विस्तृत जानकारी उपलब्ध नहीं है। हरियाणा गौ सेवा आयोग के अधिकारियों के अनुसार, कौशिक 2023 में फरीदाबाद जिला गौ रक्षा टास्क फोर्स में सदस्य के तौर पर शामिल हुआ था।
टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, नॉन-ऑफिशियल सदस्यों के बैकग्राउंड चेक के बारे में पूछे जाने पर आयोग के एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा कि नियुक्ति से पहले पुलिस सत्यापन अनिवार्य है। सदस्य ने कहा, 'अगर यह जघन्य मामला होता, तो मुझे लगता है कि वे इसे जरूर उठाते। अगर यह गंभीर आरोप नहीं है, तो दोषी साबित होने तक व्यक्ति को निर्दोष माना जाता है।' फोन छीनने के मामले में दर्ज एफआईआर के अनुसार, 24 जून 2018 को रात 10.30 बजे शिकायतकर्ता छोटू कुमार, जो ऑटोमोबाइल कंपनी का कर्मचारी था घर लौट रहा था जब उसका फोन चोरी हो गया।
कुमार ने आरोप लगाया, 'मैं घर लौटते समय मोबाइल फोन पर बात कर रहा था। जब मैं मुजेसर थाने के पीछे एक चौक पर पहुंचा, तो दो अज्ञात लोग अचानक पीछे से आए और मेरा फोन छीन लिया।' 31 जुलाई को आईपीसी की धारा 379ए (स्नैचिंग) के तहत मामला दर्ज किया गया था। मामले की जांच के बाद, अगस्त 2018 के पहले हफ्ते में गुरुदत्त उर्फ अमित, कौशिक, राहुल और सुशील को गिरफ्तार किया गया। अब कौशिक के खिलाफ दर्ज हत्या के मामले मद्देनजर उसके शस्त्र लाइसेंस की भी जांच की जाएगी।
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